हमारे देश में यदि कोई सबसे अधिक ज्ञानी है, तो वो हैं टैक्सी ड्राइवर! ना जी ना, हमारे पंडित, पुरोहित, विद्वान, राजनीतिक विश्लेषक, नीति निर्माता, रणनीतिकार किसी काम के नहीं, ब्रह्मांड का सारा ज्ञान तो देश के टैक्सी ड्राइवरों के पास है! ‘बँटी का साबुन स्लो क्यों है’ से लेकर ‘पहले मुर्गी आई या अंडा तक’, आप कोई भी प्रश्न पूछिए, इनके पास सभी के उत्तर मिलेंगे। इसी का एक प्रत्यक्ष प्रमाण हाल ही में नोमान सिद्दीकी नामक व्यक्ति को देखने को मिला, जब महोदय उत्तर प्रदेश के भ्रमण पर निकले थे।
दरअसल, एनडीटीवी के पूर्व कर्मचारी नोमान को टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि यूपी के लोग बड़े गजब किस्म के हैं। नोमान ने ट्वीट करते हुए कहा, “कैब ड्राइवर ने मेरा नाम देखा, परंतु शुक्र है कि उसने मेरी राइड रद्द नहीं की। उसने बताया कि वह यूपी से है, जहां मुसलमानों को टाइट करके रखा जाता है, आपके लोगों को वैसे इस देश से चले जाना चाहिए, क्यों इतनी बेइज्ज़ती सह रहे हो? मैं स्तब्ध हूँ, इसका कोई उत्तर नहीं खोज पा रहा हूँ?”–
अरे रे रे, कितना दुख और पीड़ा है इनकी व्यथा में! ऐसे कोई बोलता है भला? ये ‘सर्वधर्म संभाव’ वाला देश है, ये ‘गंगा जमुनी तहज़ीब’ के लिए मर मिटने वाला देश है और इसमें अतुलनीय योगदान देने वाले ऐसे कर्मठ अल्पसंख्यकों से ऐसा दुर्व्यवहार? ये अशोभनीय है, ये असह्य है, ये अक्षम्य है। परंतु ठहरिए, आप भी इस पैंतरे में फंस गए क्या? न यह पहला मामला है और न ही यह तरीका नया है। नोमान से जब उनकी व्यथा की जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने भी वही किया, जो हर आदर्श वामपंथी करता है। ट्वीट के साथ अकाउंट डिलीट कर भाग लिए।
कौशिक बसु ने भी किया था यहीं ड्रामा
संसार में नोमान उस प्रकार के एकमात्र प्राणी नहीं हैं, ऐसे अनेकों विश्लेषक हैं, जिन्हें वैसे ही टैक्सी ड्राइवर मिलते हैं, जैसा वो चाहते हैं। ऐसा ही एक प्रयास कौशिक बसु ने भी किया। जी हां! वही मनमोहन सिंह बिरादरी वाले! महोदय ने ट्वीट किया, “आज न्यू यॉर्क में बड़ा मस्त सिख टैक्सी ड्राइवर मिला। उसने मुझे अपनी व्यथा सुनाई कि वह कैसे भारत में किसानों के शोषण से बेहद दुखी है और कैसे नए कृषि कानून किसानों के लिए हानिकारक हैं। मुझे घर पहुंचाने में वह अपना रास्ता भूल गया, लेकिन उसने एक पैसा नहीं लिया। फिर बाद में समझ में आया कि उसने वो गलत मोड़ अपनी व्यथा पूरी करने के चक्कर में लिया था” –
Wonderful Sikh taxi driver in New York today—he spoke about the tragic treatment of farmers in India, & in detail about how the new farm laws hurt farmers. He got lost getting me home & when he refused to take money for the detour I realized the detour was to complete his speech.
— Kaushik Basu (@kaushikcbasu) October 10, 2021
ऐसे कई कौशिक बसु, कई नोमान सिद्दीकी आपको ट्विटर, फ़ेसबुक इत्यादि के कोने-कोने में मिल जाएंगे, जो अपनी विरुदावली से आपको वैसे ही भावुक करने का प्रयास करेंगे, जैसे शूजीत सरकार ने ‘सरदार उधम’ के माध्यम से देशवासियों को भावुक करने का प्रयास किया था। कौशिक बसु हो, राजदीप सरदेसाई हों या फिर आरफा खानुम शेरवानी, तरीका वही है, बस नाम बदल सकते हैं –
इसी प्रवृत्ति पर TFI के संस्थापक अतुल कुमार मिश्रा ने भी व्यंग्यात्मक तंज कसते हुए ट्वीट किया, “मुझे भी दिल्ली में एक उत्कृष्ट ब्राह्मण ड्राइवर मिला– उसने भारत में किसानों के उत्थान पर चर्चा की और ये भी बताया कि कैसे नए कृषि कानून भारतीय किसानों के लिए हितकारी है। मुझे घर जल्दी पहुंचाने के पीछे, उसे एक ऊबड़ खाबड़ रास्ते से गुज़रना पड़ा, क्योंकि सड़क पर कुछ फर्जी किसान धरना प्रदर्शन कर रहे थे!” –
Wonderful Brahmin taxi driver in Delhi today—he spoke about the upliftment of farmers in India, & in detail about how the new farm laws help farmers. He took a bumpy shortcut getting me home & told me that some fake farmers are sitting on Dharna on the main road.#MainBhiWriter https://t.co/r2Dp8fD38G
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) October 10, 2021
बताते चलें कि नोमान सिद्दीकी ने भी इसी पैंतरे के बल पर मोहम्मद शमी वाले मामले की भांति देशवासियों को भावुक तौर पर ‘ब्लैकमेल’ करने का प्रयास तो भरपूर किया, पर सोशल मीडिया की जनता जागरूक निकली। महोदय को बोरिया बिस्तर समेटकर भागने पर विवश कर दिया। किसी महान व्यक्ति ने सही ही कहा था, ‘खुले में शौच करना और झूठ बोलना दोनों ही पाप है’। इसीलिए ऐसे विशेष ‘टैक्सी ड्राइवरों’ से सविनय निवेदन है कि ‘जुबान चलाने’ से अधिक गाड़ी चलाने पर ध्यान दें।