भारत के बढ़ते प्रभाव को अब अमेरिका भी स्वीकार करने लगा है। इसी का एक परिणाम बीते पिछले दिनों देखने को मिला, जब बाइडन प्रशासन ने ‘यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम’ के दबाव के बावजूद भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के अपनी ‘रेड लिस्ट’ या Countries of Particular Concern में नहीं डाला।
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए ‘कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न’ यानी सीपीसी की सूची जारी की। इस लिस्ट में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, इरीट्रिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया है।
हालांकि, US Commission on International Religious Freedom (USCIRF) ने इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल करने का सुझाव दिया था, लेकिन इसके बावजूद बाइडन प्रशासन ने भारत का नाम सूची में शामिल नहीं किया। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी ‘रेड लिस्ट’ या Countries of Particular Concern (सीपीसी) पर भारत के लिए एक अमेरिकी मानवाधिकार की सिफारिश को ठुकरा दिया है।
We support open and just societies, in which all can enjoy freedom of religion or belief. Today’s designations shine a light on governments that violate religious freedom and require urgent attention & action. https://t.co/bwedH6YyEn
— Secretary Antony Blinken (@SecBlinken) November 17, 2021
‘पक्षपाती है USCIRF’
भारत भी कई अवसरों पर USCIRF को लताड़ चुका है, जिसने भारत को रेड लिस्ट में शामिल करने की मांग की थी। MEA के प्रवक्ताओं ने कहा है कि ‘USCIRF पक्षपाती है और उसे भारत और उसके संविधान की सीमित समझ है। जहां तक भारत का संबंध है, किसी अमेरिकी विदेश मंत्री ने उसकी सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं की है।‘
इस साल वर्तमान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की तरह, उनके पूर्ववर्ती माइक पोम्पिओ ने भी पिछले साल भारत को CPC के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए USCIRF की सिफारिश को अस्वीकार कर दिया था।
उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और नाइजीरिया के साथ भारत के तीन पड़ोसी देश- पाकिस्तान, चीन और म्यांमार अमेरिकी विदेश विभाग की सीपीसी सूची में हैं। USCIRF चाहता था कि विदेश विभाग भारत, रूस, सीरिया और वियतनाम को सूची में शामिल करे।
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USCIRF की कई सिफारिशों पर नहीं हुई कार्रवाई
बता दें कि USCIRF की अध्यक्ष Nadine Maenza ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को सीरिया और वियतनाम के साथ धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा करने वाले देशों की रेड लिस्ट में डालने से इनकार करने पर पुनर्विचार करने को कहा था। इस आयोग ने भारत को लेकर जिन बिंदुओं पर चिंता जताई थी, उनमें CAA भी था। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि ”दिल्ली में हुए दंगों के दौरान हिंदू भीड़ को क्लीनचिट दी गई और मुस्लिम लोगों पर अति बल प्रयोग किया गया।”
हालांकि, बाइडन प्रशासन ने इस आयोग के किसी भी बात को नहीं सुना और भारत को लिस्ट से बाहर ही रखा। USCIRF की कई सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं करते हुए, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सुझाव दिया कि सीधे तौर पर राजनयिक बातचीत में इस मुद्दे पर कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
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सूची जारी करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि “अमेरिका हर देश में धर्म की स्वतंत्रता की वकालत करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने पाया है कि दुनिया भर में बहुत से देशों में सरकारें लोगों को अपनी मान्यताओं के अनुसार जीवन जीने के कारण परेशान, गिरफ्तार कर जेल में डाल देती हैं, उन्हें पीटा जाता है। लेकिन अमेरिकी प्रशासन प्रत्येक व्यक्ति के धर्म की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करता है।”
यहां समझने वाली बात यह है कि अमेरिका द्वारा रेड लिस्ट में भारत को शामिल करने से नुकसान भारत को नहीं, बल्कि उल्टे अमेरिका को ही होगा। आज के समय में जिस तरह से वैश्विक सप्लाई चेन में उथल-पुथल मचा हुआ है, उसे देखते हुए अमेरिका, भारत को अपने खिलाफ नहीं करना चाहेगा। यही कारण है कि बाइडन प्रशासन ने USCIRF के सुझावों को स्पष्ट रूप से नकार कर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।