भारत दुनिया का सबसे बड़ा खुदरा बाज़ार है। यहाँ की अत्यधिक विविधता और जनसंख्या में युवा और मध्यमवर्गीय आबादी इसे खुदरा व्यापार के लिए स्वर्ग बनाती है और जिसने इस बाज़ार पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया वो ही इस स्वर्ग का सत्तधीश बनेगा। अनवरत यद्धरत और अथक प्रयत्न प्रगति पर है। खुदरा व्यपार के दो सबसे बड़े वैश्विक उद्यम अमेज़न और वालमार्ट इस क्षेत्र के कड़े महारथी और प्रतिस्पर्धी है। पण्य विजय के उनके इस धूर्त व्यापारिक प्रयत्न में घरेलू उद्यम रिलायंस बाधा बन के खड़ा हो गया है।
AMAZON के साथ संघर्ष
कोरोनावायरस लॉकडाउन के बाद Future Group गहरे आर्थिक संकट में है। रिलायंस समूह देश के इस प्रतिष्ठित उद्यम को बचाने हेतु तेजी से आगे आया। संस्थान नें तर्क दिया है कि अगर यह सौदा विफल हो जाता है तो Future Group के एफएमसीजी शाखा फ्यूचर कंज्यूमर और रिटेल इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म फ्यूचर एंटरप्राइजेज में 25,000 लोगों की नौकरियों को खतरे में डाल देगा। परंतु, पिछले दरवाजे से छलपूर्वक future group के शेयर खरीद amazon ने इस सौदे को कानूनी पचड़े में फंसा दिया। हमने amazon को अपने खुदरा व्यापार के वर्चस्व से चीन की कंपनियों को भारतीय बाज़ार में घुसते देखा है। shein इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। परंतु, सर्वोच्च अदालत और NCLT ने भी विवशतावश और जनहित में ऐसा ही फैसला देना पड़ा जो अभी तात्कालिक रूप से उन नौकरियों को जीवित रखे।
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सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई है कि एनसीएलटी को इस मामले की सुनवाई तब तक रोकनी चाहिए जब तक कि मार्च में निर्धारित मामले की सुनवाई न हो जाए, लेकिन amazon को डर है कि अगर फ्यूचर के शेयरधारक अधिग्रहण को पारित कर देते हैं, तो कोई भी कानूनी कार्रवाई शून्य हो जाएगी। अगर रिलायंस की खरीद आगे बढ़ती है तो यह 420 से अधिक भारतीय शहरों में अपनी खुदरा शाखा को 1,800 से अधिक स्टोरों के साथ पहुंच प्रदान करेगी, जिसमें बिग बाजार और फूड ब्रांड फूडहॉल के साथ ही फ्यूचर ग्रुप के थोक और लॉजिस्टिक्स व्यवसाय शामिल हैं।
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इसी क्रम में मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड द्वारा अमेरिकी रिटेलर के साथ इसी तरह के समझौते को समाप्त करने के दो दिन बाद भारत में 7-इलेवन सुविधा स्टोर खोलने के लिए एक सौदा किया । 7-इलेवन स्टोर के साथ “मास्टर फ्रैंचाइज़ी समझौता” भारत के 850 बिलियन डॉलर के खुदरा बाजार में सबसे बड़े ऑफलाइन रिटेलर के रूप में रिलायंस रिटेल की स्थिति को मजबूत करेगा जहां खुदरा दिग्गज Amazon.com इंक ने अरबपति अंबानी के संकटग्रस्त फ्यूचर रिटेल की संपत्ति खरीदने के प्रयास को चुनौती दी है।
गौरतलब है कि यह JioMart को Amazon के एक प्रमुख प्रतियोगी के रूप में मजबूत करेगा, जिसके पास वर्तमान में भारत के तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स बाजार का एक तिहाई हिस्सा है। JioMart पहले से ही Reliance के 400 मिलियन-उपयोगकर्ता Jio सेल फोन नेटवर्क में टैप करता है और उसने भुगतान के लिए WhatsApp के साथ भागीदारी की है।
वालमार्ट के साथ संघर्ष
भारती वॉल-मार्ट ने भी भारत में अपने थोक cash-and-carry और बैक-एंड आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन संचालन की घोषणा की थी। जिसके जवाब में रिलायंस रिटेल ने किराना स्टोर और संस्थागत खरीदारों को आपूर्ति करने की योजना के साथ उसी व्यवसाय खंड में प्रवेश करने की अपनी योजना की घोषणा की है।
12 महीने से अधिक समय बीत चुका है और हमारे पास एक स्पष्ट विजेता है। रिलायंस रिटेल की अब 600 स्टोर श्रृंखला है जबकि वॉल-मार्ट, जिसने साल के अंत तक परिचालन शुरू करने की योजना बनाई थी, उसके पास एक भी स्टोर नहीं है। वास्तव में, उन्होंने अपनी योजनाओं को रिलायंस की बढ़त को देखते हुए अनिश्चित काल के लिए टाल दिया है।
स्थानीय उद्यम रिलायंस को घरेलू क्षेत्र में बढ़त हासिल है। रिलायंस के पास बिजली, तेल, खुदरा और दूरसंचार में कारोबार है और ह्यूगो बॉस और बरबेरी सहित वैश्विक ब्रांडों के लिए आउटलेट चलाता है। 2019 में रिलायंस ने यूके के टॉय शॉप के रिटेलर हैमलीज़ को खरीद लिया। सीधे शब्दों में कहें तो अमेज़ॅन ने कभी भी किसी अन्य बाजार में इस तरह के प्रतिद्वंद्वी के साथ व्यापार नहीं किया है।
उद्यम राष्ट्रीय अर्थ का आधार है। वैश्विक परिवेश में आप किसी भी बड़े निगम को व्यापार करने से नहीं रोक सकते परंतु, ये कंपनीयां आज की ईस्ट इंडिया के बराबर हैं। अगर इन्हें इनकी भाषा में जवाब नहीं दिया गया तो राष्ट्रहित खतरे में पड़ सकता है। अतः ऐसी स्थिति में रिलायंस का आगे बढ़ना राष्ट्र के लिए वरदान समान है। इस सार्थक प्रयास की सराहना होनी चाहिए।