5 वर्ष पूर्व, जब देश में टुकड़े-टुकड़े गैंग के नारे गूँजे थे, तब दो नाम सबसे प्रमुख तौर पर सामने आए थे – कन्हैया कुमार और उमर खालिद, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के खेत में सींचे गए यह कली धीरे-धीरे कब भारतीय राजनीति के विषबेल बन गए, किसी को नहीं पता चला। PM मोदी के विरोध के नाम पर विपक्ष, और प्रमुख तौर पर राहुल गांधी ने इन्हे भरपूर समर्थन दिया।
लेकिन समय बदलते देर नहीं लगती। पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों को भड़काने के आरोप में जहां उमर खालिद को हिरासत में लिया गया, तो वहीं कन्हैया कुमार ने कम्युनिस्ट पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। परंतु उमर खालिद के साथ विश्वासघात का क्या हुआ? असल में सोशल मीडिया पर हाल ही में एक क्लिप वायरल हुई, जहां उनसे पूछा गया कि उमर खालिद आप के दोस्त हैं, तो बीच में ही बात काटते हुए कन्हैया कुमार बोले, “कौन बताया?”
https://twitter.com/AshrafFem/status/1472802595525705743
जी हाँ, इस समय लगभग सभी वामपंथियों का कुछ ऐसा ही हाल है। Irena Akbar ट्वीट करती है, “जो मित्र आपको संकट में त्याग दे, उससे बड़ा गद्दार कोई नहीं हो सकता। वो सामने से वार करने वाले दुश्मन से भी घटिया है। कन्हैया कुमार जैसे अवसरवादी कभी उमर खालिद के योग्य थे ही नहीं। अच्छा हुआ नाता तोड़ लिया, और ये हम मुसलमानों के लिए भी सबक है। हम सब अकेले हैं”
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A friend who abandons you in your tough times is no less than a backstabber. He’s worse than an upfront enemy. Kanhaiya Kumar, the selfish, opportunistic coward didn’t deserve Umar Khalid’s friendship. Good riddance for Umar. And a lesson learnt for Muslims. We are in this alone. https://t.co/xMJJzPtzCD
— Irena Akbar (@irenaakbar) December 20, 2021
एक अन्य व्यक्ति ने कन्हैया के जातिवाद की पोल खोलते हुए कहा, “कन्हैया, जो स्वयं भूमिहार है, पहले रोहित वेमुला की मृत्यु का उपयोग अपने करियर को सँवारने के लिए करता है, और फिर वही काम उमर खालिद के साथ भी करता है, और फिर उसे दरकिनार भी कर देता है” –
Kanhaiya Kumar Bhumihar has used Rohith Vemula institutional murder to make his own political career. Now he don’t know who is Umar Khalid.
Shame to all those savarna journalists and activists who has supported him over the dalit and muslim leadership.
— Harsh (@_ambedkarite) December 20, 2021
परंतु यह तो कुछ भी नहीं है। स्वघोषित पत्रकार एम रियाज़ ने ट्वीट किया, “बताइए, कई वामपंथी और मुसलमान चाहते थे कि इनके लिए हम RJD के आधिकारिक उम्मीदवार को दरकिनार कर दें। आज जो रंग ये दिखा रहा है, इसका बस चले तो मीरान हैदर और उमर खालिद से अलग करने के लिए ये किसी भी हद तक गिर सकता है”
Many Liberals and Muslims wanted wanted Muslims to vote for him over RJD official candidate.
This fraud would not even comment and go any distance to disassociate himself from Umar Khalid and Meeran Haider. https://t.co/JJJ9UweNWf
— M Reyaz, PhD || محمد ریاض (@journalistreyaz) December 20, 2021
अब वामपंथी चाहे जितना व्यथित महसूस करें, दीवार से बात कर वे कुछ विशेष उपलब्धि नहीं अर्जित करेंगे, क्योंकि विश्वासघात करना कन्हैया का स्वभाव है। जिसने राजनीति के लिए अपने पिता तक को नहीं छोड़ा, आप उनसे उमर खालिद को बचाने की आशा करते हैं, तो आप वास्तव में हंसी के पात्र ही हैं।