यह नया भारत है! यहां कानून को ताक पर रखने वाली आदत को बदलना होगा वरना लठ भी बरस सकती है। देश में अब भीड़ के दम पर कुछ भी करना संभव नहीं है। पहले सरकारी तुष्टिकरण को संज्ञान में लेकर ऐसी गतिविधियों को दरकिनार कर दिया जाता था लेकिन अब भारत में भीड़ के दम पर पुलिस के काम को प्रभावित नहीं किया जा सकता। मध्यप्रदेश में बीते दिन मंगलवार को मिलाद-उन-नबी के दौरान जुलूस निकालने और पुलिस के साथ हाथापाई करने पर हुड़दंगियों को पर्याप्त डोज दे दिया गया है और सम्भवतः असामाजिक तत्वों को भी यह बात समझ में आ ही गई होगी। मंगलवार को मध्यप्रदेश के तीन जिले धार, बड़वानी और जबलपुर से ऐसी घटनाएं सामने आई है।
धार में हुई है 51 लोगों की पहचान
दरअसल, धार जिले में मंगलवार को मिलाद-उन-नबी के अवसर पर जुलूस निकाला गया था, पुलिस ने उन्हें एक तय रूट सुनिश्चित करके दिया था और स्पष्ट आदेश दिया था कि उसी मार्ग से जुलूस निकाला जाए। मिलाद-उन-नबी के अवसर पर यह जुलूस गुलमोहर कॉलोनी से शुरू होना था और शहर के अन्य क्षेत्रों से गुजरते हुए फिर उसी स्थान पर लौटने वाला था। लेकिन जुलूस निकलने के बाद भीड़ तय रूट से निकल कर दूसरे रास्ते पर आ गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुरानी नगर पालिका क्षेत्र में पहुंचने के बाद जुलूस मोहन टॉकीज क्षेत्र की ओर मुड़ गया, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उस समय ही वो रूट बदलने के लिए जिद करने लगे। खबरों के मुताबिक जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और हाथापाई भी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया। पुलिस की ओर से किए गए इस लाठीचार्ज में 10 लोग घायल हो गए हैं।
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हालांकि, धार के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने कहा, “इस तरह की लाठीचार्ज की कोई घटना नहीं हुई थी। मिलाद-उन-नबी जुलूस के लिए एक मार्ग तय किया गया था, लेकिन कुछ विघटनकारी लोग शामिल हो गए और पारंपरिक मार्ग लेने पर जोर दिया। ऐसे लोगों को जबरन बाहर निकाला गया और बाद में शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकाला गया।” इलाके के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने मिलाद-उन-नबी जुलूस के दौरान हुए हंगामे में शामिल 51 लोगों की पहचान की है।
दूसरी ओर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) देवेंद्र पाटीदार का कहना है कि “धारा-188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 147 (दंगा) और आईपीसी के सरकारी काम में बाधा डालने और नुकसान की रोकथाम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।”
बड़वानी में पुलिस पर पथराव
इसके अलावा मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में भी आपत्तिजनक गानें बजाने के चलते बवाल मच गया। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में मिलाद-उन-नबी जुलूस के दौरान पथराव में एक पुलिस अधिकारी के घायल होने की खबर भी सामने आई है। अधिकारियों ने कहा कि राजपुर शहर में यह घटना जुलूस के दौरान एक “आपत्तिजनक” गाने को लेकर हुए विवाद के कारण हुई थी।
मंडल मजिस्ट्रेट वीर सिंह चौहान ने कहा,“बिना अनुमति के जुलूस निकाला गया…उपद्रवी लोगों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया गया और उस प्रक्रिया में एक पुलिस अधिकारी सहित कुछ लोग घायल हो गए।”
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जबलपुर में पुलिस पर फेंके पटाखे
जबलपुर शहर में कुछ लोगों द्वारा पुलिस पर पटाखे और पत्थर फेंकने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। यह घटना मछली बाजार इलाके में हुई जब लोग मिलाद-उन-नबी के मौके पर नमाज अदा करने के लिए एकत्रित हो रहे थे। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने कहा, “मछली बाजार में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था क्योंकि यह एक संवेदनशील क्षेत्र है। कुछ लोगों द्वारा पुलिस पर पटाखे और पत्थर फेंकने के बाद उन्होंने आत्मरक्षा में लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।” जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने मीडिया को बताया कि दोषियों की पहचान कर ली गई है और उनपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी शासित मध्यप्रदेश में मिलाद-उन-नबी के जुलूस के नाम पर भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया, पथराव किया और मनमानी करने की कोशिश की। जुलूस में शामिल लोगों के इस उग्रवादी व्यवहार के कारण अलग-अलग जगहों पर 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और आत्मरक्षा में पुलिस की ओर से उठाए गए कदम किसी भी तरह से गलत प्रतीत नहीं होते। लोगों को ये समझना होगा कि देश में कानून का राज चलता है। वो समय गया जब कानून के काम में दखलअंदाजी को नजरअंदाज कर दिया जाता था, अब पुलिस के काम में दखल देने वालों की खैर नहीं है। मध्यप्रदेश में घटित हुई यह घटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
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