उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचले काफी तेज हो गई है। आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरु हो चुके हैं। राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा प्रदेश के विकास के मुद्दे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चुनावी दंगल में है। तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व और लहर को देखते हुए विपक्षी पार्टियां एकजुट होती दिख रही है। आगामी चुनाव में बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जोर शोर से चुनावी रैलियां कर रहे हैं और साथ ही छोटे दलों के साथ गठबंधन को लेकर भी चर्चा जारी है। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी अखिलेश यादव छोटी पार्टियों को रिझाने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं! खबरों की मानें तो सपा, रालोद के साथ गठबंधन कर सकती है। वहीं, कई सीटों पर सपा आम आदमी पार्टी के साथ भी गठबंधन कर सकती है। पिछले कुछ महीनों से यूपी में बीजेपी को टक्कर देने की बात करने वाली आम आदमी पार्टी अब सपा से गठबंधन करने को बेताब है। बीते दिनों राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अखिलेश यादव से मुलाकात की और स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी और सपा गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं।
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लखनऊ में हुई मुलाकात
संजय सिंह और अखिलेश यादव ने बीते दिन बुधवार को लखनऊ के लोहिया ट्रस्ट कार्यालय में करीब एक घंटे तक बैठक की। जिसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचले काफी तेज हो गई है। इससे पहले संजय सिंह ने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन समारोह के दौरान उनसे मुलाकात की थी।
बताया जा रहा है कि NCR और आम आदमी पार्टी की पकड़ वाली कुछ सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच बात बन सकती है। एक ओर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ‘दिल्ली मॉडल’ और ‘केजरीवाल विचारधारा’ के सहारे जनता को रिझाने के प्रयास में लगी है, तो वही दूसरी ओर श्री राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने और राम भक्तों पर गोली चलवाने वाले सपा से यूपी में गठबंधन करने के फिराक में है!
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वहीं, बीते मंगलावर को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। जिसके बाद अखिलेश ने जयंत चौधरी के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीर शेयर करते हुए गठबंधन के संकेत दिए थे। हालांकि, अंदरखाने से ऐसी खबरें भी सामने आ रही है कि दोनों ही पार्टियों के बीच सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
जिसके साथ किया गठबंधन, उसकी डूबी नैया!
दरअसल, पूर्वांचल में राजभर से गठबंधन, पश्चिमी यूपी में जयंत चौधरी की रालोद से गठबंधन और आम आदमी पार्टी से गठबंधन कर सपा यूपी विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश में लगी है। हालांकि, ये गठबंधन कब तक चलेगा और अखिलेश यादव का यह दांव कितना कमाल दिखा पाता है, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। लेकिन अगर पिछले कुछ चुनावों पर गौर करें, तो ये स्पष्ट होगा कि समाजवादी पार्टी चुनावी मौसम में नए-नए साथियों की तलाश में रहती है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर बेहतरीन दांव चला था, लेकिन अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी फ्लॉप साबित हुई थी और इस गठबंधन का प्रदर्शन काफी बुरा रहा था। अखिलेश यादव और राहुल गांधी के तर्कहीन आरोपों और झूठे वादों को जनता ने भांप लिया था और वोट न देकर सत्ता भी छीन ली। जिसके बाद अब इस चुनाव में सपा ने कांग्रेस से दूरी बना ली है।
वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन कर एक साथ चुनाव लड़ा था। बुआ-बबुआ की जोड़ी पहली बार खुले तौर पर सामने आई थी, लेकिन भाजपा की आंधी में ये ताश के पत्ते की तरह बिखर गए। चुनाव के बाद दोनों ही पार्टियों का रुख अलग हो गया। अब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में मायावती के नेतृत्व में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ रही है।
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सीएम योगी को टक्कर देने का सपना देख रहे हैं अखिलेश
गौरतलब है कि पिछले कुछ चुनावों में समाजवादी पार्टी का जिसके साथ भी गठबंधन हुआ है, उसकी स्थिति सपा की तरह ही डांवाडोल रही है। कांग्रेस और बसपा इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। अब सपा इन छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव जीतने की कोशिश में लगी है, जिनका खुद का ही जनाधार नहीं है! ऐसे पार्टियों के सहारे अखिलेश यादव, भाजपा और सीएम योगी को टक्कर देने के सपने देख रहे हैं, लेकिन पिछले साढ़े 4 सालों में योगी सरकार ने जिस तरह से राज्य के विकास समेत हर क्षेत्रों में बेहतरीन काम किया है, उसे देखकर यह प्रतीत होता है कि चुनाव जीतने का अखिलेश यादव का सपना हकीकत में परिवर्तित नहीं हो पाएगा!