पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी भारतीय कंपनियों ने विश्व की कई कंपनियों का अधिग्रहण किया है। एक तरफ जहां पहले भारतीय कंपनियों के अधिग्रहित होने की खबर आती थीं तो दूसरी तरफ अब भारतीय कंपनियों द्वारा अधिग्रहण करने की खबर आती हैं। कोरोनावायरस महामारी के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारतीय कंपनियां लगातार अपने पांव पसार रहीं है और भारत की सफलता के पदचिह्न छोड़ रहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार बैंगलोर-पुणे स्थित आईटी सेवा प्रमुख टेक महिंद्रा लिमिटेड ने हाल ही में घोषणा की कि वो दो कंपनियां – यूएस-आधारित इंफोस्टार LLC (लॉडस्टोन) को 789 करोड़ रुपये में तथा लंदन स्थित बॉर्न लंदन लिमिटेड की We Make Websites Ltd (WMW) को लगभग 97 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करेगी जिससे कंपनी का डिजिटल पोर्टफोलियो और मजबूत हो।
पिछले कुछ वर्षों में यह बदलाव देखने को मिल रहा है। भारतीय कंपनियां लगातार विश्व के कोने-कोने में अपना विस्तार कर रहीं है। कैश-रिच टेक्नोलॉजी सेक्टर सबसे अधिक अधिग्रहण वाला रहा है। इंफोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजी और टेक महिंद्रा जैसी कंपनियों ने विदेशों में कई अधिग्रहण किये हैं। पिछले वर्ष एचसीएल ने ऑस्ट्रेलिया स्थित आईटी सॉल्यूशन प्रोवाइडर DWS लिमिटेड को लगभग 137 मिलियन डॉलर में अधिग्रहण की घोषणा की थी।
सेक्टर की दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड भी अधिग्रहण के अवसरों की लगातार तलाश कर रही है। अप्रैल के एक साक्षात्कार में, मुख्य परिचालन अधिकारी एन. गणपति सुब्रमण्यम ने बताया था कि टीसीएस कार्यबल वृद्धि में दिलचस्पी नहीं रखता है, लेकिन वह बौद्धिक संपदा और पेटेंट के साथ पूरक ग्राहक आधार वाली फर्मों की तलाश में है। टीसीएस ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (BSFI) वर्टिकल में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दो रणनीतिक अधिग्रहणों की घोषणा की थी। पिछले वर्ष नवंबर में इसने पोस्टबैंक सिस्टम्स एजी का अधिग्रहण कर लिया था। वहीं, टीसीएस ने घोषणा की थी कि वह बीमा फर्म Prudential Financial Inc (पीएफआई) से प्रामेरिका सिस्टम्स, आयरलैंड की कुछ संपत्ति और कर्मचारियों का अधिग्रहण करेगी।
बेंगलुरू स्थित सॉफ्टवेयर दिग्गज विप्रो द्वारा एक अरब डॉलर की राजस्व क्षमता के साथ बहु-वर्षीय प्रौद्योगिकी परिवर्तन सौदे में जर्मन फर्म मेट्रो एजी की आईटी इकाइयों के अधिग्रहण की खबर भी सामने आई थी। 2020 में विप्रो का यह दूसरा अधिग्रहण था। इससे पहले विप्रो ने बेल्जियम स्थित 4C का भी अधिग्रहण किया था, जो यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका (EMEA) में सबसे बड़े Salesforce भागीदारों में से एक है।
अन्य उदाहरण में देखें तो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र की कंपनी ग्रीनको इंक, एक संघर्षरत यूएस-आधारित बैटरी निर्माता, एनईसी एनर्जी सॉल्यूशंस का अधिग्रहण करने वाली हैं। सिर्फ बड़ी कंपनियां ही नहीं, बल्कि कई भारतीय स्टार्ट-अप ने विदेशी कंपनियों के अधिग्रहण का रास्ता अपनाया है।
2019 में जयपुर स्थित ऑटोटेक फर्म कारदेखो ने घोषणा की थी कि उसने फिलीपींस स्थित कारमुडी को खरीदा है, जो नए और पुराने वाहनों को खरीदने और बेचने के लिए एक ऑनलाइन क्लासीफाइड प्लेटफॉर्म है।
वहीं, OYO ने 2019 घोषणा की थी कि वह एम्स्टर्डम स्थित लीजर ग्रुप को खरीदेगी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह सौदा € 369.5 मिलियन का था। इसके साथ ही मोबाइल एडटेक प्लेटफॉर्म InMobi ने 2018 के अंत में, यूएस-आधारित मोबाइल डेटा और विज्ञापन फर्म पिनसाइट मीडिया के अधिग्रहण की घोषणा की थी। PinSight पहले अमेरिकी टेलीकॉम दिग्गज स्प्रिंट के पूर्ण स्वामित्व में थी।
और पढ़े: Zomato और Paytm के IPO दिखाते हैं कि भारत का स्टार्ट-अप सेक्टर और कितना मजबूत होने जा रहा है
इसी दौड़ में दुनिया की सबसे मूल्यवान एडटेक कंपनी BYJU’S भी शामिल है। 16.5 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन के साथ दुनिया की सबसे मूल्यवान एडटेक कंपनी BYJU’S ने इसी वर्ष यूएस-आधारित Tynker का अधिग्रहण किया है, जो एक के -12 क्रिएटिव कोडिंग प्लेटफॉर्म है। यह इस साल BYJU’S की आठवीं बड़ी खरीदारी है। पिछले डेढ़ साल में, Tynker के अलावा, BYJU’S ने यू.एस. में दो अतिरिक्त प्रमुख एडटेक कंपनियों – ओस्मो और एपिक का अधिग्रहण किया था। BYJU’S ने अगले तीन वर्षों में $ 1 बिलियन के राजस्व के लक्ष्य को हासिल करने के साथ अमेरिका में एडटेक क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी में से एक बनने का लक्ष्य रखा है।
बता दें कि वर्ष 2016 के पहले छह महीनों में भारतीय कंपनियों द्वारा आउटबाउंड विलय और अधिग्रहण सौदों, यानी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करने वाली भारतीय कंपनियों में भारी उछाल देखा गया था। तब जनवरी से जून की अवधि में, विदेशों में भारत का अधिग्रहण 369% बढ़कर 4.5 बिलियन डॉलर (लगभग 29,937.37 करोड़ रुपये) हो गया था।
रिपोर्ट के अनुसार 2 अरब डॉलर (लगभग 13,305.5 करोड़ रुपये) के सौदों के साथ भारत द्वारा विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण मुख्य रूप से ऊर्जा और बिजली क्षेत्र में केंद्रित था। हालांकि, अब यह लगभग सभी क्षेत्र में हो रहा है खासकर टेक सेक्टर में।
पिछले कुछ वर्षों में जिस से तरह से भारतीय कंपनियों को बिजनेस करने का प्रोत्साहन सरकार की ओर से मिला है, यह उसी का नतीजा है। 21वीं सदी में भारतीय कंपनियों ने खास कर IT कंपनियों ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। घरेलू बाजार में विकसित और समृद्ध होने के बाद, 2020 ने इन कंपनियों को यूरोप और उसके बाहर और अधिक आक्रामक विस्तार के दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। अब इसी का परिणाम हमें देखने को मिल रहा है।