चीन की हैकर आर्मी लोकतांत्रिक देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। चीन की सरकार द्वारा सैकड़ों हजारों व्यक्तियों की साइबर आर्मी तैयार की गई है, जिसका प्रयोग करके चीनी सरकार दूसरे देशों पर साइबर अटैक करती है। भारत, इजरायल, अमेरिका जैसे कोई ऐसे बड़े देश नहीं बचे हैं, जिस पर साइबर अटैक ना किया गया हो। साइबर अटैक का उपयोग करके दूसरे देशों की महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाना, उनकी इंटरनेट फैसिलिटी को बंद करना, वेबसाइट और सर्वर को काम करने से रोकना, जिससे दूसरे देश को आर्थिक नुकसान हो, यह सभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हथकंडे बन गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक चीन के पास इस समय एक लाख के करीब हैकर की एक फौज है, जो 9:00 से 6:00 की ऑफिस ड्यूटी पर काम करते हैं। चीन ने हैकिंग को एक प्रशासनिक ढांचा प्रदान कर दिया है।
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चीनी हैकिंग वेबसाइट्स पर Microsoft का नियंत्रण
अब लोकतांत्रिक देशों के पास इससे बचने का क्या मार्ग है? एक रास्ता है, चीन साइबर वार फेयर के लिए भी एक वेबसाइट का प्रयोग करता है। इस वेबसाइट का प्रयोग करके दूसरे देशों की वेबसाइट से महत्वपूर्ण जानकारियां निकाली जाती है। चीन के हैकर्स के लिए यह वेबसाइट अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही उनका आधार है। ऐसे में अगर इस वेबसाइट पर ही दूसरे देश हमला करें, तो चीनी हैकर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। सुनने में यह काल्पनिक लग रहा है, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट ने यही रणनीति अपनाकर चीनी हैकर्स को रोका है।
माइक्रोसॉफ्ट ने वह कर दिखाया है, जो अब तक कोई और नहीं कर सका था। चीनियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने कई ऐसी वेबसाइट को सीज कर दिया है, जिसका प्रयोग चीनी हैकर दूसरे देशों की वेबसाइट पर हमले के लिए करते थे। माइक्रोसॉफ्ट ने खुलासा किया है कि उसने संयुक्त राज्य अमेरिका समेत 29 विभिन्न देशों में संस्थाओं को लक्षित करने के लिए, चीन समर्थित हैकिंग समूह द्वारा उपयोग की जाने वाली, कई वेबसाइटों का नियंत्रण जब्त कर लिया है। अब हैकर्स द्वारा इनका प्रयोग नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि इनका नियंत्रण माइक्रोसॉफ्ट के पास आ चुका है। यह पहला और अनोखा उदाहरण है, जब किसी बिग टेक कंपनी ने चीनियों को सबक सिखाया है।
युद्ध की नई तकनीक बन चुका है हैकिंग
हैकिंग वर्तमान समय में युद्ध की एक नई तकनीक बन चुका है और सभी देश इस पर कार्य कर रहे हैं। लेकिन चीनियों की हैकिंग आर्मी अलग है, क्योंकि यह एक संस्थागत रूप ले चुकी है। दुनिया में कोई और देश ऐसा नहीं है, जहां 1,00,000 लोग केवल हैकिंग के काम में लगे हैं। ताइवान स्थित साइबर सुरक्षा से जुड़े फर्म, CyCraft टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन के मैनेजर कैड डफी ने बताया ‛ये (चीन के) बड़े परिष्कृत हैकिंग समूह हैं, जो अक्सर राज्य प्रायोजित या कभी-कभी आपराधिक संगठन होते हैं। आम तौर पर कुछ चीजें हैं कि उनके पास बहुत परिष्कृत हैकर्स की एक बड़ी टीम है, बहुत सारे वित्तीय संसाधन हैं और ये अक्सर किसी व्यवसायिक संगठन की तरह कार्य करते हैं, जिसमें विशिष्ट कार्यों के लिए विशिष्ट इकाइयां होती है।’
CyCraft ने हैकर्स के एक समूह की गतिविधियों पर निगरानी रखी, तो पता चला कि यह समूह एक तय समय सारणी के अनुसार कार्य करते हैं। डफी ने बताया ‛यह समूह कॉरपोरेट इकाई की तरह संचालित होता है। हैकर एक अनुशासित नौ से छह टाइमलाइन पर काम करते हैं। चीनी छुट्टियों के दौरान कोई कार्य नहीं होता और देर रात में थोड़ा बहुत कार्य होता है। ये सभी पहलू एक बहुत बड़े और परिष्कृत बुनियादी ढांचे को इंगित करते हैं।’
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Nickel को 2016 से ही ट्रैक कर रहा था Microsoft
स्पष्ट है कि जैसे अन्य देशों में व्यापारिक प्रतिष्ठान और सरकारी संस्थाएं कार्य करती हैं, वैसे ही चीन में हैकर्स कार्य कर रहे हैं। जब अपराधियों को सरकारी संरक्षण प्राप्त हो और अपराध के लिए बड़ा वेतन दिया जाए, तो परिस्थितियां कितनी गंभीर हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अमेरिका की वर्जीनिया स्थित फेडरल कोर्ट ने माइक्रोसॉफ्ट को चीनी हैकर्स द्वारा प्रयोग की जा रही एक वेबसाइट, ‛Nickel’ या जिसे APT15 नाम भी दिया गया है, का नियंत्रण लेने की अनुमति दे दी है। अब माइक्रोसॉफ्ट की डिजिटल क्राइम यूनिट इस वेबसाइट पर ट्रैफिक को अपने अनुसार नियंत्रित कर सकती है, जिससे भविष्य में होने वाले साइबर हमले को रोका जा सके।
माइक्रोसॉफ्ट ने कोर्ट को यह बताया कि ‛Nickel के लक्ष्यों और चीन के भूराजनीतिक हितों के बीच अक्सर एक सह-संबंध होता है।’ हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट ने नाम लेकर उन संस्थाओं की जानकारी नहीं दी, जिनपर इस वेबसाइट द्वारा हमला हुआ है, लेकिन हम जानते हैं कि चीन, अमेरिका और भारत जैसे अपने विरोधी देशों के थिंक टैंक, मिलिट्री इंस्टालेशन, कूटनीतिक संबंधों, तकनीकी संस्थाओं आदि की जानकारी चुराता है।
हाल ही में जब भारत ने इजरायल के साथ अपने ड्रोन को हथियारों से लैस करने के लिए एक समझौता किया था, उसके कुछ ही दिन बाद चीन ने इजरायल पर साइबर हमला किया था। चीनियों ने फारसी भाषा का प्रयोग किया, जिससे इजरायल की खुफिया एजेंसियों को यह लगे कि हमला ईरान की ओर से हुआ है। माइक्रोसॉफ्ट ने Nickel को 2016 से ट्रैक करना शुरू किया था। गौरतलब है कि हैकिंग के लिए कभी थर्ड पार्टी VPN तो कभी माइक्रोसॉफ्ट के एक्सचेंज सर्वर और शेयर पॉइंट का ही प्रयोग होता है, जो बताता है कि हैकर्स अत्याधुनिक कंप्यूटर साइंस और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ हैं।
लोकतांत्रिक देशों को आपस में बढ़ाना होगा सहयोग
माइक्रोसॉफ्ट और CyCraft ने सफलतापूर्वक चीनी हैकर्स को हराया है। माइक्रोसॉफ्ट ने चीनी हैकर्स को रोका नही है, लेकिन उनके इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान किया है। CyCraft पर जिस क्लाउड की मदद से हमला हुआ था, उसी से प्रवेश करके हैकर्स का पता लगाया गया। ये कुछ ऐसा है, जैसे सुरंग बनाकर चोरी करने आए चोरों का पता लगाने के लिए पुलिस उसी सुरंग में घुस जाए और उस स्थान का पता कर ले जहां से चोर आए थे।
भारत, इजरायल, ताइवान, अमेरिका आदि प्रमुख लोकतांत्रिक देशों को आपस में सहयोग करके इस खतरे से निपटना होगा। इसके लिए हर देश को दूसरे देश के साथ सूचनाओं और तकनीक का आदान-प्रदान करना होगा। भारतीय एजेंसियों को विशेष रूप से इन नई गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी लेनी चाहिए, जिससे हम चीनियों के किसी साइबर हमले का जवाब दे सकें। साथ ही भारत सरकार को भी हैकर्स की एक आर्मी बनाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि हर बार सुरक्षात्मक रणनीति ही कारगर नहीं होगी, भारत को भी साइबर हमले की तैयारी करनी चाहिए।