रक्षा क्षेत्र में भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत ‘ अभियान में कर्नाटक का योगदान उत्कृष्ट एवं अतुलनीय है

कर्नाटक में डिफेंस कॉरिडोर तैयार करने पर विचार करे सरकार!

राइफल भारत

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कर्नाटक स्थित एक प्राइवेट कंपनी ने रूसी एसॉल्ट राइफल एके-47 के टक्कर की एक भारतीय एसॉल्ट राइफल को विकसित करने का दावा किया है। SSS डिफेंस नाम की कंपनी का कहना है कि वो इस समय 7.62×39 श्रेणी में एसॉल्ट राइफल विकसित कर रही है। कंपनी का मानना है कि सरकार ने इस श्रेणी में आने वाली ऑटोमेटिक राइफल के आयात पर रोक लगाई है, जिसका लाभ कंपनी को होगा। कंपनी घरेलू बाजार में ही इस श्रेणी की ऑटोमेटिक राइफल उपलब्ध कराकर भारत के आत्मनिर्भर अभियान को बढ़ावा देना चाहती है।

वर्तमान समय में भारतीय सेना तथा अन्य सुरक्षा बल सबसे बड़ी संख्या में जिस ऑटोमेटिक राइफल का उपयोग करते हैं, वह एके-47 ही है। कंपनी का दावा है कि वो न केवल एके-47 का विकल्प उपलब्ध करा सकती है, बल्कि पहले से इस्तेमाल हो रही एके-47 को अपग्रेड भी कर सकती है।

यह कंपनी पहले भी बना चुकी है एसॉल्ट राइफल

कंपनी के अनुसार, “सरकार जब विदेशों में अपग्रेड का काम करवाती है, तो इस पूरी प्रक्रिया में जितने पैसे खर्च होते हैं उतने में नई बंदूकें आ सकती हैं। ऐसे में सरकार को स्वदेशीकरण पर अधिक ध्यान देना चाहिए।” कंपनी का कहना है कि भले ही भारत सरकार रूसी कंपनी के साथ मिलकर ज्वाइंट वेंचर में अमेठी स्थित कारखाने में एके-203 राइफल का निर्माण कर रही है, लेकिन भारत की जरूरत महज़ इससे पूरी नहीं होगी।

यही कारण है कि सरकार को अमेरिका से 1,40,000 (SIG-716) बंदूक और UAE से 1 लाख CAR-816 का आयात करना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्पेशल ऑपरेशन के लिए सरकार केवल एके-203 पर भरोसा नहीं रख सकती। कंपनी का कहना है कि एके-203 इन्फेंट्री की बंदूक है ना कि स्पेशल फोर्स की। भारत की यह कंपनी पहले भी P72 RECR नामक एसॉल्ट राइफल का निर्माण कर चुकी है, ऐसे में बताया जा रहा है कि नई एसॉल्ट राइफल इसे ही विकसित करके बनाई जाएगी।

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कर्नाटक बन रहा है भारतीय डिफेंस सेक्टर का केंद्र

गौरतलब है कि कर्नाटक पिछले कुछ समय से भारतीय डिफेंस सेक्टर का केंद्र बनकर उभर रहा है, तथा भविष्य में कर्नाटक में एक बड़ी डिफेंस इंडस्ट्री तैयार होने की अपार संभावना है। इस राज्य के पास आवश्यक टेक्नोलॉजी इनोवेशन की जबरदस्त क्षमता उपलब्ध है। वहीं, प्रदेश की राजधानी बेंगलुरु, भारत के आईटी सेक्टर का मुख्य केंद्र है। ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक से बने हथियारों के निर्माण के लिए कर्नाटक सबसे अच्छी जगह है।

कर्नाटक के उद्योग मंत्री ने कुछ महीने पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री को पत्र लिखते हुए कहा था कि जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर तैयार हो रहा है, उसी प्रकार कर्नाटक में भी डिफेंस कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए।

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वर्तमान समय में भारतीय डिफेंस PSU जैसे- एचएएल, BEL आदि की प्रमुख लैब बेंगलुरु में स्थित है। साथ ही वायुयान निर्माताओं में AIRBUS, बोइंग, GE एविएशन जैसी बड़ी कंपनियां भी यहां स्थित है। इस समय भारत के 67 फीसदी एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर कर्नाटक में मैन्युफैक्चर हो रहे हैं। एयरोस्पेस सेक्टर में होने वाले निर्यात में 65 फीसदी निर्यात इसी राज्य द्वारा किया जा रहा है। इन सभी कारणों से ही बेंगलुरु, दुनिया के 10 सबसे बड़े एयरोस्पेस शहरों में से एक है।

डिफेंस कॉरिडोर तैयार करने पर विचार करे सरकार

वर्तमान समय में आवश्यकता यह है कि SSS डिफेंस जैसी अन्य कंपनियां आगे आएं और AIRBUS, SIG जैसी कंपनियों के साथ मिलकर काम करें। ग्लोबल ब्रांड के साथ जॉइंट वेंचर खोलें या जो कंपनियां पूर्णतः स्वदेशी रूप में विकास करना चाहती हैं, उन्हें केंद्र सरकार सहयोग प्रदान करे। इसके लिए भारत सरकार को SSS डिफेंस जैसी कंपनियों को बढ़ावा देना चाहिए और कर्नाटक में एक तीसरा डिफेंस कॉरिडोर खोलने पर विचार करना चाहिए।

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