रक्षा क्षेत्र में भारत रचेगा नया कीर्तिमान, जल्द ही 90% रक्षा उत्पादों के निर्माण में ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा देश

अब रक्षा क्षेत्र में नहीं पड़ेगी अत्यधिक इंपोर्ट की आवश्यकता!

RAJNATH SINGH

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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ विश्व के ताकतवर देशों में भी शामिल है। जल, थल और वायु सेना समेत अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ी देश की सुरक्षा जिम्मेदारी को बड़ी कुशलता और निडरता से निभाते हैं। सैन्य ताकत की अगर बात हो, तो भारत दुनिया के किसी भी देश को मात देने की ताकत रखता है। साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से रक्षा क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है और साथ ही देश रक्षा उपकरण के क्षेत्र में भी सशक्त हुआ है।

रक्षा उपकरणों में भारत बनेगा ‘आत्मनिर्भर’

सेना में राफेल के शामिल होने के बाद अब रूस द्वारा निर्मित S-400 मिसाइल आने से देश की रक्षा शक्ति और भी दोगुनी हो जाएगी, जिससे दुश्मन देशों पर आसानी से लगाम लगाया जा सकेगा। इसी बीच झांसी में शुरू हुए राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व के समापन सत्र में PM मोदी की उपस्तिथि में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत जल्द ही देश के भीतर 90 प्रतिशत रक्षा उत्पादों का निर्माण करेगा और वर्ष 2024-2025 तक, देश 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऐसे उत्पादों का निर्यात भी करेगा।”

रक्षा मंत्री ने राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा कि पहले, 65-70 प्रतिशत रक्षा उत्पादों का आयात किया जाता था। अब, जैसा कि हम आत्मनिर्भर भारतकी बात करते हैं, तो 65 प्रतिशत रक्षा उत्पाद अब भारत में ही बनता है। हम पहले, एक आयातक (रक्षा उपकरणों के) के रूप में जाने जाते थे। अब हम 70 देशों को निर्यात कर रहे हैं

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रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा, एक समय था, जब भारत को दुनिया में सबसे अधिक रक्षा उपकरण खरीदने वाले देशों में गिना जाता था। लेकिन आज, प्रधानमंत्री के प्रयासों से स्थिति बदल गई है।” 

अगर पिछले 65 वर्षों की बात करें, तो रक्षा मामलों में दूसरे देशों पर निर्भर रहने के कारण भारत पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता था। सैन्य औद्योगिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की कमी का सीधा संबंध राष्ट्रीय स्तर पर खराब औद्योगिक आधार से है, जो शून्य सैद्धांतिक समर्थन और कोई उत्पादन नीति नहीं है। भारत इन सभी उपकरणों से वंचित रहा, क्योंकि पिछले 65 वर्षों में थल सेना के लिए स्वीकार्य राइफल या मुख्य युद्धक टैंक, संतोषजनक फील्ड आर्टिलरी गन (155 मिमी) और लड़ाकू विमान का निर्माण पिछली सरकारों में नहीं हुआ था।

पूरे विश्व में बजेगा भारत की रक्षा प्रणाली का डंका

यह सैन्य ताकत का ही कमाल है कि जब यूरोप के पास सैन्य शस्त्र औद्योगिक क्षमता थी, तब उसने व्यवहारिक रूप से अफ्रीका और एशिया के पूरे महाद्वीपों पर लगभग दो शताब्दियों से भी अधिक समय तक शासन किया। वहीं, जर्मनी का सैन्य शस्त्र औद्योगिक सेट-अप था, जिसने उसे प्रथम विश्व युद्ध में पूरी पश्चिमी दुनिया के विरुद्ध व्यावहारिक रूप से लड़ने में सक्षम बनाया।

गौरतलब है कि विकसित होती दुनिया में सैन्य शस्त्र औद्योगिक क्षमता अब सभी देशों के रक्षा उपकरण का आधार बन चुकी है। ऐसे में, इसमें कोई संशय नहीं है कि भारत रक्षा क्षेत्र में एक और नया कीर्तिमान रचने को तैयार है। जिस प्रकार अधिक रक्षा उत्पादों को स्वदेश में बनाया जाएगा, उससे दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम होती जाएगी। दूसरे देशों की तरह भारत भी अपना हथियार अन्य देशों को बेच सकेगा, जिससे भारत की रक्षा प्रणाली का डंका पूरे विश्व में बजेगा।

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