श्रीलंका ने एक बौद्ध भिक्षु की नियुक्ति की है जो अब देश में इस्लामिस्टों का ‘खास ख्याल’ रखेगा

गलागोदाथ ज्ञानसारा

PC: Daily News

एक अहम फैसले में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने बौद्ध भिक्षु Galagoda Aththe Gnanasara (गलागोदाथ ज्ञानसारा) को ‘एक देश, एक कानून’ के लिए राष्ट्रपति कार्यबल का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा है। राष्ट्रपति के इस फैसले से कई लोग चकित हैं तो कुछ प्रसन्न भी हैं। गलागोदाथ ज्ञानसारा को 2019 में अदालत की अवमानना ​​के लिए जेल की सजा काटते हुए राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान दिया गया था। भिक्षु उन लोगों में से हैं, जो 2011 से ही श्रीलंका में बढ़ते इस्लामिक कट्टरपंथ मुस्लिम विरोधी अभियानों से जुड़े हुए हैं।

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में ‘एक देश, एक कानून’ की अवधारणा की स्थापना के लिए 13 सदस्यों का एक कार्यबल गठित किया है, जिसका नेतृत्व मुस्लिम विरोधी रुख के लिए मशहूर एक कट्टर बौद्ध भिक्षु गलागोदाथ ज्ञानसारा करेंगे

गलागोदाथ ज्ञानसारा की नियुक्ति चार मुस्लिमों और नौ बौद्धों सहित एक 13-सदस्यीय टास्क फोर्स के प्रमुख के रूप में हुई है। श्रीलंका प्रशासन को एग्रोकेमिकल्स पर प्रतिबंध और मनी प्रिंटिंग के साथ बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण बढ़ते विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे देश में व्यापक विरोध की भावना है। अब राष्ट्रपति ने बुधवार (27) को राजपत्र के जरिए टास्क फोर्स की घोषणा कर लोगों की पुरानी मांग को पूरा किया, जिससे गुस्से को शांत किया जा सके। सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (SLPP) ने एक ‘देश, एक कानून’ की अवधारणा को बढ़ावा दिया था, ताकि वह बढ़ते इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का समर्थन हासिल कर सके।

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मंगलवार को जारी एक गजट अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बोडु बाला सेना (BBS) या कहें कि बौद्ध शक्ति बल के गलागोदाथ ज्ञानसारा की अध्यक्षता में एक 13 सदस्यीय ‘एक देश, एक कानून के लिए राष्ट्रपति कार्य बल’ का गठन किया है। इस कार्यबल को ‘एक देश, एक कानून’ की अवधारणा के क्रियान्वयन का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया है। यह कार्य बल राष्ट्रपति राजपक्षे को मासिक प्रगति रिपोर्ट सौंपेगा और फिर 28 फरवरी, 2022 तक अंतिम रिपोर्ट पेश करेगा।

राष्ट्रपति के टास्क फोर्स की नियुक्ति देश के मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन के कैबिनेट के फैसले के बाद हुई है। श्रीलंका में क्रमशः सिंहली और तमिल समुदाय से संबंधित Kandyan कानून और Thesawalamai कानून भी है। अर्थात श्रीलंका की सरकार ने देश के इस्लामिस्टों से निपटने के लिए एक बौद्ध भिक्षु को कार्यभार सौंपा है।

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बता दें कि 2012 में गलागोदाथ ज्ञानसारा ने मुस्लिम विरोधी अभियान शुरू किया था और सिंहली के बहुमत से मुस्लिम स्वामित्व वाले व्यवसायों से सामान लेने और खरीदने से बचने के लिए कहा था। हालांकि, अमेरिका ने 2014 में गलागोदाथ ज्ञानसारा को दिया गया वीजा रद्द कर दिया था। वहीं, फेसबुक ने पश्चिमी तटीय शहर अलुथगामा में श्रीलंका के अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में उनके समूह की कथित संलिप्तता के बाद उनके अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था।

बाद में उन्हें पिछले प्रशासन के दौरान अदालत की अवमानना ​​​​के लिए गिरफ्तार किया गया था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसनेना ने उन्हें क्षमादान दिया था।

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2019 में ईस्टर संडे हमले के बाद कई लोगों द्वारा गलागोदाथ ज्ञानसारा की प्रशंसा की गई, क्योंकि उन्होंने पहले ही आईएसआईएस जैसे आतंकी समूहों से जुड़े इस्लामी चरमपंथियों की बढ़ती संख्या के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी थी। इसके बाद चुनाव के दौरान राजपक्षे ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ‘एक देश, एक कानून’ का वादा किया था। इस कदम का उद्देश्य सभी के लिए एक कानून को लागू करना और मुस्लिम विवाह कानून और कुछ अन्य क्षेत्रीय कानूनों सहित अन्य सभी कानूनों को समाप्त करना था, जो श्रीलंका में सदियों से मौजूद थे।

देखा जाये तो श्रीलंका के राष्ट्रपति का यह फैसला म्यांमार में रोहिंग्याओं को हटाने के लिए Ashin wirathu को नियुक्त करने जैसा है! अब देखना यह है कि राजपक्षे का यह फैसला कितना सही साबित होता है।

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