रॉकस्टार आपने देखी है? हाँ वही रॉकस्टार, जिसे इम्तियाज़ अली ने निर्देशित किया था। उसमें पीयूष मिश्रा ने एक बड़ा ही महत्वपूर्ण संवाद बोला था, “इमेज इज एवरीथिंग, एवरीथिंग इज इमेज” यानि आपकी छवि, चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक, काफी महत्वपूर्ण है। इसका एक अलग ही अर्थ आज के कुछ ब्रांडस ने धारण कर लिया है, जो जानबूझकर सुनियोजित तरह से विवादास्पद और नकारात्मक विज्ञापन को बढ़ावा देते है, ताकि उनकी कंपनी विवाद में आए, और उनके उत्पाद अधिक बिके।
अभी हाल ही में FabIndia नामक एपरेल स्टोर ने हिन्दू पर्व दीपावली के अवसर पर एक अभियान के अंतर्गत अपना नया कलेक्शन निकाला है, जिसके नाम से ही विवाद उत्पन्न हुआ है। इस अभियान का नाम FabIndia ने जानबूझकर ‘जश्न ए रिवाज़’ रखा, मानों दीपावली कोई सनातनी त्योहार न होकर एक सेक्युलर त्योहार है, जिसे मध्यकालीन भारत में किसी अफ़गान या मुगल शासक की छत्रछाया में संरक्षण मिला था। इसके पीछे काफी विवाद उत्पन्न हुआ है। सोशल मीडिया पर लोगों ने FabIndia की धज्जियां उड़ा दी, जिसके कारण FabIndia को अपना विवादास्पद एड और उससे संबंधित ट्वीट हटाने पर विवश होना पड़ा।
परंतु आपको क्या लगता है, ऐसा पहली बार हुआ है? क्या इससे पहले ऐसा प्रयास नहीं हुआ? फैब इंडिया को भले ही इस बचकाने प्रयास के पीछे काफी नुकसान उठाना पड़ा हो, परंतु कुछ कंपनियां तो इसी दिशा में कई वर्षों से काम करती आ रही है। उन्होंने विवाद को ही अपने उत्पाद बेचने का जरिया बना लिया है।
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उदाहरण के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) को ही देख लीजिए। रेड लेबल, सर्फ एक्सेल के ऐसे कई एड हमने देखे हैं, जहां लोगों को आकर्षित करने के लिए भारत की विविधता का ‘गुणगान’ किया गया है। हालांकि, इन विज्ञापनों में गुणगान कम और सनातन धर्म का अपमान अधिक होता है, जिसे एक सुनियोजित तरह से लागू किया जाता है। बावजूद इसके हिंदुस्तान यूनिलीवर की बिक्री में कोई कमी नहीं आई है, और इस वर्ष जून 2021 के नेट प्रॉफ़िट में इसकी 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज हुई है, बस इसका दायरा पहले से थोड़ा कम है। कारण स्पष्ट है – प्रॉफ़िट दिखता है तो कोई भी झुकता है।
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हिंदुस्तान यूनिलीवर की देखा-देखी कई अन्य कंपनियां भी इस मार्केटिंग स्ट्रेटजी को अपनाने लगीं, और नकारात्मक विज्ञापन शैली को बढ़ावा देने लगी। जिस प्रकार से स्टॉक मार्केट में बियर ट्रेडिंग यानि मंदी के सौदे को बढ़ावा दिया जाता है, ठीक वैसे ही Nykaa, CEAT जैसी कंपनियां खुलकर विवादास्पद एवं नकारात्मक विज्ञापन शैली को बढ़ावा देने लगी। ये कंपनियां जानबूझकर सनातन धर्म को अपमानित करने की दिशा में अपने विज्ञापन को केंद्रित करने लगीं हैं, ताकि वे विवाद में आए, जिससे इनका PR हो तो लोगों का ध्यान इनके प्रोडक्ट पर जाए। जहां एक ओर नवरात्रि के अवसर पर Nykaa जैसे ई कॉमर्स साइट जानबूझकर कॉन्डम को बढ़ावा दे रहा था, तो वहीं आमिर खान CEAT के विज्ञापन में दीपावली पर जनता को उपदेश दे रहे थे कि सड़कें पटाखे फोड़ने के लिए नहीं होती।
परंतु वो क्या है न, नकल करने के लिए अकल भी होनी चाहिए। पिछले वर्ष जब तनिष्क ने दीपावली के दौरान एकात्वम कलेक्शन को लॉन्च किया था, तो उनके विज्ञापन ने कथित तौर पर लव जिहाद को बढ़ावा दिया था। इसके ठीक बाद एक और एड आया, जिसमें एक परिवार इस बात पर चर्चा कर रहा था कि दीपावली पर पटाखे फोड़ने की क्या आवश्यकता है? इन विज्ञापनों पर बहुत विवाद हुआ, जिसके कारण तनिष्क ब्रांड को चलाने वाले मूल कंपनी टाइटन को स्टॉक्स में भी उस समय काफी नुकसान हुआ।
ऐसे में विवादास्पद / नकारात्मक विज्ञापन शैली सबको नहीं सुहाती। ये केवल वही लोग सही से कर पाते हैं, जो इसमें निपुण है। यही कारण है कि अनेक विवादास्पद / नकारात्मक विज्ञापन के बावजूद लोग हिंदुस्तान यूनिलीवर के उत्पादों का बहिष्कार नहीं कर पाए हैं, और आज भी लोग लाइफबॉय से लेकर सर्फ एक्सेल का उपयोग करते हैं। अब जो सफाई से इस शैली का उपयोग नहीं कर पाते, वो फैबइंडिया और तनिष्क की भांति औंधे मुंह गिर पड़ते हैं। तनिष्क और अब वर्तमान में फैब इंडिया के उदाहरण इतना समझाने के लिए पर्याप्त हैं कि सरकार चाहे जितने अधिनियम ले आए, असली परिवर्तन तभी आयेगा, जब लोग एकजुट होंगे।
लोग एकजुट होंगे, तो ही कंपनियों को एक तगड़ा सबक मिलेगा, और बात केवल कंपनी की छवि तक नहीं, उसके आर्थिक पक्ष तक भी पहुंचेगी, और जहां आर्थिक नुकसान की बात आती है, वहां कोई भी कंपनी फालतू का जोखिम उठाने से बचेगी। लोगों को अब समझना चाहिए कि जब तक ऐसी कंपनियों का नुकसान नहीं होगा तब तक ये ऐसे ही हिन्दू विरोधी नकारात्मक विज्ञापन बनाती रहेंगी। एकजुट नहीं होंगे तो लाख बुरे एड के बावजूद हिंदुस्तान यूनिलीवर के उत्पाद धड़ाधड़ बिकेंगे ऐसे में लोगों को एकजुट होना होगा जिससे ऐसी कंपनियों को सबक मिले।