भारत से लड़ाई में अपने नौसेना और वायुसेना की बलि चढ़ा रहा है चीन

युद्ध की सनक जिनपिंग को बर्बाद कर देगी!

चीन नौसेना

Source- Google

पिछले दो वर्षों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने महसूस किया है कि कैसे उनकी दोषपूर्ण सैन्य रणनीतियों ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ग्राउंड फोर्स का मजाक बना दिया है। उदाहरण के तौर पर गलवान ले लीजिये, जब भारत के शूरवीरों ने पहले से तैयार चीनी सैनिकों को धूल चटाई थी। दरअसल, पिछले एक दशक से सीसीपी ने मुख्य रूप से सिर्फ चीन की वायु सेना और नौसेना के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है। ऐसे में पीएलए ग्राउंड फोर्स एक उपेक्षित इकाई बन गई है। इस महीने की शुरुआत में पेंटागन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी ग्राउंड फोर्स “आधुनिकीकरण के मामले में PLA के भीतर पिछड़ा हुआ अंग है”। लेकिन भारत के साथ चीनी संघर्ष ने कई समीकरण बदल दिए हैं। पीएलए पहले की तरह बेनकाब हो गया है और सीसीपी का प्रोपेगेंडा उसी पर भारी पड़ा है। अब दुनिया को पता चल गया है कि कथित तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी सेना अंदर से कितनी कमजोर है।

और पढ़ें: राजनाथ सिंह ने दी पेपर ड्रैगन को चेतावनी, UNCLOS पर चीन की मनमानी व्याख्या नहीं चलेगी

अब उपेक्षित हो रही है चीन की नौसेना और वायु सेना

चीनी सेना की कथित ‘ताकत’ सिर्फ CCP के प्रचार के कारण है। PLA को CCP के द्वारा एक अजेय ताकत के रूप में पेश किया गया है, फिर भी चीनी सैनिक पिछले कुछ सालों से भारतीय सेना के आगे मुंह की खाते आ रहे हैं। जिसके बाद अब ऐसा प्रतीत होता दिख रहा है कि शी जिनपिंग ने एक बार फिर से चीन की ग्राउंड फोर्स पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जिसके परिणामस्वरूप चीन की नौसेना और वायु सेना उपेक्षित हो रही है।

भारत ने पिछले साल चीनी सेना को भारी रूप से हताहत किया और सितंबर 2020 में पीएलए की नाक के नीचे से रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर, उसकी पुंगी बजा दी। भारत ने भारत-तिब्बत सीमा पर सभी चीनी तैनाती को प्रतिबिंबित किया है, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में भी जाना जाता है। चीन को भारत से इस तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। वहीं, दूसरी ओर PLA भारतीय सेना से लड़ने के लिए अकुशल और अप्रशिक्षित भी है।

और पढ़ें: रुस से S-500 और S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदकर अमेरिका को जबरदस्त झटका दे सकता है भारत

कई तरह के संकटों का सामना कर रहा है चीन

गौरतलब है कि शी जिनपिंग और उनकी नीतियों ने चीनी सेना के आधुनिकीकरण को प्रभावित किया है। हाल ही में दो मौकों पर थिएटर कमांड का नेतृत्व सेना के जनरल के बजाए सिर्फ एक कमांडर ने किया। जिससे पता चलता है कि कैसे नौसेना और वायु सेना के साथ श्रेष्ठ व्यवहार किया जा रहा था, जबकि PLA ग्राउंड फोर्स के साथ दोयम दर्जे का। हालांकि, चीन अब सेना के जनरलों के नेतृत्व में पांच कमांड रखने के लिए फिर से प्रतिबद्ध दिख रहा है। जिससे स्पष्ट होता है कि कैसे सीसीपी कई वर्षों से ग्राउंड फोर्स की उपेक्षा करने की अपनी गलती को सुधारने की कोशिश कर रही है और इसके बजाय नौसेना और वायु सेना की अनदेखी कर रही है।

चीन एक काल्पनिक दुनिया में जी रहा है। एक ऐसा देश जिसने साल 1979 में वियतनाम के खिलाफ अपना आखिरी युद्ध लड़ा था और अपमानजनक रूप से हार गया था, उसके लिए यह केवल एक भ्रम जाल या मृगमरीचिका के समान है। भारत को चीन एक ऐसी शक्ति के रूप में देखता है, जो साल 1962 के बाद से नहीं बदला है, जब चीन ने उसे हराया था। लेकिन भारत के रणबांकुरों ने 2021 में चीन के इस भ्रम को भी चकनाचूर कर दिया।

और पढ़ें:- रक्षा क्षेत्र में भारत रचेगा नया कीर्तिमान, जल्द ही 90% रक्षा उत्पादों के निर्माण में ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा देश

मौजूदा समय में चीन आर्थिक संकट में है। यह देश ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है। इसके अलावा चीन पर खाद्य संकट के मंडराने के भी संकेत हैं। क्या भारत इनमें से किसी से भी प्रभावित है? जवाब है- नहीं! इसीलिए, LAC पर भारत के खिलाफ चीन की तैनाती और आक्रामकता से कम्युनिस्ट राष्ट्र को भारत की तुलना में अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। वास्तव में, भारत ने लगभग दो वर्षों से LAC पर अपनी आक्रामक मुद्रा बनाए रखते हुए चीन को पटखनी दी है और अब नई दिल्ली हार मानने के मूड में नहीं है।

अब जमीनी ताकत पर ध्यान केंद्रित कर रहा चीन

बताते चलें कि चीन ने ताइवान पर आक्रमण करने के उद्देश्य से अपनी नौसेना और वायु सेना पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा चीन ने नौसेना और वायुसेना को जापान का सामना करने और दक्षिण चीन सागर में अपने अलोकतांत्रिक और साम्राज्यवादी अभियान को आगे बढ़ाने के लिए तैयार कर रहा है। यह कम्युनिस्ट राष्ट्र संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ खुद को युद्ध के लिए तैयार करने के उद्देश्य से भी ऐसा ही कर रहा है।

हालांकि, भारत पिछले कुछ सालों में दुनिया का एकमात्र देश बनकर उभरा है, जिसने चीनी सैनिकों को सबक सिखाया और दुम दबाकर भागने और पीछे हटने पर मजबूर किया है। जिसके बाद सीसीपी ने पीएलए की ग्राउंड फोर्स पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। अब नौसेना और वायु सेना कथित तौर पर जिनपिंग के पसंदीदा सैन्य विभाग नहीं हैं। बताया जा रहा है कि चीन के सर्वोच्च नेता अब चीनी ग्राउंड फोर्स में एक ऐसी इकाई बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो कम से कम भारत का मुकाबला कर सके और खुद को अपमानित न करे।

Exit mobile version