यह नया भारत है। यहां कानून को ताक पर रखने वाली आदत को बदलना होगा वरना लठ बरसेगी। पहले सरकारी तुष्टिकरण को संज्ञान में लेकर भीड़ वाली गतिविधियों को दरकिनार किया जाता था, लेकिन अब भारत में भीड़ के दम पर पुलिस के काम को प्रभावित करना मुश्किल है। मध्य प्रदेश में पिछले हफ्ते हुए ईद-मिलाद-उन-नबी (Eid-Milad-Un-Nabi) के दौरान जुलूस निकालने पर हुड़दंगियों को पुलिस ने पर्याप्त डोज दे दिया था और सम्भवतः उनको भी यह बात समझ आ गई होगी। धार, बड़वानी और जबलपुर में जुलूस निकालने के नाम पर गैरकानूनी तरीके से भीड़ को ले जाने के प्रयास को पुलिस ने कुचल दिया था। अब पता चला है कि उस हमले की आड़ में दंगा भड़काने की योजना सुनियोजित थी, लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस ने मामलें को बहुत कम में निपटा दिया था।
गोहलपुर पुलिस की जांच में यह पाया गया है कि ईद-मिलाद-उन-नबी (Eid-Milad-Un-Nabi) के जुलूस में हुआ बवाल अचानक नहीं हुआ था। यह सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। बवाल के वक्त के फुटेज में दिखाई दे रहा है कि कुछ लोग भीड़ को जानबूझकर उकसा रहे हैं। बताया जा रहा है कि बवाल से दो दिन पहले आनंदनगर में गोपनीय बैठक करके पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई थी। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें शामिल लोग CAA के समय हुए बवाल में भी शामिल थे।
धार और जबलपुर के बवाल को जान लीजिए
धार में पिछले हफ्ते जुलूस निकाला जाना तय किया गया था और पुलिस ने उन्हें एक तय रूट सुनिश्चित करके दिया था और स्पष्ट आदेश दिया था कि उसी मार्ग से जुलूस निकाला जाएगा। मिलाद-उन-नबी के अवसर पर आयोजित जुलूस गुलमोहर कॉलोनी से शुरू होना तय था और शहर के अन्य क्षेत्रों से गुजरते हुए उसी स्थान पर लौटने वाला था।
हालांकि, भीड़ का अचानक मूड पलट गया और तय रूट की बजाय अलग रास्ते पर जुलूस घूम गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुरानी नगर पालिका पहुंचने पर जुलूस मोहन टॉकीज क्षेत्र की ओर मुड़ गया, जिससे पुलिस और जुलूस में शामिल कुछ लोगों के बीच विवाद हो गया।
जबलपुर शहर में कुछ लोगों द्वारा पुलिस पर पटाखे और पत्थर फेंके गये जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। यह घटना मच्छली बाजार इलाके में हुई जब लोग मिलाद-उन-नबी के मौके पर नमाज अदा करने के लिए जमा हो रहे थे।
CAA और बलवा क्रांति की तर्ज पर हुआ कांड
मछली मार्केट में हुए बवाल से 6 दिन पहले प्रशासन द्वारा मुस्लिम समाज के लोगों के साथ 13 अक्टूबर को पुलिस कंट्रोल रूम में बैठक बुलाई गई थी। जबलपुर के उस बैठक में ADM राजेश बाथम, ASP रोहित काशवानी के सामने एक बयान आया कि इस आवाम के साथ मुफ्ती-ए-आजम है और अवाम चाहती है कि इस बार चाहे लाठी चलें या गोली, जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाली जाए। शहर की शांति व्यवस्था बिगड़ने पर इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ये तल्ख टिप्पणी और धमकी भरा व्यवहार पहले ही शुरू हो गया था।
पुलिस सूत्रों की माने तो शहर में मुस्लिमों की रहनुमाई कौन करेगा, इसको लेकर शहर में तीन गुट बन गए हैं। पहला गुट मुफ्ती-ए-आजम के बेटे मुसाहिद मियां का है। दूसरा गुट रईसवली का है, जो नईम अख्तर को मुफ्ती-ए-आजम बनना देखना चाहते हैं। तीसरा गुट भूरे पहलवान और उनके बेटे शहर काजी मौलाना इम्तियाज का है। इसमें एक गुट को अब्दुल रज्जाक और शमीम कबाड़ी गोपनीय तौर पर फंडिंग कर रहे हैं।
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बताया जा रहा है कि प्रशासन ने कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने के लिए मुफ्ती-ए-आजम मौलाना हजरत मोहम्मद हामिद से सहयोग मांगा था। इसके बाद मुफ्ती-ए-आजम ने प्रशासन का साथ देते हुए लोगों से सौहार्दपूर्ण तरीके से त्योहार मनाने की अपील की थी और इसके साथ ही पटाखे न फोड़ने की भी अपील लोगों से की गई थी। इस प्रयास के बावजूद भी आनंदनगर में 17 अक्टूबर को एक सीक्रेट बैठक बुलाई गई थी, जिसमें 50 हजार पटाखे फोड़ने के लिए फंडिंग की गई थी।
पुलिस ने इस प्रकरण पर साजिश की धारा बढ़ाते हुए गोपनीय बैठक कर स्क्रिप्ट लिखने वालों को चिन्हित करने में जुटी है। पुलिस ईद-मिलाद-उन-नबी जुलूस में बवाल करने के मामले में अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस का कहना है कि 19 अक्टूबर को हुए बवाल में वही सारे किरदार प्रमुख सूत्रधार बने हैं, जो NRC और CAA के समय शहर में बवाल कराने में सबसे आगे थे। मामले में गोहलपुर पुलिस ने 18 और बलवाइयों को गिरफ्तार किया है। अब तक 37 लोग गिरफ्तार हाे चुके हैं, जिसमें 4 नाबालिग भी शामिल हैं।
मध्य प्रदेश पुलिस ने एक सुनियोजित तरीके से साजिश को तबाह करके बढ़िया संदेश दिया है। यह संदेश इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि भीड़ के दमपर एक समुदाय को कुछ भी कर लेने की आदत हो चुकी है। उनको कैसे और किस तरह जवाब देना है, वह मध्य प्रदेश पुलिस को अच्छे से आता है। उम्मीद है कि बंगाल और कश्मीर में भी ऐसी ही प्रशासनिक सेवा जल्द देखने को मिले ताकि भीड़ आतताइयों के भीतर कानून का डर बना रहे!