लाल सलाम! केरल में आप सभी का स्वागत है! यहां पर सभी पंथों का स्वागत है, विशेषकर उनका जो देश से घृणा करते हैं और देश की संस्कृति का विध्वंस करने का स्वप्न देखते हैं। इतना ही नहीं, इस राज्य में जो भी इस प्रवृत्ति के विरुद्ध आवाज उठाता है, उसे न केवल शोषित किया जाता है, अपितु उसके विरुद्ध कार्रवाई भी की जाती है। चौंकिए मत, हम आपको किसी नए हॉरर या राजनीतिक फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं सुना रहे हैं। ये केरल की वास्तविक सच्चाई है, जहां जॉर्ज ऑरवेल का ‘1984’ अक्षरश: रूपांतरित किया जा रहा है! यहां अधर्म का बोलबाला है और जो भी उसके विरुद्ध जाता है, उसका न केवल दमन किया जाता है, अपितु उसी के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाती है, जैसे इन दो मामलों में की गई है।
पुलिस हिरासत में गैर हलाल रेस्टोरेंट चलाने वाली महिला
आपको तुशारा अजित तो याद ही होगी? हां जी वही, जिसे एर्णाकुलम में गैर हलाल रेस्टोरेंट खोलने पर बुरी तरह पीटा गया था। अब तुशारा अजित और उनके पति को ही केरल पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने मुताबिक तुशारा अजित पर एक अन्य केस भी दर्ज है। इसमें उनपर नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। कोच्चि पुलिस की मानें तो ‘नो हलाल’ रेस्तराँ चलाने वाले दंपति समेत 4 लोगों को फर्जी आरोप लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। केस को आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत रजिस्टर किया गया है। वहीं, कथित तौर पर पीड़ित तुशारा अजित की ओर से कहा गया है कि जमीन को लेकर एक आपसी झड़प को पुलिस ने अनावश्यक तूल दी है, और झूठी कार्रवाई करने के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया है।
Kerala | 4 people, including a couple,who were running a 'no halal' eatery held for levelling fake allegations. Case lodged under IPC 153(A):Kochi Police Commissionerate(2.11)
The couple had earlier alleged that they were assaulted for putting up a No Halal board at their eatery
— ANI (@ANI) November 2, 2021
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पादरी ने लव जिहाद पर किया सावधान तो मामला दर्ज
लेकिन आपको क्या लगता है, ये ऐसा पहला मामला है? एक तरफ जहां कट्टरपंथी मुसलमानों के ‘तालिबानी’ अधिनियमों के विरुद्ध विद्रोह करने के पीछे तुशारा अजित को हिरासत में लिया गया, तो वहीं केरल के न्यायालय ने कोट्टायम के पाला चर्च के पादरी बिशप जोसेफ कलारंगट्ट के विरुद्ध ‘धार्मिक’ उन्माद फैलाने के लिए FIR करने का आदेश दिया है।
लेकिन इस पादरी ने ऐसा भी क्या किया जो केरल के एक कोर्ट ने ऐसा निर्णय सुना दिया? दरअसल, इस पादरी ने कुछ महीने पूर्व अपने एक वीडियो में पूरे केरल के कैथोलिक ईसाइयों को ‘लव जिहाद’ और ‘नारकोटिक्स जिहाद’ से सचेत रहने को कहा था, जिससे बाद अब केरल के एक कोर्ट ने उनपर धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है!
TFI के ही एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अनुसार, “जोसेफ कलारंगट्ट ने अपने एक वीडियो में लव जिहाद के कारण केरल में बढ़ते कट्टरता की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया था, जिसके कारण काफी विवाद उत्पन्न हुआ। स्वयं सीएम पिनराई विजयन ने इस बयान की निन्दा की थी। वहीं, कैथोलिक परिषद की ओर से भी कई तरह के सवाल उठाए गए थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि ये वही कैथोलिक परिषद है जो कुछ महीने पहले तक कम्युनिस्ट सरकार और केंद्र सरकार पर लव जिहाद के कारण लापता हो रहे महिलाओं और बच्चियों के मामलों को अनदेखा करने के आरोप भी लगा रहा था। कैथोलिक परिषद से ही जुड़े Syro Malabar Church ने स्पष्ट कहा कि लव जिहाद केरल के लिए गंभीर समस्या का विषय बनता जा रहा है”।
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केरल में अपनी मर्जी से पादरियों को बोलने की आजादी नहीं
बताते चलें कि इसी पादरी के विरुद्ध कैथोलिक परिषद की एक बैठक में ये निर्णय लिया गया कि आगे से किसी भी ईसाई धर्मगुरु को अपनी बात रखने से पहले चर्च की स्वीकृति लेनी होगी। असल में आउटलुक मैगज़ीन के रिपोर्ट के अनुसार केरल के कैथोलिक बिशप परिषद ने कोच्चि में एक बैठक आयोजित की, जिसमें ये निर्णय लिया गया कि वे अपने आधिकारिक बातचीत और धार्मिक उपदेशों के लिए ‘उचित व्यवस्था’ का प्रबंध करेंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि अब से चर्च से जुड़ा कोई भी अधिकारी बिना चर्च के परामर्श के कोई भी बयान जारी नहीं करेगा। इसमें ये भी स्पष्ट बताया गया कि ये निर्णय सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए लिया गया है।
ऐसे में केरल अपने आप में जॉर्ज ऑरवेल के ‘1984’ के काल्पनिक राज्य का जीता जागता स्वरूप है, जहां सत्य और धर्म में विश्वास रखना किसी पाप से कम नहीं है। यहां गैर हलाल रेस्टोरेंट खोलने पर महिलाओं को पीटा जाता है और फिर उन्हीं को झूठे आरोपों के अंतर्गत हिरासत में लिया जाता है, और यदि कोई अल्पसंख्यक अपने समाज को किसी कुरीति के प्रति चेतावनी दे, तो उसे भी समाज के लिए खतरा माना जाता है! वाह केरल वाह, आपकी शत प्रतिशत साक्षरता को साष्टांग प्रणाम!