Mastercard के बाद, रोने लगा Visa, कारण PM मोदी का RuPay को बढ़ावा देना

Visa और Mastercard को छोड़ Rupay कार्ड की ओर बढ़ रहा है भारत!​

2018 में एक भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा था, “हर कोई देश की रक्षा के लिए सीमा पर नहीं जा सकता है, लेकिन हम राष्ट्र की सेवा के लिए RuPay कार्ड का उपयोग कर सकते हैं।” पीएम मोदी के आह्वान का ऐसा असर हुआ कि पहले से इस क्षेत्र में काम कर रही Mastercard और Visa जैसी कंपनियाँ आज रो रही हैं और अमेरिकी सरकार से शिकायत कर रहीं है। कुछ वर्ष पहले MasterCard द्वारा अमेरिकी सरकार से शिकायत के बाद अब Visa कंपनी ने अमेरिकी सरकार से गुहार लगाई है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार Visa इंक ने यू.एस. सरकार से शिकायत की है कि भारत RuPay का “अनौपचारिक” प्रचार कर रहा है जिससे यसके व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। देखा जाए तो सार्वजनिक रूप से Visa ने RuPay के उदय के बारे में चिंताओं को जानबूझकर ऐसे दिखाया है जैसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन अमेरिकी सरकार के मेमो से पता चलता है कि Visa ने 9 अगस्त को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) कैथरीन ताई और सीईओ अल्फ्रेड केली सहित कंपनी के अधिकारियों के बीच एक बैठक के दौरान भारत में “level playing field” के बारे में चिंता जताई थी।

बता दें कि मास्टरकार्ड इंक ने 2018 में निजी तौर पर USTR के साथ इसी तरह की चिंताओं को उठाया था। रॉयटर्स ने 2018 में बताया था कि कंपनी ने USTR में विरोध दर्ज कराया था कि मोदी स्थानीय RuPay को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं।

अब इस बात पर USTR मेमो में कहा गया है, “Visa भारत की अनौपचारिक और औपचारिक नीतियों के बारे में चिंतित है, जो कि अन्य घरेलू और विदेशी इलेक्ट्रॉनिक भुगतान कंपनियों के बजाए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( NPCI) के व्यवसाय के पक्ष में प्रतीत होती है।” बता दें कि RuPay को NPCI चलाता है।

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जब से पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला है तब से वह देशी कंपनियों को प्रमोट कर रहे हैं। उन्होंने वर्षों से देसी RuPay को बढ़ावा दिया है, जो तेजी से बढ़ते भुगतान बाजार में Visa और मास्टरकार्ड के लिए एक चुनौती बन चुका है। नवंबर 2020 तक भारत के 952 मिलियन डेबिट और क्रेडिट कार्ड में RuPay का योगदान 63% था, जो कंपनी के सबसे हालिया नियामक आंकड़ों के अनुसार, 2017 में सिर्फ 15% था।

मोदी ने 2018 के भाषण में RuPay के उपयोग को देशभक्ति के रूप में चित्रित करते हुए कहा कि चूंकि “हर कोई देश की रक्षा के लिए सीमा पर नहीं जा सकता है, हम राष्ट्र की सेवा के लिए RuPay कार्ड का उपयोग कर सकते हैं।”

 

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल कहा था कि “RuPay ही एकमात्र कार्ड है” जिसे बैंकों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार ने सार्वजनिक परिवहन भुगतान के लिए RuPay-आधारित कार्ड को भी बढ़ावा दिया है। यही नहीं इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में ‘रुपे-कार्ड  में लॉन्च किया था। इसके अलावा 31 मई 2018 को सिंगापुर में भी रुपे कार्ड, भीम और एसबीआई ऐप को लॉन्च कर चुके हैं।

यही कारण है कि Mastercard के बाद अब Visa भी रो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार जब 9 अगस्त को USTR सभा के दौरान वीजा ने अपनी चिंताओं को उठाया तब उसने भारतीय नेता के भाषण का हवाला दिया, जहां उन्होंने मूल रूप से देशवासियों को देश की सेवा के रूप में RuPay का उपयोग करने के लिए कहा था। USTR ईमेल में दिखाया गया है कि वीजा ने अमेरिकी सरकार को बताया कि यह भारत के “RuPay से जुड़े ट्रांजिट कार्ड का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन और बैंकों पर सूक्ष्म दबाव से वह चिंतित था।”

सूत्रों का कहना है कि जहां RuPay भारत में कार्डों की संख्या पर हावी है, लेकिन लेनदेन अभी भी Visa और मास्टरकार्ड के माध्यम से होते हैं क्योंकि अधिकांश RuPay कार्ड केवल पीएम मोदी के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के तहत बैंकों द्वारा जारी किए गए थे। अब यहाँ देशवासियों को यह समझना चाहिए कि उन्हें अपने सभी कार्ड के लेनदेन विदेशी कंपनियों के बजाए देशी RuPay कार्ड से करनी चाहिए। भारत Visa और मास्टरकार्ड दोनों के लिए एक बड़ा बाजार है और वे अपना एकक्षत्र राज चाहते हैं। यही कारण है कि वो बार-बार इस मामले मेन अमेरिकी सरकार से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते रहते हैं।

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बता दें कि वर्ष 2018 के केंद्रीय बैंक RBI ने Visa और Mastercard को झटका देते हुए निर्देश दिया था कि जांच के लिए कंपनियाँ जो भी भुगतान डेटा संग्रहीत करें वह भारत में ही होना चाहिए। इससे इन दोनों की कंपनियों को झटका लगा था क्योंकि यह दोनों अपने कस्टमर्स का डेटा अमेरिका में संग्रहीत करते हैं। इस मामले में हेराफेरी के कारण RBI ने मास्टरकार्ड को भारत में नए कार्ड जारी करने पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगा दिया था जो आज भी जारी है। अब इन कंपनियों को यह समझना होगा कि भारत में अगर व्यापार का व्यवसाय करना है तो भारत के नियमों का पालन करना होगा और अगर नहीं किया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पद सकते हैं। Visa और Mastercard का अमेरिकी सरकार के सामने रोनाधोना इसी बात को स्पष्ट करता है।

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