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भारत का जीएसटी बूम एक सशक्त और फलती-फूलती अर्थव्यवस्था का प्रत्यक्ष प्रमाण है

GST बनाएगा भारत को आर्थिक महाशक्ति!

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
2 November 2021
in अर्थव्यवस्था
जीएसटी राजस्व

Source- Google

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अक्टूबर में माल और सेवा कर (जीएसटी) का राजस्व बढ़कर ₹1.3 लाख करोड़ हो गया है। यह बढ़ोत्तरी जुलाई 2017 में  GST शुरू होने के बाद से दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। यह कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद व्यवसायिक गतिविधियों की मजबूती का संकेत देता है। इसके साथ-साथ यह जीएसटी व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और मजबूत अनुपालन का भी संकेतक है।

अप्रत्यक्ष कर का संग्रह, जिसे व्यापक रूप से आर्थिक गतिविधि के एक मानक के रूप में देखा जाता है, लगातार चौथे महीने 1 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक सुखद अनुभूति है, क्योंकि जून में कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर के कारण कर संचयन बेंच मार्क से नीचे गिर गए थे।

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यह संख्या कई संकेतकों में नवीनतम है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार को उजागर करती है। सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों ने अक्टूबर महीने में विनिर्माण (manufacturing) के संदर्भ में क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) को 55.9 पर दिखाया, जो फरवरी के बाद सबसे अधिक है। वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले लेखा महानियंत्रक (CAG) के अनुसार, सितंबर महीने में प्रत्यक्ष कर राजस्व के साथ-साथ केंद्र सरकार के खर्च में भी वृद्धि हुई है।

GST परिषद की बहुआयामी दृष्टिकोण का परिणाम

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अक्टूबर में सकल जीएसटी राजस्व ₹1,30,127 करोड़ है, जो साल-दर-साल 24 फीसदी और अक्टूबर 2019 की तुलना में 36 फीसदी अधिक है। वहीं, इस साल अब तक का सबसे अधिक जीएसटी संग्रह ₹1,41,384 करोड़ दर्ज किया गया हैं, जो अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर से ठीक पहले दर्ज की गई थी। परन्तु, अप्रैल में राष्ट्रीय तालाबंदी के कारण इसमें सतत गिरावट एक चिंता का विषय बन चुका था।

उच्च जीएसटी राजस्व संग्रह पर टिप्पणी करते हुए वित्त मंत्रालय की ओर से एक बयान में कहा गया कि “यह आर्थिक सुधार की प्रवृत्ति के अनुरूप है। यह दूसरी लहर के बाद से हर महीने उत्पन्न होने वाले ई-वे बिल के चलन से भी स्पष्ट होता है। यदि अर्धचालकों की आपूर्ति में व्यवधान के कारण कारों और अन्य उत्पादों की बिक्री प्रभावित नहीं होती, तो राजस्व अभी भी अधिक होता।”

आपको बता दें कि ई-वे बिल माल की अंतरराज्यीय आवाजाही की मात्रा का संकेत हैं। वित्त मंत्रालय ने आगे कहा कि “राजस्व को राज्य और केंद्रीय कर प्रशासन के प्रयासों के कारण भी सहायता मिली है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले महीनों में अनुपालन में वृद्धि हुई है। व्यक्तिगत कर चोरों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा, यह जीएसटी परिषद द्वारा अपनाए गए बहुआयामी दृष्टिकोण का परिणाम है।”

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सरकार की नीतियों का असर

कंसल्टिंग फर्म डेलॉइट इंडिया के वरिष्ठ निदेशक एमएस मणि ने कहा कि अक्टूबर में उच्च जीएसटी राजस्व अनुपालन में सुधार और चोरी को हतोत्साहित करने के लिए निरंतर नीतिगत पहल के कारण यह सकारात्मक परिणाम आया है। अक्टूबर 2017 में जीएसटी संग्रह ₹93,333 करोड़, अक्टूबर 2018 में ₹1,00,710 करोड़, अक्टूबर 2019 में ₹95,379 करोड़ और अक्टूबर 2020 में ₹1,05,155 करोड़ था। मौजूदा समय में अक्टूबर 2021 में यह बढ़कर ₹1,30,127 करोड़ पहुंच गया है।

सरकार ने हाल ही में अनुपालन को आसान बनाने के लिए कई उपायों की शुरुआत की, जैसे- SMS के माध्यम से शून्य जीएसटी फाइलिंग, त्रैमासिक रिटर्न मासिक भुगतान (QRMP) प्रणाली और रिटर्न की ऑटो-पॉपुलेशन इत्यादि। सरकार जीएसटी पंजीकृत करदाताओं को SMS की एक आसान प्रक्रिया के माध्यम से शून्य रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देती है। यदि व्यवसायियों के पास ज्ञात कर चोरी की जांच करने के लिए एक विशिष्ट अवधि में कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं है, तो वे शून्य रिटर्न दाखिल कर जटिल प्रक्रियाओं और कानूनी विषमताओं से बच सकते है। जबकि क्यूआरएमपी (QRMP) छोटे करदाताओं को हर महीने कर का भुगतान करने की अनुमति देकर कागजी कार्रवाई से बचाता है।

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सरकारी प्रतिबंधों के कारण आज्ञाकारी हो गए हैं करदाता

पिछले एक साल में जीएसटी परिषद ने गैर-अनुपालन व्यवहार को हतोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए, जैसे- रिटर्न दाखिल न करने पर  ई-वे बिल को अवरुद्ध करना, 6 रिटर्न दाखिल करने में विफल रहे करदाताओं के पंजीकरण का सिस्टम-आधारित निलंबन और रिटर्न डिफॉल्टर्स के लिए क्रेडिट ब्लॉक करने जैसे उपाय अपनाए गए।

रिटर्न फाइलिंग, ई-वे बिल जेनरेशन आदि को कारगर बनाने के लिए विभिन्न उपायों के अलावा, गैर-अनुपालन करदाताओं पर लगाए गए कई प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप कई करदाता धीरे-धीरे अधिक आज्ञाकारी हो गए हैं और जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं। वे तुरंत रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि आगे भी मजबूत रेवेन्यू कलेक्शन का ट्रेंड बरकरार रहेगा।

कंसल्टेंसी फर्म ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन का कहना है कि “मजबूत जीएसटी संग्रह काफी उत्साहजनक है और आर्थिक सुधार का एक स्पष्ट संकेत है। चल रहे त्योहारी सीजन के साथ, हम आने वाले महीनों में समान या उससे भी अधिक जीएसटी संग्रह की उम्मीद कर सकते हैं।”

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GST परिषद करेगी 2 समूहों का गठन

बताते चलें कि अक्टूबर का जीएसटी राजस्व, सितंबर में हुए लेनदेन के संदर्भ में है। विशेषज्ञों का कहना है कि कर की दरों को युक्तिसंगत बनाने और उल्टे शुल्क ढांचे में सुधार, जैसे अपेक्षित सुधार “कर राजस्व” को और आगे बढ़ाएंगे। 17 सितंबर को अप्रत्यक्ष कर मामलों पर शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, अर्थात जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में कर दरों को युक्तिसंगत बनाने पर निर्णय लिया और 1 जनवरी, 2022 से कपड़ा और जूते क्षेत्रों में शुल्क को न्यूनतम करने का निर्णय लिया गया है।

जीएसटी परिषद ने मंत्रियों के दो समूहों (जीओएम) का गठन करने का भी फैसला किया है। एक समूह कर दरों को युक्तिसंगत बनाने के तरीकों की जांच करेगा और राजस्व को बढ़ावा देने के लिए छूट की समीक्षा करेगा। तो वहीं, दूसरा समूह अनुपालन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करेगा।

जीएसटी भारत का सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कर सुधार है। इसे हम भारत का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार भी कह सकते है। आप इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इस कल्पना ने अटल युग से लेकर के मनमोहन युग तक की यात्रा की, लेकिन जीएसटी मोदी युग में मूर्त स्वरुप ले सकी। कर संचयन ही सरकार के आर्थिक शक्ति का संसाधन है और कल्याणकारी राज्य की स्थापना का संकेत भी। इसके संचयन में बढ़ोतरी काफी सुखद है। इसके पीछे सरकार के अनुपालन में सुधार और व्यवसायियों के अनुशासन में आशातीत सफलता है। केंद्र सरकार की नीति ने सभी राज्यों को भी एक मंच पर लाने के दूभर कार्य को पूरा कर दिया है। व्यवसायियों के अनुशासन, केंद्र के अनुपालन और राज्य के समन्वयन से निश्चित ही राजस्व में सुधार हो रहा है और आगे भी होता रहेगा। इसकी वजह से भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर तीव्रता से अग्रसर होगा।

Tags: जीएसटीवित्त मंत्रालय
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80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़
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80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

1 November 2025

भारत-पाकिस्तान संबंध हमेशा तनाव और जटिलताओं से भरे रहे हैं, लेकिन हालिया जल-सैन्य रणनीति ने पाकिस्तान के लिए खेल बदल दिया है। सिंधु बेसिन पर...

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