देश के उत्तर-पूर्वी राज्य अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। देश की आजादी के 75 साल बाद भी अभी तक ये राज्य पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए हैं, ऐसा भी कहा जा सकता है कि ये राज्य आज़ादी के बाद से ही उपेक्षित रहे हैं। कई तरह के खनिज और जैव संसाधनों से संपन्न इन उत्तर-पूर्वी राज्यों में विकास के नाम पर पिछली सरकारों ने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है! हालांकि, मोदी सरकार के आने के बाद से स्थिति में बदलाव देखने को मिला है, सरकार ने इन राज्यों के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाए है। जिसके बाद अब उत्तर-पूर्वी राज्य नित नय आयाम गढ़ते नजर आ रहे हैं। इसी बीच खबर है कि केंद्र सरकार उत्तर-पूर्वी राज्यों को हरित ऊर्जा केंद्र बनाने के प्रयास में लगी हुई है, जहां से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को ऊर्जा की आपूर्ति की जा सके।
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हरित ऊर्जा केंद्र बनेंगे देश के पूर्वोत्तर राज्य
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तर-पूर्वी भारत के उज्जवल विकास के मुद्दे पर कहा कि “पूर्वोत्तर राज्यों से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को ऊर्जा निर्यात करना इस क्षेत्र में आर्थिक सशक्तिकरण लाएगा। भारत सरकार पूर्वोत्तर राज्यों को देश का हरित ऊर्जा केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।” केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईटी गुवाहाटी में विभिन्न सुविधाओं के उद्घाटन के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “हमारे पड़ोसियों, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को भी ऊर्जा की आपूर्ति की जा सकती है। इसी तरह आर्थिक सशक्तिकरण आएगा।”
साथ ही, उन्होंने उत्तर-पूर्वी भारत वाले राज्य को सराहा है और आने वाले भविष्य में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी भारत के सशक्त होने की बात कही है। दूसरी ओर ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि “प्रस्तावित संशोधनों से भारत में कार्बन बाजार के विकास में मदद मिलेगी और अक्षय ऊर्जा की न्यूनतम खपत ग्रिड के माध्यम से अप्रत्यक्ष उपयोग के रूप में निर्धारित होगी।”
.@IITGuwahati has to play an important role in areas like, disaster management, biodiversity-based research, green energy development, strengthening knowledge-based economy and driving entrepreneurship among the students. pic.twitter.com/sidwUpnhAR
— Dharmendra Pradhan (मोदी का परिवार) (@dpradhanbjp) November 21, 2021
ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने में होगा सक्षम होगा भारत
आपको बता दें कि भारत सरकार ने साल 2022 तक 225 गीगावॉट तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। एक स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ने के अपने अथक प्रयास में इसे भारत की सफलता का एक संकेत कहा जा सकता है। इतना ही नहीं, अपितु सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन पर 50 अरब डॉलर खर्च करने की योजना है, जो वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण और जल संसाधनों के विकास पर केंद्रित है। वैकल्पिक ऊर्जा पर भारत की क्षमता को केंद्रित करना ऊर्जा जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) पर निर्भरता को भी कम करेगा और इस प्रकार, भारत ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने में सक्षम होगा।
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विकास की गाड़ी ने स्पीड पकड़ ली है
भारत की हरित ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार जीवाश्म ईंधन(Fossil Fuel) को धीरे-धीरे अक्षय स्रोतों (renewable sources) से बदलने के लिए क्रांतिकारी कदम उठा रही है। ऐसे में, एक बात सामने आ रही है कि सौर फर्मों को विकसित करने में वर्तमान कोयला आधारित बिजली इकाइयों के संचालन की तुलना में बहुत कम लागत आएगी। सौर चार्जिंग बुनियादी ढ़ांचे के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई सुधार शुरू किए गए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर भारत में अपनी विकास पूरक योजनाओं को लेकर काम कर रही है। नतीजतन इतने सालों तक विकास के अर्थ से अपरिचित रहे पूर्वोतर भारत के राज्यों में अब विकास की गाड़ी ने तेजी पकड़ ली है।