एक ओर मोदी सरकार जहां नागरिकों के कल्याण के लिए अथक प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर गैर-भाजपा सरकारें उनकी टांग खींचने में लगी हैं। राज्य सरकारों के इस ओछी राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण अभी झारखंड के सोरेन सरकार में देखने को मिल रहा है। करीब तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड से आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी। योजना का प्राथमिक उद्देश्य देश भर के गरीब लोगों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है। झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को आयुष्मान भारत योजना से भारी लाभ की उम्मीद है, क्योंकि इन राज्यों में बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
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परंतु, कई राज्य सरकारें जनता के लाभ हेतु भेजे गए केंद्र सरकार के अनुदान को या तो खर्च नहीं करती या खुद ही दबा जाती हैं। झारखंड की सोरेन सरकार ने टीकाकरण के मामले में कथित तौर पर ऐसा ही किया। अब वो “आयुष्मान भारत” के मामले में भी ऐसा ही करते दिख रही हैं। हेमंत सोरेन सरकार ने अब आयुष्मान भारत के तहत लाभार्थियों को उपलब्ध कराए जाने वाले निःशुल्क रक्त पर शुल्क लगा दिया है।
सरकार ने जारी किया आदेश
मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 20 नवंबर को इस संबंध में आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार झारखंड में आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिए रक्त लेने वाले निजी अस्पतालों को सरकार द्वारा संचालित ब्लड बैंकों से रक्त प्राप्त करने के लिए भुगतान करना होगा। दरअसल, राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) ने वहां भर्ती मरीजों से पैसे वसूलने का आदेश पहले ही जारी कर दिया था।
RIMS ने निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे किसी भी मरीज को दिए जाने वाले रक्त के प्रति यूनिट प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में 1,050 रुपये तय किए हैं। इसके अलावा, RIMS ने फ्रोजन फ्रेश प्लाज्मा और प्लेटलेट कंसंट्रेट के लिए 300 रुपये और क्रायोप्रिसिपिटेट के लिए 200 रुपये चार्ज करने का आदेश जारी किया है। रांची निवासी विमल कृष्णन ने लगभग चालीस बार अपना रक्तदान किया है। वो कहते हैं कि यह हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार का एक और निम्न स्तर है।
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मरीजों को मुफ्त में मिलना चाहिए रक्त
गौरतलब है कि यह आदेश शासन का निकृष्टतम स्तर दर्शाता है। हेमंत सोरेन सरकार इससे नीचे नहीं गिर सकती! केंद्र सरकार ने बीपीएल मरीजों को आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख का बीमा दिया है। अतः मरीजों को कानून के अनुसार रक्त मुफ्त में मिलनी चाहिए। लेकिन, मोदी सरकार के साथ अपने पूर्वाग्रहों के चलते जिस तरह वो जनता के साथ अन्याय कर रहे हैं, वो अक्षम्य है। स्वयं सोचिए, एक गरीब बीपीएल कोटे का इंसान एक यूनिट रक्त के लिए 1050 का शुल्क कैसे वहन कर पाएगा और तब क्या होगा अगर किसी मरीज को 10 यूनिट रक्त की जरूरत पड़ जाए?