भारत ने दर्ज की GDP में 8.4 की अप्रत्याशित वृद्धि और चीन है मीलों पीछे

मोदी है तो संभव है!

Modi and जीडीपी वृद्धि

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कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर के बावजूद जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय आर्थिक विकास ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 8.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर्ज कर मील का पत्थर छू लिया है। इन आंकड़ो के साथ भारत ने महामारी पूर्व अर्थव्यवस्था के स्तर को पार कर लिया है और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के टैग को बनाए रखा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया है कि आठ प्रमुख उद्योगों के संयुक्त उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

वरिष्ठ अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने रॉयटर्स को बताया, “Q2 के लिए 8.4% की जीडीपी वृद्धि इस बात की पुष्टि करती है कि अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में तेज रफ्तार प्राप्त किया है। आपूर्ति क्षेत्र, कृषि विकास के साथ साथ सेवा क्षेत्र में 10.2% की वृद्धि के साथ वित्तीय और रियल एस्टेट क्षेत्रों में भी सुधार हुआ है।”

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चीन की सुस्त वृद्धि

इसी बीच कम्युनिस्ट पार्टी चीन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चीन में जुलाई-सितंबर में पहले की तुलना में 4.9 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि हुई है, जो 2020 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे कमजोर गति है और दूसरी तिमाही की अपेक्षा 7.9 प्रतिशत धीमी रही है। वहीं, चीन के विपरीत जाते हुए भारत की विकास की कहानी, कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते उत्पादन से प्रेरित थी। अक्टूबर 2021 में आठ प्रमुख उद्योगों का संयुक्त सूचकांक 136.2 था, जो अक्टूबर 2020 के सूचकांक की तुलना में 7.5 प्रतिशत बढ़ गया है। कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली उद्योगों का उत्पादन भी अक्टूबर 2021 और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ा है।

गंभीर संकट में है चीन

TFI ने पहले ही बताया है कि मौजूदा समय में चीन कोयले की गंभीर कमी और ऊर्जा संकट समेत कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है। पिछले साल बीजिंग ने ऑस्ट्रेलियाई कोयले पर एक अनौपचारिक प्रतिबंध लगाया था, जिसके कारण कम्युनिस्ट राष्ट्र के दक्षिणी प्रांतों में अंधेरा छा गया था।

चीन दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता है। साम्यवादी राष्ट्र अभी भी अपनी कुल ऊर्जा खपत के एक हिस्से के रूप में 56% से अधिक कोयले की खपत करता है। चीन में थर्मल पावर पर इतनी निर्भरता का मतलब है कि कोयले की आपूर्ति में किसी भी तरह की गिरावट, पर्याप्त बिजली पैदा करने की उसकी क्षमता को नुकसान पहुंचाती है।

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इसके अलावा, कोयले जैसी सामग्री (जो दोबारा इस्तेमाल नहीं हो सकती है) की कमी के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में, चीन को एल्युमीनियम स्मेल्टर से लेकर कपड़ा और यहां तक ​​कि खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों जैसे सोयाबीन संयंत्रों तक को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश की बड़ी तकनीकी कंपनियों पर नकेल कस रहे हैं। समस्याओं के बीच Evergrande समेत कई दिग्गज रियल एस्टेट कंपनियों के दिवालिया होने के साथ बड़े पैमाने पर समस्या पैदा हो गई है।

बेहतर स्थिति में पहुंच रहा है भारत

एक ओर चीन की हालत दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि ने शानदार आंकड़े दर्ज किए हैं। हाल ही में TFI द्वारा यह भी बताया गया था कि आर्मचेयर, वाम-उदारवादी अर्थशास्त्रियों के उदास चेहरों के बीच भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत की रिकॉर्ड गति से बढ़ी थी।

इसके अलावा बुधवार (1 दिसंबर) को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा नवंबर महीने का GST संग्रह घोषित किया गया और इस बार का कुल कलेक्शन 1,31,526 करोड़ रुपये है। जो पिछले साल के इसी महीने में GST राजस्व से 25 प्रतिशत और 2019 से 27 प्रतिशत अधिक है।

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यहां तक ​​​​कि वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी अक्टूबर में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण को नकारात्मक से स्थिर कर अब संशोधित किया है। मूडीज का मानना ​​​​है कि स्थिर बैंकिंग क्षेत्र की सहायता से भारत की अर्थव्यवस्था अगले 12-18 महीनों में चमत्कारिक रूप से ठीक होती रहेगी। साथ ही मार्च 2022 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद 9.3 प्रतिशत और अगले वर्ष 7.9 प्रतिशत बढ़ जाएगा।

गौरतलब है कि महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के बाद, मोदी सरकार के बेहतरीन प्रयासों से भारतीय अर्थव्यवस्था एक नए मुकाम पर पहुंचते दिख रही है, यह भी कहा जा सकता है कि देश अब अच्छे दिनों की ओर अग्रसर हो रहा है। रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह, बैंकिंग क्षेत्र को स्थिर करना और बढ़ती GDP संख्या इस बात के संकेतक हैं कि अर्थव्यवस्था महामारी से बाहर आ रही है और दमदार तरीके से आगे बढ़ते जा रही है। सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार के पास व्यापक सुधार करने हेतु अभी भी काफी वक्त बाकी है।

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