रुस से S-500 और S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदकर अमेरिका को जबरदस्त झटका दे सकता है भारत

पहला मोबाइल स्पेशलाइज्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम है S-500

S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम

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भारत एक बार फिर से अमेरिकी प्रशासन को झटका देने वाला है। पहले S-400 की आपूर्ति की खबर से झटका देने वाला भारत अब रूस से S-500 और S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदने की बात कर सकता है। दरअसल, रूस द्वारा भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की शिपिंग शुरू करने के बाद, अब एक और रक्षा सौदा हो सकता है। रिपोर्ट की मानें तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा S-500 और S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम की खरीद का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यदि वार्ता सफल होती है, तो भारत रूसी निर्मित प्रणालियों का पहला विदेशी खरीददार बन जाएगा।

पुतिन की भारत यात्रा के दौरान हो सकती है बातचीत

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के लिए भारत आने वाले हैं। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी, पुतिन के साथ S-500 और S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम की संभावित बिक्री पर चर्चा कर सकते हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अगले महीने भारत आने की उम्मीद है, जो S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणालियों की पहली खेप की डिलीवरी के साथ मेल खा रहा है। यदि वार्ता सफल होती है, तो भारत रूस निर्मित S-500 और S-550 SAM वायु रक्षा प्रणालियों का पहला विदेशी खरीददार बन सकता है। पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी जारी है और तारीखों की आधिकारिक घोषणा किसी भी समय हो सकती है।

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रूस कर चुका है S-500 का सफल परीक्षण

रूस ने 9 नवंबर को पहली बार अपने रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया था कि मॉस्को भी S-550 वायु-रक्षा मिसाइल प्रणाली विकसित कर रहा है।

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S-500 Prometey (Prometheus) पहले ही विकसित हो चुका है और इस साल जुलाई में पहली बार इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। रूसी उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव के अनुसार, सितंबर 2021 से, रूसी सशस्त्र बलों ने अपनी पहली S-500 की डिलिवरी प्राप्त करना शुरू किया। अक्टूबर तक, मॉस्को और देश के केंद्रीय औद्योगिक क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए रूसी एयरोस्पेस फोर्सेस की 15वीं विशेष बल सेना द्वारा पहली S-500 ब्रिगेड को तैनात किया गया था।

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S-500 की परिचालन सीमा लगभग 370 मील (600 किलोमीटर) है, जिसके भीतर यह किसी भी दुश्मन के मिसाइल का पता लगा सकता है और साथ ही साथ 4.34 मील (7 किलोमीटर) प्रति सेकंड की गति से उड़ने वाले 10 बैलिस्टिक सुपरसोनिक टर्मिनल ICBM वारहेड का मुकाबला कर सकता है।

पहला मोबाइल स्पेशलाइज्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम

S-550 SAM के संबंध में, माना जाता है कि इसे S-500 Prometheus के आधार पर विकसित किया गया है। यह दुनिया की पहली मोबाइल स्पेशलाइज्ड मिसाइल डिफेंस (एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल-एबीएम) और एंटी-स्पेस डिफेंस सिस्टम है जो ICBM को प्रभावी ढंग से नष्ट करने में सक्षम है। रूस के Federal Service for Military-Technical Cooperation (FSMTC) के प्रमुख दिमित्री शुगेव के अनुसार, भारत पहला देश बन सकता है, जिसे रूस अपने सबसे उन्नत S-500 Prometheus एयर डिफेंस हथियार का निर्यात कर सकता है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत लंबे समय से रूस का रणनीतिक साझेदार रहा है। नई दिल्ली ने लंबे समय से रूसी निर्मित हथियारों पर भरोसा जताया है, जिसमें टैंक, छोटे हथियार और विमान, जहाज, एयरक्राफ्ट कैरियर (INS विक्रमादित्य) और परमाणु सहित पनडुब्बियां शामिल हैं। यही नहीं भारत S-400 भी खरीद ही रहा है। साथ ही साथ भारत और रूस संयुक्त रूप से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों का उत्पादन कर रहे हैं और KA-226T हेलीकॉप्टरों के लाइसेंस प्राप्त निर्माण पर बातचीत कर रहे हैं।

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ऐसे में अगर भारत रूस से S-500 और S-550 एंटी मिसाइल सिस्टम को खरीदने पर बातचीत को आगे बढ़ता है तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। आज पूरे विश्व में एक भी ऐसा देश या कोई महाशक्ति नहीं है, जो भारत पर प्रतिबंध लगा कर खतरा मोल लेना चाहेगा। भारत अब 1990 के दशक का भारत नहीं रहा, जब अमेरिका के प्रतिबंधों के दबाव में आकर रूस या किसी अन्य देश के साथ डिफेंस डील से पीछे हट जाया करता था।

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