जैसी समस्या, वैसा समाधान! मनुष्य को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि परिस्थितियों में लगातार बदलाव और समस्याएं आ सकती है। आधुनिक समस्या का आधुनिक हल भी है। लोग अब पहले से ज्यादा सजग है और संरचनात्मक तरीकों से इलाज ढूंढना सीख चुके हैं। लेकिन ये हम क्यों बता रहे हैं? क्योंकि केरला में मामले को सभ्यता के आधार पर होने वाले विद्रोह के रूप में भी देखा जा सकता है। केरल में थूक जिहाद का उत्तर जिस तरीके से वहां के हिन्दू और ईसाई समुदाय के लोग दे रहे हैं, वह काफी उन्नत किस्म का विद्रोह है।
क्या है पूरा मामला?
इस महीने की शुरुआत में, एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा भोजन की थाली में थूकने की एक वीडियो ने थूक जिहाद के बारे में बहस को फिर से हवा दे दी थी।
Here is a video thread of muslim cooks/qazi spitting on food and hands in the name of blessings.
Post corona, pre corona doesnt matter, things are still same. pic.twitter.com/EfobSM37wv
— D P D 🌈 | Ram Mandir Stan Acc (@kannadaveera) November 20, 2021
Ye kis tarha ki astha hai jha ek majhab ko thuk kar khana khilanne ka riwaz hai sabhi ka dharm bharasth karne ka adhikar kisne diya hai iske khilaf awaz uthana chahiye sabhi dharmarthiyo ko pic.twitter.com/agflu29HHK
— sheelwar jha writter (@sheelajha1965) November 17, 2021
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद, केरल में ईसाई समूहों ने गैर-मुसलमानों द्वारा संचालित होटलों की पहचान करने के लिए एक अभियान शुरू किया और अपने समर्थकों से केवल इन होटलों में ‘थूक मुक्त भोजन’ करने का आग्रह किया।
‘सोल्जर्स ऑफ क्रॉस’ जैसे ईसाई समूहों के सोशल मीडिया पेजों ने केरल के होटलों की सूची साझा की, जो “थूक-मुक्त भोजन” परोसते हैं। इन सूचियों में राज्य भर के विभिन्न जिलों में हिंदुओं या ईसाइयों के स्वामित्व वाले होटल शामिल हैं जिन्हें वे “थूक मुक्त होटल” कहते हैं।
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दिलचस्प बात यह है कि थूक जिहाद के खिलाफ यह विद्रोह किसी हिंदुत्व संगठन द्वारा नहीं बल्कि ईसाई समूह द्वारा शुरू किया गया है। ‘सोल्जर्स ऑफ क्रॉस’ जैसे फेसबुक पेजों ने केरल के होटलों के लिए संदेश और सूची डाली। ऐसी सूचियों में मुस्लिम बहुल कोझीकोड जिले में हिंदुओं या ईसाइयों के स्वामित्व वाले होटल शामिल हैं, जिनमें पैरागॉन, आर्य भवन और वसंत भवन शामिल हैं।
ईसाई और हिंदुत्व, दोनों समूह सक्रिय रूप से व्हाट्सएप समूहों पर “थूक मुक्त होटलों” की ज़िलेवार और यहां तक कि क्षेत्रवार सूची को सक्रिय रूप से प्रसारित कर रहे हैं। मुसलमानों के स्वामित्व वाले वह होटल जो हलाल मांस परोसते हैं, वो ईसाई समूहों के निशाने पर हैं।
ये एक तरफ से नहीं हो रहा है। दूसरी ओर से भी यह प्रयास निरंतर जारी है। ‘गैर-हलाल-थूक-मुक्त खाद्य पदार्थों’ की सूची में शामिल हिंदू-स्वामित्व वाले होटल अब एक रिवर्स अभियान का केंद्र बन गए हैं और मुसलमानों के एक वर्ग ने ऐसे होटलों के बहिष्कार का आह्वान किया है।
ऐसा ही एक कोझीकोड स्थित पैरागॉन होटल है, जिसे ‘थूक मुक्त होटल’ सूची में भी शामिल किया गया था, उसे कुछ मुस्लिम समूहों से बहिष्कार के खतरे का सामना करना पड़ा है। पैरागॉन प्रबंधन को एक बयान जारी करने के लिए मजबूर किया गया था कि वे स्वीकार करें कि वह उन अभियानों के पक्ष नहीं है जिनका उद्देश्य समाज में सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना है।
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सभी धर्म और सम्प्रदाय से मिल रही है स्वीकृति
चूंकि भोजन में “थूकने” का मुद्दा स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, इसके खिलाफ घृणा अभियान को समाज के पूरे स्पेक्ट्रम से स्वीकृति प्राप्त हुई है। यह अभियान बहुत व्यापक हो गया है और सभी हलाल-प्रमाणित खाद्य पदार्थों को अब जानबूझकर “थूक वाले भोजन” के रूप में वर्गीकृत किया जा रहा है। यानी मांस तो मांस, हर वो चीज जिसपर हलाल टैग लगा हुआ है, उसे थूक युक्त सामग्री माना जा रहा है।
पिछले कुछ समय से केरला में ऐसी गतिविधियों पर प्रतिक्रियवादी अभियान शुरू हो गए हैं। जनवरी 2020 में, सिरो मालाबार चर्च के प्रमुख कार्डिनल मार जॉर्ज एलेनचेरी ने एक “लव जिहाद” परिपत्र जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि “केरल की ईसाई महिलाओं को भी इसके माध्यम से इस्लामिक स्टेट में भर्ती किया जा रहा है।”
बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट ने सितंबर में एक समारोह में कहा था कि केरल में गैर-मुसलमानों को “नारकोटिक जिहाद” के तहत लक्षित किया जाता है, जो महिलाओं को लुभाने और उन्हें नशे की लत में बदलने की एक परियोजना है। सामाजिक संबंध जून में और तनावपूर्ण हो गए जब ईसाई युवाओं के एक समूह ने कॉन्फ्रेंसिंग ऐप क्लबहाउस पर मुस्लिम समुदाय के बारे में कई अपमानजनक टिप्पणियां की थी।
हर संघर्ष के चेहरे होते हैं। कासा के एक सदस्य जॉय अब्राहम ने कहा कि वे पिछले दो वर्षों से केरल में ‘हलाल आक्रमण’ के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। “पिछले कुछ वर्षों से, अरब खाद्य संस्कृति ने राज्य पर बड़े पैमाने पर आक्रमण किया है। भारत के नागरिक होने के नाते, हम ऐसा नहीं होने दे सकते। मुस्लिम खाद्य निर्माताओं को ‘हलाल’ प्रमाणीकरण के नाम पर आरक्षण मिल रहा है जबकि अन्य को इस प्रकार के अवसरों से वंचित किया जाता है। उदाहरण के लिए , ‘हलाल’ प्रमाणित उत्पाद बनाने के लिए कंपनी को मुस्लिम समुदाय के कम से कम 10 सदस्यों को नियुक्त करने की आवश्यकता होती है। हम एक विशेष संस्कृति के इस आक्रमण के खिलाफ हैं।”
थूक जिहाद का उत्तर, आर्थिक आतंकवाद से देकर केरल के ईसाइयों ने कट्टरपंथियों की नींद उड़ा दी है। शासन प्रशासन चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि क्या है ना भैया! आप किसी एक व्यक्ति को दबाव में खरीदारी नहीं करा सकते हैं!
https://youtu.be/b-_aYgOwuFI