यूनाइटेड ब्रुअरीज और यूनाइटेड स्पिरिट्स के 64 वर्षीय पूर्व प्रमुख, जिन्हें भारत में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। जिन्हें ब्रिटेन से भारत में प्रत्यर्पित करने के लिए दोनों देशों के बीच कानूनी युद्ध चल रहा हैं। धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के महारथी, 28 वर्ष की आयु में ही भव्य व्यापारिक साम्राज्य के संचालक और पता नहीं क्या-क्या। जी हां! हम बात कर रहे हैं भगोड़े विजय माल्या की और उनके पतन की। वो हमेशा अपने तेजतर्रार, आडंबर और असाधारण अंतरराष्ट्रीय जीवन शैली के लिए सुर्खियों में रहे हैं।
माल्या सफल लेकिन मितव्ययी पेय उद्यमी विट्ठल माल्या के इकलौते संतान हैं, जिन्होंने यूबी और यूएसएल दोनों की स्थापना की थी। जब विट्ठल माल्या बैंगलुरु में अपनी शराब की भठ्ठी चलाते थे, तो विजय माल्या को उनकी मां ने कोलकाता में पाला था। लेकिन वो अपने पिता के दबाव में थे, क्योंकि उन्होंने कहा था कि जब तक विजय योग्य नहीं होंगे और कड़ी मेहनत नहीं करेंगे, तब तक उन्हें पारिवारिक व्यवसाय विरासत में नहीं मिलेगा।
कई रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि इस पैतृक दबाव ने बेटे के लिए असुरक्षा पैदा कर दी, जो कम उम्र से ही काफी खर्चीला था। लेकिन जब विट्ठल माल्या की अचानक मृत्यु हो गई, तो उनकी इकलौती संतान विजय माल्या को सब कुछ विरासत में मिल गया। उन्होंने तुरंत एक ऐसे करियर की शुरुआत की, जिसने यूबी समूह को एक बहुराष्ट्रीय समूह में बदल दिया, जिसके पास भारतीय बीयर बाजार का 50 फीसदी से अधिक का हिस्सा था और यह समूह देश का सबसे बड़ा स्पिरिट उत्पादक था।
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माल्या के पास था गोल्डन टच
जब उन्हें यूबी समूह विरासत में मिला, तो उनकी कंपनियों ने एक साल में सिर्फ 2.5M यूनिट ड्रिंक बेचे, फिर भी वर्ष 1995 तक उनका पेय साम्राज्य दुनिया का दसवां सबसे बड़ा साम्राज्य था। वर्ष 2001 तक यह कंपनी स्पिरिट के 26 मिलियन यूनिट बेच रही थी। एक समय पर उन्होंने टैटिंगर शैंपेन हाउस तक को खरीदने की कोशिश की थी। माल्या के पास गोल्डन टच था। नई सहस्राब्दी की शुरुआत के रूप में किंगफिशर बियर ब्रांड वैश्विक हो गया था। शायद इसीलिए हम उन्हें किंग ऑफ गुड टाइम्स के नाम से भी जानते हैं।
वो इंडियन प्रीमियर लीग में क्रिकेट फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और कैरिबियन लीग में बारबाडोस ट्राइडेंट्स टीम के मालिक भी हैं। वो फोर्स इंडिया फॉर्मूला-1 ग्रैंड प्रिक्स रेसिंग टीम के प्रमुख समर्थक थे। निजी जेट से यात्रा करते थे, एक लक्जरी नौका के मालिक थे, उनके पास प्रतिष्ठित विंटेज कारों का एक बेड़ा था और वो दुनिया भर में शानदार बंगलों में रहते थे। भारत में उन्हें लगातार बॉलीवुड सितारों की संगति में देखा गया।
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2005 से शुरु हो गया माल्या का पतन
विजय माल्या के साथ वर्ष 2005 में पतन होना शुरू हो गया, जब उन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस शुरू की थी। यहीं से उनका गोल्डन टच खत्म हुआ। उन्होंने अपने एयरलाइंस को “हवा में पांच सितारा होटल” के रूप में स्थापित किया, लेकिन कंपनियों के कम लागत वाले व्यापार मॉडल के आगे वो टिक नहीं पाए। एयरलाइन ने कभी लाभ नहीं कमाया और जैसे ही वर्ष 2007-08 में वैश्विक मंदी आई, उनका व्यवसाय मॉडल संकट में पड़ गया। ईंधन की लागत बढ़ गई, यात्रियों की संख्या कम हो गई और वर्ष 2012 में उनकी एयरलाइन कंपनी ध्वस्त हो गई, जिसने कभी लाभ नहीं कमाया।
लेनदारों ने व्यक्तिगत रूप से माल्या द्वारा पुनर्भुगतान की मांग की, विमान को जब्त कर लिया गया और हजारों कर्मचारियों को अवैतनिक छोड़ दिया गया। सभी 17 भारतीय बैंकों ने मिलकर दावा किया कि माल्या पर मूलधन और ब्याज मिलाकर 12 हज़ार करोड़ से अधिक का बकाया है। उन्होंने दावा किया कि माल्या का कभी भी इसे चुकाने का इरादा नहीं था। माल्या के खिलाफ आरोप लगाया गया कि उन्होंने किंगफिशर को विदेशों में संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल किया। यह भी दावा किया गया कि $40 मिलियन निवेशकों का पैसा उनके बच्चों को दिया गया था। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। मार्च 2016 में उनके लिए गिरफ्तारी वारंट जारी होने की पूर्व संध्या पर वो लंदन भाग गए थे। यूके कोर्ट ऑफ अपील ने अब फैसला सुनाया है कि उन आरोपों का जवाब देने के लिए, उन्हें भारत भेज दिया जाना चाहिए।
किसी सिनेमा की तरह है माल्या के उत्थान और पतन की कहानी
विजय माल्या ने हमेशा कहा है कि एयरलाइन का पतन एक साधारण व्यावसायिक विफलता थी और भारत में उन्हें निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी, जहां उन्हें पहले ही एक विलफुल डिफॉल्टर और एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा चुका है। हालांकि, ब्रिटेन की अदालतों ने उन दलीलों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि पैसा व्यवसाय को दिया गया था, उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं। अगर बैंक मान जाते, तो किंगफिशर कर्ज चुकाने में सक्षम होने के लिए सॉल्वेंसी के लिए अपना रास्ता तय कर सकता था।
मार्च 2016 में लंदन भाग जाने के बाद अदालतों ने दुनिया भर में उनकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया। MEA ने पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 10(3)(C) और 10(3)(H) के तहत माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया। अब माल्या का प्रत्यर्पण और भारतीय कानूनों के तहत सजा नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक राजनीतिक आवश्यकता बन गई है।
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विजय माल्या का उत्थान और पतन किसी सिनेमा की तरह है। वर्ष 1983 में यूबी समूह के अध्यक्ष बनने, अपने पिता विट्ठल माल्या से व्यापारिक साम्राज्य को संभालने के बाद माल्या ने देश के सबसे बड़े व्यापारिक साम्राज्यों में से एक पर शासन किया और अंत में इस मुकाम तक पहुंचे। वो इस व्यवसाय के महारथी थे और अब भी हैं। लेकिन, वो अपने कुछ गलत फैसलों और अति सुविधाजनक जीवन के कारण पतन की जाल में फंस गए। उनकी कहानी बॉलीवुड मसाला फिल्म के लिए सभी उचित कंटेंट उपलब्ध करा सकता है। बेशक, कहानी का क्लाइमेक्स अभी स्क्रिप्टेड नहीं है!