हाल ही में TFI ने अपने एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया था कि चीनी मोबाइल निर्माता कंपनियां Bloatware (ब्लॉटवेयर) के माध्यम से कैसे मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं का डाटा चुरा रही हैं। Bloatware (ब्लॉटवेयर) को लेकर कई विशेषज्ञ पहले ही अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त हाल ही में चीनी कंपनियों के इस रवैया के कारण लिथुआनिया की सरकार ने अपने नागरिकों को चीनी मोबाइल फोन इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी है। अब भारत सरकार भी ब्लॉटवेयर के संदर्भ में सख्त कदम उठा रही है।
मोबाइल कंपनियों को भेजा गया है नोटिस
ब्लॉटवेयर के इस्तेमाल को लेकर मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार ने भारत में बिकने वाले मोबाइल फोन की निर्माता कंपनियों को नोटिस भेज दिया है। मोबाइल निर्माता कंपनियों से उनके फोन में पहले से इंस्टॉल एप्स के सोर्स के संदर्भ में जानकारी मांगी गई है। साथ ही निर्माता कंपनियों से उन कंपनियों की लिस्ट भी मांगी गई है जिनके पार्ट्स का इस्तेमाल मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने चीनी कंपनियों VIVO, OPPO, ONE PLUS और XIAOMI को नोटिस भेजा है। वैसे तो यह नोटिस सभी मोबाइल कंपनियों को भेजा गया है किंतु सरकार के रवैये से यह स्पष्ट है कि चीनी कंपनियों की जांच अधिक सख्ती से होने वाली है। पिछले वर्ष जब सरकार ने 267 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया था तो इन चीनी मोबाइल निर्माता कंपनियों ने अपने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में भारतीयकरण को बढ़ावा देने का वादा किया था। इन कंपनियों ने वादा किया था कि वो भारत में निवेश बढ़ाएंगे, जिससे भारतीयकरण की प्रक्रिया में तेजी आ सके। हालांकि, XIAOMI के अतिरिक्त किसी भी चीनी कंपनी ने अपना वादा पूरा नहीं किया है।
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जिसके बाद अब सरकार ने चीनी कंपनियों को नोटिस भेजा है, यहां तक कि XIAOMI को भी नोटिस भेज दिया गया है। सरकार की इस कार्रवाई को लेकर माना जा रहा है कि भारत में चीनी मोबाइल कंपनियों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। सरकार अपने इस सख्त कदम से चीनी मोबाइल निर्माता कंपनियों को स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि ब्लॉटवेयर के माध्यम से भारतीयों का डाटा चुराने पर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार पूरी मोबाइल इंडस्ट्री को जांच के दायरे में लाने वाली है। गौरतलब है कि भारतीय मोबाइल बाजार पर चीनी कंपनियों का दबदबा है और 50% बिक्री इन्हीं कंपनियों द्वारा की जाती है, इसलिए ब्लॉटवेयर के इस्तेमाल को लेकर इनकी जांच पर विशेष जोर दिया जाएगा।
21वीं सदी का ऑयल है यूजर्स का डाटा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार भारत में लॉन्च होने वाले सभी चाइनीज स्मार्टफोन की जांच कर सकती है। इस जांच के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि फोन में पहले से इंस्टॉल आ रहे एप्स कहीं यूजर्स की जासूसी तो नहीं कर रहे। इसके अलावा फोन के पार्ट्स की भी जांच की जा सकती। कुल मिलाकर सरकार हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों की जांच करेगी।
चीनी कंपनियां उपभोक्ताओं के एप्स स्क्रीन, वेब एक्टिविटी, फोन कॉल, डिवाइस आईडेंटिफायर जैसी जानकारियों को स्टोर करती हैं। हमने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चीनी मोबाइल कंपनियां अपने उपकरणों को कम दामों पर इसलिए बेच पाती हैं, क्योंकि वो मोबाइल फोन में पहले ही कई थर्ड पार्टी ऐप इंस्टॉल कर देती है और डिवाइस बेचने से उन्हें जितना लाभ नहीं होता, उससे कहीं अधिक लाभ इन थर्ड पार्टी ऐप के जरिए मिल जाता है। थर्ड पार्टी ऐप के जरिए उपभोक्ताओं का डाटा चोरी होता है।
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उदाहरण के लिए आप किस तरह की फिल्म देखते हैं, कौन सी चीज़े इंटरनेट पर सर्च करते हैं, किस तरह का खाना आपको पसंद है इन सब की जानकारी थर्ड पार्टी ऐप के जरिए जुटाई जाती है। फिर इस जानकारी को बड़ी कंपनियों को बेच दिया जाता है। इस जानकारी का इस्तेमाल मार्केट स्ट्रेटजी बनाने में होता है। इस तरह कुछ चुनिंदा कंपनियों के पास उपभोक्ताओं की इतनी जानकारी उपलब्ध हो जाती है कि वो बाजार में प्रतिस्पर्धी अन्य विक्रेताओं से आगे निकल जाती हैं। यदि ऐसी जानकारी ब्लॉटवेयर के माध्यम से चीनी विनिर्माताओं को उपलब्ध होती रहीं तो भारतीय कंपनियां प्रतिस्पर्धा में चीनी कंपनियों से स्वतः ही पिछड़ जाएंगी।
उपभोक्ताओं के डाटा को 21वीं सदी का ऑयल कहा जाता है। जिस प्रकार बीसवीं सदी के अंतिम दशकों में तेल के संसाधनों पर कब्जे के लिए वैश्विक शक्तियों में प्रतिस्पर्धा होती थी, उसी प्रकार 21वीं सदी में उपभोक्ताओं के डाटा के लिए प्रतिस्पर्धा हो रही है। ऐसे में कोई भी राष्ट्रवादी सरकार अपने नागरिकों का डाटा दुश्मन देश को थाली में परोस कर नहीं दे सकती। इसलिए सरकार का यह कदम भारत के राष्ट्रीय हितों के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।