कुछ लोगों का जीवन उनका भाग्य तय करता है और कुछ लोग अपने कर्मों से अपना भाग्य खुद तय करते हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हीं में से एक हैं। कांग्रेस से भले ही उनका नाता टूट गया हो, परंतु वे गांधी-वाड्रा परिवार के हाथों अपना अपमान अभी तक भूले नहीं हैं और इसलिए वह अलग राजनीतिक मोर्चा बनाने की तैयारी में लग गए हैं। कैप्टन के इस कदम से पंजाब की सियासत में बवाल मचना तय है, इससे बीजेपी और कैप्टन को जबरदस्त फायदा हो सकता है तो वहीं, पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की हालत पतली हो सकती है। दरअसल, अपने राजनीतिक भविष्य पर चल रहे तमाम अटकलों को विराम देते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने घोषणा की है कि वो एक नई पार्टी बनाएंगे।
उनकी नई पार्टी भाजपा के अलावा अकालियों के एक गुट व अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सकती है। साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अमरिंदर सिंह की नई पार्टी किसानों तक पहुंचेगी। साथ ही उन्होंने ये भी इशारा किया है कि एक साल से चल रहा ‘किसान आंदोलन’ जल्द समाधान की ओर अग्रसर हो सकता है।
और पढ़ें : ‘नई पार्टी बनाउंगा, और BJP से हाथ मिला सकता हूं’, अमरिंदर ने पंजाब में सब कुछ बदल दिया है
ये बातें कैप्टन अमरिंदर ने स्वयं चर्चित पत्रकार शेखर गुप्ता के साथ उनके चैट शो ‘Off The Cuff’ में साझा की। कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुताबिक सरकार और किसानों के बीच बातचीत के बाद उन मुद्दों का समाधान हो जाएगा, जिसे लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की अपनी नई पार्टी भाजपा को साथी बनाएगी या नहीं, ये इस पर निर्भर करेगा कि कृषि कानूनों को लेकर भाजपा का रुख क्या रहता है। इसके अलावा कैप्टन शिरोमणि अकाली दल के ढींडसा और ब्रह्मपुरा गुट के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
पंजाब में सरकार बनाएंगे कैप्टन!
अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कहा कि वह हमेशा पंजाब के लिए खड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो चुनाव लड़ने की तरफ देख रहे हैं और उनका मुख्य ध्यान सरकार के गठन की ओर केंद्रित होगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वो कांग्रेस पार्टी को छोड़ देंगे। दरअसल, पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद से कैप्टन का इस्तीफा लेकर चरणजीत सिंह चन्नी को इस रोल के लिए चुना।
जब पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या वे पंजाब में हिन्दुओं, सिखों और मुस्लिमों के बीच कोई विवाद देखते हैं, तो कैप्टन ने कहा कि कृषि कानूनों से पहले पंजाब में मोदी सरकार के विरुद्ध कोई नकारात्मक माहौल नहीं था। उन्होंने कहा कि इसके समाधान के लिए कोशिशें जारी हैं और उसी पर निर्भर है कि भाजपा के साथ उनका गठबंधन कब होगा। इसके अलावा हाल ही में जिस प्रकार से सिंघु बॉर्डर पर तरन तारन के रहने वाले दलित लखबीर सिंह की निहंगों द्वारा बेरहमी से हत्या की गई, उस पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये एक खतरनाक और भयंकर घटना है।
कैप्टन अमरिंदर ने लखबीर के बचाव में कहा कि वहां ‘किसान आंदोलन’ में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, ऐसे में उन्हें यकीन नहीं है कि लखबीर सिंह ने गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की होगी। उन्होंने कहा कि हत्यारे आपे से बाहर थे और और वो नशे में हो सकते हैं। इसी बात पर उन्होंने ड्रग्स की समस्या का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पंजाब में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और खालिस्तानी स्लीपर सेल्स द्वारा हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई का मुद्दा वो तीन वर्षों से उठा रहे हैं।
और पढ़े- ‘सिक्का उछालना और अश्लील संदेश भेजना’, ये पंजाब के नए CM चरणजीत सिंह चन्नी के शौक हैं
पंजाब में कांग्रेस को सफल नहीं होने देंगे कैप्टन
बता दें कि पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की बगावत और उनके मनमाने रवैये पर गांधी-वाड्रा परिवार के गोलमोल जवाबों से रुष्ट होकर अमरिंदर सिंह ने पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और फिर सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस पार्टी छोड़ने की बात कही। तद्पश्चात उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से मुलाकात की थी। इसके बाद उनके भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन उन्होंने ऐसी संभावनाओं को नकार दिया। अब उन्होंने कहा है कि वो भाजपा को सांप्रदायिक या मुस्लिम विरोधी पार्टी नहीं मानते।
कैप्टन अमरिंदर से जुड़ी ऐसी संभावनाओं को TFI ने अपने कई रिपोर्ट में बताया है। हमने ये भी बताया है कि किस प्रकार से कैप्टन एक अलग मोर्चा स्थापित कर कांग्रेस को करारा झटका दे सकते हैं। TFI के ही एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अनुसार, “कैप्टन ने दिल्ली से वापस पंजाब जाने से पहले कहा, “मैंने अपनी स्थिति साफ कर दी है कि इस तरह का अपमान नहीं सह सकेंगे, जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव किया गया है वह ठीक नहीं है। मैं बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा लेकिन कांग्रेस छोड़ रहा हूं। इतना अपमान सह नहीं पा रहा।” उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे। खबरें यह भी हैं कि वो एक नया राजनीतिक मोर्चा बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। कैप्टन का ये रवैया कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका बनने वाला है।
ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी नई राजनीतिक पार्टी की स्थापना को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी स्थिति में कांग्रेस को अपने इरादों में सफल नहीं होने देंगे, चाहे कोई भी कीमत चुकानी पड़े। ऐसे में यदि वह आधिकारिक रूप से एनडीए से जुडते हैं, तो न केवल किसान आंदोलन का एक स्थाई समाधान निकलेगा, अपितु खालिस्तान का सपना संजोये कई राजनीतिक दलों के अरमानों पर जबरदस्त पानी भी फिरेगा।
और पढ़े- आखिर पंजाब और देश के लिए कितने खतरनाक हैं नवजोत सिंह सिद्धू?