ज़ख्म से नासूर बन चुके मुद्दों को जड़ से खत्म करने की नीतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न केवल भारत में अपितु वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाती हैं। पोप फ्रांसिस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात देखने में तो साधारण लगती है, लेकिन इसके पीछे भारत के आंतरिक मामलों को हल करने का एक महत्वपूर्ण कारक छिपा हुआ है। पीएम मोदी की ये एक साधारण मुलाकात भारत में सीएए के खिलाफ चल रहे विरोध की नौटंकी को कमजोर कर सकती है, तो दूसरी ओर हिन्दू और ईसाई समज के बीच एक पुल का काम कर सकती है; और इसीलिए इस मुलाकात को एक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
भारत के आंतरिक मुद्दों को देश के कुछ वामपंथी और मोदी विरोधी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के प्रयास करते रहे हैं, जिसको लेकर जब भी बाहरी व्यक्ति बयान देता है, तो भारत सरकार उन्हें लताड़ लगा देती है। इसके विपरीत आंतरिक मसलों पर होने वाली इस नौटंकी को मोदी सरकार कूटनीति के स्तर पर बिना आक्रामक हुए भी हल करने के संकेत देती रहती है। इसी बीच प्रधानमंत्री अपनी यूरोप यात्रा के दौरान इटली के वेटिकन शहर में ईसाईयों के सबसे बड़े धर्म गुरु अर्थात् पोप फ्रांसिस से मिले हैं, और उन्हें भारत आने का न्यौता तक दिया है। अब पीएम मोदी की इस बैठक के विशेष मायने निकाले जा रहे हैं, क्योंकि यदि पोप का रुख भारत के लिए सकारात्मक हुआ तो ये भारत के आंतरिक मुद्दों को पल में हल करने में सहायक हो सकता है।
पीएम मोदी की पोप से मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों की यात्रा पर हैं, जहां जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रस्तावित है। ऐसे में पीएम जर्मनी, फ्रांस, इटली, अमेरिका जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात कर चुके हैं। वहीं पीएम मोदी की वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस से हुईं मुलाकात को अहम माना जा रहा है। इस मुलाकात में दोनों के बीच कोविड, सामान्य वैश्विक परिदृश्य और शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने समेत विभिन्न मुद्दों पर बात हुई है। एक घंटे तक चली इस बैठक को वैश्विक स्तर पर तो अहम माना ही जा रहा है, वहीं इसका महत्व आंतरिक स्तर पर भी विशेष है। वैटिकन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी PM मोदी के साथ मौजूद थे।
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Had a very warm meeting with Pope Francis. I had the opportunity to discuss a wide range of issues with him and also invited him to visit India. @Pontifex pic.twitter.com/QP0If1uJAC
— Narendra Modi (@narendramodi) October 30, 2021
पीएम मोदी ने इस मुलाकात के बाद अपने ट्वीट में लिखा, “पोप फ्रांसिस के साथ बहुत गर्मजोशी से मुलाकात हुईl मुझे उनके साथ कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला और उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया।” इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने वहां इतालवी हिंदू संघ-सनातन धर्म संघ के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न संगठनों के समुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात की थी।
सीएए की नौटंकी खत्म
मोदी सरकार द्वारा 2019 जब नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया गया था, तो इसमें विरोध की आग भड़काने में देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय (मुसलमान) अग्रणी रहा क्योंकि इस कानून में गैर-मुस्लिमों को ही नागरिकता देने का प्रावधान है। ऐसे में कई मुस्लिम आक्रोशित हैं, और वो ईसाईयों को भी भड़काने की कोशिश कर रहे है, जिससे कहीं-कहीं पर छुटपुट ईसाईयों का भी विरोध देखने को मिला है। ऐसे में यदि पोप फ्रांसिस का बयान मोदी सरकार के हित में आया, और उन्होंने इसे भारत का आतंरिक मुद्दा बता दिया तो बेहद आसानी के साथ भारत में सीएए के विरोध का मुद्दा हल हो सकता है। इसकी एक वजह ये भी है कि देश के ईसाई पोप फ्रांसिस की बात को पत्थर की लकीर मानकर सीएए विरोधी नौटंकियों से स्वयं को अलग कर लेंगे।
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ईसाईयों और हिन्दुओं के बीच संबंध सुधार
देश के कई इलाकों में मुस्लिम और ईसाई तुष्टिकरण की नीति के बीच यदि कोई हिन्दुओं के अलावा कोई समुदाय प्रताड़ित हो रहा है, तो वो ईसाई ही हैं। केरल में लव जिहाद से लेकर हत्या और रेप के मामले इसका सटीक उदाहरण हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के चलते जहां लेफ्ट की सरकार ईसाईयों को महत्व नहीं दे रही, तो दूसरी ओर विपक्ष भी इस मुद्दे को हवा नहीं दे रहा है। इसके विपरीत भाजपा का केरल में जनाधार कम होना भी ईसाईयों के लिए मुसीबत बन गया है। ऐसे में ईसाईयों और हिन्दुओं के बीच संबंध सुधारने में और इस्लामिक कट्टरपंथियों के विरुद्ध एक आवाज बनने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पोप फ्रांसिस की भूमिका हो सकती है।
ऐसे में ये कहा जा सकता है कि देश के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने में पोप फ्रांसिस की भूमिका अहम हो सकती है, यही कारण है कि पीएम मोदी भी उन्हें विशेष महत्व दे रहे हैं, जिससे देश के आंतरिक मामलों में वैश्विक संगठनों का कोई दखल न हो।