लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक घटना में 4 कथित किसानों, तीन भाजपा कार्यकर्ताओं, उनके ड्राइवर और एक पत्रकार की मृत्यु हो गई है। एक और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने पूरी घटना के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, दूसरी ओर गृह राज्य मंत्री एवं उनके पुत्र ने पूरी घटना की जिम्मेदारी उपद्रवियों पर डाली है। इस पूरे मामले में आरोप-प्रत्यारोप और राजनीति का सिलसिला जारी है परंतु लखीमपुर खीरी की घटना की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उससे साजिश की बू भी आ रही है।
दरअसल, तय कार्यक्रम के अनुसार उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी का दौरा करना था। इसके बाद दोनों नेताओं को नेपाल बॉर्डर पर स्थित बनवीरपुर गांव जाना जो तिकुनिया से 4 किलोमीटर दूर पड़ता है। दोनों नेताओं को हेलीकॉप्टर से शहर आना था, किंतु उपद्रवी किसानों ने तिकुनिया स्थित महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज में बने हेलीपैड को घेर लिया।
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इसके बाद दोनों नेताओं ने सड़क मार्ग से ही बनवीरपुर पहुंचने का निर्णय किया जैसे ही ये बात कथित किसानों को पता चला वो सड़क मार्ग का घेराव करने पहुंचे। 1:30 बजे के करीब तीन गाड़ियों का छोटा काफिला तिकुनिया से गुजर रहा था जो दोनों नेताओं के काफिले में शामिल होने के लिए जा रहा था। इसी दौरान झड़प हुई और हिंसा भड़क गई।
आप यदि इस हिंसा से जुड़ी वीडियों को देखें और घटकाक्रम की कड़ी जोड़कर देखें तो आपको समझ आयेगा कैसे किसान नेताओं के काफिले पर टूट पड़े थे। लाठीचार्च की गई, गाड़ियों में बैठे कार्यकर्ताओँ पर जानलेवा हमला किया और इससे बचने के लिए अवश्य ही कार को रिवर्स गियर में लेने के प्रयास किये गये होंगे और इसी दौरान एक दो किसान हताहत हुए होंगे। इस दौरान किसानों की संख्या देखकर यह बात विश्वास करने योग्य नहीं लगती कि कोई भी समझदार आदमी इतनी बड़ी भीड़ जो उसका रास्ता रोके खड़ी हो उस पर गाड़ी चढ़ाने का दुस्साहस करेगा। दूसरी बात यह कि यदि आशीष मिश्रा वास्तव में घटनास्थल पर मौजूद थे तो उन्हें एक भी खरोच क्यों नहीं आई? और न ही वीडियो में कहीं भी वो दिखाई दे रहे हैं। तीसरा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आशीष मिश्रा ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है कि लखीमपुर खीरी की घटना के वक्त वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे। आशीष मिश्रा के दावों की पुष्टि कार्यक्रम के वीडियो फुटेज से इस बात भी जल्द ही हो जायेगी और सच भी।
Our 3 vehicles went to receive Dy CM for an event. On their way, some miscreants pelted stones, set cars on fire and killed our 3-4 workers by thrashing them with sticks: Ashish Mishra, son of MoS Home Ajay Mishra Teni on Lakhimpur Kheri incident pic.twitter.com/uo8JpEkEwW
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 3, 2021
लखीमपुर खीरी की घटना के बाद सामने आ रहे वीडियो फुटेज और तस्वीरों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह हिंसा स्वतः स्फूर्त ना होकर योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दी गई है।
Clear from these videos how 3-4 BJP workers and probably the driver was beaten to death by the mob. Clearly, Khalistani wolves have hijacked the middleman’s protest posing as farmers.
They need the KPS Gill treatment. Enough. pic.twitter.com/NPMPZ9zhXI https://t.co/JzgJFRfBLz— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) October 3, 2021
यदि कथित किसानों को केवल अपना आक्रोश दर्ज कराना था तो वह कार्य उन्होंने महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज में मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के लिए बनाए गए हेलीपैड का घेराव करके भी दर्ज करा दिया।
यह मान भी लें कि कथित किसान केवल घेराव करने की योजना से आए थे और भाजपा नेताओं ने ही उन पर गाड़ियां चढ़ाई और हिंसा को भड़काया तो भी अचानक ही किसानों के पास इतनी बड़ी संख्या में लाठी-डंडे कहां से आ गए? सड़क किनारे दोनों ओर घास का मैदान, हरियाली दिखाई दे रही है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में पत्थर कहां से आ गए?
https://twitter.com/Bjp4Supporters/status/1444711319656144901?s=19
यदि ये लोग किसान हैं तो उनके बीच उपस्थित एक व्यक्ति अलगाववादी आतंकी भिंडरावाले की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने क्यों दिखाई दे रहा है? सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब विरोध प्रदर्शन केंद्रीय नेतृत्व के प्रति जताना था तो पार्टी के कार्यकर्ता और पत्रकार की पीटकर हत्या करने का क्या औचित्य था? उन्हें बीच रास्ते में रोकने का ही औचित्य क्या था?
जीवन गँवाने वालों में एक पत्रकार भी है। स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप की हत्या की खबर आ रही है। अभी कुछ दिन पहले ही तो छत्तीसगढ़ में राकेश टिकैत ने कहा था कि अगला निशाना मीडिया और लखीमपुर खीरी में पत्रकार को पीटकर मार दिया गया। दूसरे कई पत्रकार जीवन बचा पाए हैं, लेकिन घायल अवस्था में
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी 🇮🇳Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) October 4, 2021
लखीमपुर खीरी की घटना पूरी तरह से सुनयोजित हिंसा प्रतीत होती है जो शायद भाजपा नेता को निशाना बनाने के उद्देशय से अंजाम दी गई है। लखीमपुर खीरी की घटना से राजनीतिक साजिश की गंदी बू आती है जिसके कारण प्रदेश में अस्थिरता का माहौल पैदा किया जा सके। भाजपा नेतृत्व ने अगर किसानों के नाम पर पथराव कर रहे खालिस्तान समर्थकों को 26 जनवरी की घटना के बाद ही कुचल दिया होता तो शायद आज ये इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं देते।