आखिर किसके पैरों में गिरे सलमान? कौन है जिसको बाहों में भर रहे हैं सलमान खान? TRP का खेल एक ऐसा खेल है, जिसके कारण ही कई मीडिया घराने चल रहे हैं। TRP के लिए ही कई बार ऐसे ही विषयों पर वीडियो बनाये जाते हैं, जैसे ऊपर बताए गए है। सलमान खान भले ही अपनी मां के पैरों को छू रहे हो और अपनी बहन को गले मिल रहे हो लेकिन इन्हें तो तिल का ताड़ बनाना है। इससे भी ज्यादा बुरा है TRP और अजेंडा की मिलीभगत का नतीजा एक स्क्रिप्टेड इंटरव्यू। जिसमें सामान्य-सी दिखने वाली चीज, असल में एक पटकथा से ज्यादा कुछ नहीं है।
ऐसा ही एक स्क्रिप्टेड वीडियो यूपी तक ने कल बनाया। इस वीडियो में केंद्र में एक मुसलमान व्यक्ति है, जो ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर रोने लगता है। यूपी तक के वीडियो में लगभग 4 मिनट 45 सेकंड बाद एक व्यक्ति, जिसका नाम नौशाद आलम है वह आकर कहता है कि वह कोलकाता से है और एक आगंतुक है और नए बने भव्य मंदिर के बगल में मस्जिद में नमाज़ अदा करने आया था।
नौशाद बताता है कि, “मैं यहाँ की स्थिति को नहीं समझता। उन्होंने मस्जिद को छुपाया है और मंदिर को इतने भव्य तरीके से बनाया गया है। यह क्या है? मैं यहां का टूरिस्ट हूं। मैं चीजें देख सकता हूं, मुझे दर्द महसूस होता है, आप जानते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि पूरी मस्जिद छिपी हुई है, आलम ने थोड़ा गुस्सा किया और कहा, “क्या आप नहीं देख सकते? क्या आप मस्जिद देख सकते हैं? मैं कोलकाता से हूं, मुझे दर्द हो रहा है। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। आप सभी तथ्यों को कैसे छिपा सकते हैं। आप सभी को देखना चाहिए कि क्या हो रहा है। यह सहिष्णु नहीं है। लोग गुमराह हो रहे हैं।”
कितने आहत हुए हैं चिचा, औरंगजेब मोदीजी को कभी माफ़ नहीं करेगा! pic.twitter.com/fH8WEij0l2
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) December 16, 2021
यूपी तक की रिपोर्टर सुषमा पांडेय ने नौशाद को हिंदी में स्विच करने के लिए कहा ताकि उसका दर्द व्यापक दर्शकों तक पहुंच सके। उन्होंने आगे सवाल किया कि क्या दूसरी चीज को भव्य बनाते हुए एक चीज को छिपाना उचित है? इसपर नौशाद ने कहा कि, “यह हिंदुस्तान और लोकतंत्र है और सभी को अधिकार प्राप्त है। संविधान समान अधिकार देता है, क्या आप किसी के अधिकारों को दबा सकते हैं? क्या यह सही है?”
नौशाद ने आगे कहा कि वह पहली बार दर्शन कर रहे हैं और पहली बार मस्जिद में नमाज अदा की है। “मुझे इतना दर्द हो रहा है कि मुझे 40 वर्षों में कभी भी इतना दर्द नहीं हुआ।”
जब यूपी तक के पत्रकार ने आलम को भावुक होते देखा तो उन्होंने पूछा, ”आप इमोशनल हो गए हैं।” जिस पर आलम रो पड़ा। जैसे ही वह रोने लगा, पत्रकार ने उसे सांत्वना देने की कोशिश की और उससे पूछा कि क्या उसे लगता है कि एकतरफा विकास हो रहा है?
“छोड़ो विकास! किसी के अधिकार को दबाया जा रहा है”, आलम ने अपने आँसुओं को छिपाने की कोशिश करते हुए दूर जाने से पहले रिपोर्टर को कहा।
यूपी तक के इसी वीडियो में एक हिन्दू ने भी अपनी बात को कहना चाहा, लेकिन रिपोर्टर ने उसकी बातों को एकदम सिरे से नजरअंदाज कर दिया और उसे पुलिस बुलाने की धम्की दी।
जिस उद्देश्य के साथ वीडियो बनाया गया था, वह सफल भी हुआ। एक दिन में ढाई लाख से ज्यादा लोगों ने वीडियो को देखा। बात मिला जुलाकर यह है कि कोई भी व्यक्ति यह देखकर बता सकता है कि यह वीडियो एक पटकथा पर चल रही थी। पत्रकारिता के उसूलों को ताक पर रखकर ये काम किया जा रहा था। पत्रकार सांत्वना दे रही है और नौशाद आलम जिस हिसाब से भावुक हो रहा है, वह पूर्ण रूप से लिखित लगता है। यह न्यूज चैनल के नाम पर नौटंकी है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए, उतनी कम है। हमारे मंदिरों का गौरव, आक्रांताओं की सच्चाई, हिन्दुओं पर अत्याचार और इतिहास को ऐसी प्रोपगेंडा विडियो से छुपाया नहीं जा सकता।