समय-समय पर केंद्र की मोदी सरकार ऐसे फैसले लेते रहती है, जिससे इस्लामिस्ट भड़क उठते हैं। इस बार केंद्र सरकार द्वारा देश में महिलाओं की शादी की उम्र को 18 वर्ष से बढ़ा कर 21 वर्ष करने की सहमति देने बाद, भारत के इस्लामिस्ट भड़क उठे हैं। यूपी के संभल लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी, सपा नेता अबू आजमी और झारखंड के मंत्री हफीजुल अंसारी से लेकर AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी तक ने इस कानून के खिलाफ जहर उगला है!
दरअसल, मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए विवाह की उम्र को 21 वर्ष के बराबर करने के लिए ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006’ में संशोधन करने को मंजूरी दे दी है। अभी तक सामने आ रही खबरों के अनुसार यह कानून विवाह की आयु को नियंत्रित करने वाले अन्य धर्मों के कानूनों में संशोधन को प्रभावित करेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता के अनुसार यह कानून निम्नलिखित क़ानूनों को प्रभावित करेगा।
- भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872;
- पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936;
- मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937;
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954;
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955;
- विदेशी विवाह अधिनियम, 1969
ऐसे में इस कानून से मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 के प्रभावित करने की खबरों से देश के सभी इस्लामिस्ट नेता भड़क गए। मंत्रिमंडल से इस कानून को मंजूरी मिलते ही समाजवादी पार्टी (सपा) के लोकसभा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, “चूंकि भारत एक गरीब देश है, इसलिए माता-पिता अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में ही कर देना चाहते हैं।”
और पढ़ें: कथा दो राज्यों की: एक है ईसाई प्रेमी पंजाब तो दूसरा है धर्म प्रिय हरियाणा
उन्होंने आगे कहा, “जहां तक लड़कियों की शिक्षा का सवाल है, उनके लिए या तो अपने घर में या अपने ससुराल में शिक्षा प्राप्त करना संभव है।” उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने पर लड़कियों को ज़्यादा आवारगी का मौक़ा मिल जाएगा।
लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने पर लड़कियों को ज़्यादा आवारगी का मौक़ा मिल जाएगा – “समाजवादी पार्टी, उत्तर प्रदेश”
ये है आधी आबादी के लिए सपा की असली सोच !! pic.twitter.com/aMPAXfG3mX
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (मोदी का परिवार) (@shalabhmani) December 17, 2021
वहीं, सपा सांसद एस टी हसन का कहना है कि “लड़कियों की तब शादी कर देनी चाहिए, जब वे प्रजनन की आयु प्राप्त कर लें।”
What Socialists of @yadavakhilesh Samajwadi Party think of women:
“Girls should be married when they attain age of fertility.”
What does Ms Jaya Bachchan think of her party line? What does #LeftLiberal jamaat have to say?
pic.twitter.com/j1N5CQAoRv— Kanchan Gupta (Hindu Bengali Refugee)🇮🇳 (@KanchanGupta) December 17, 2021
सपा नेता अबू आजमी की भद्दी टिप्पणी
सपा नेता अबू आजमी और झारखंड के मंत्री हफीजुल अंसारी ने भी इस कानून पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आज़मी ने एक इंटरव्यू के दौरान यह कहा कि घर पर बेटी या बहन के साथ अकेले रहने से उनका बलात्कार हो सकता है। उन्होंने न्यूज 18 के साथ एक साक्षात्कार के दौरान यह भद्दी टिप्पणी की, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा महिलाओं के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु को 21 तक बढ़ाने के लिए मंजूरी दी गयी थी।
और पढ़े: नकली किसान आंदोलन के खत्म होते ही अब राकेश टिकैत को समाजवादी पार्टी से टिकट चाहिए
पत्रकार अमीश देवगन द्वारा इस प्रस्ताव का विरोध करने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर अबू आज़मी ने आरोप लगाया, “हमारी संस्कृति कहती है कि जब लड़कियां/बच्चे बड़े होते हैं या वयस्क होते हैं, तो उनकी तुरंत शादी कर देनी चाहिए या यदि आपको उपयुक्त साथी न मिले तो धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें।” उन्होंने आगे कहा, “एक बार देरी हो जाने पर, ऐसा साथी मिलने के बाद भी, बच्चे के माता-पिता पर ही पाप करने का आरोप लगाया जाएगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके बच्चों (यदि कोई हो) के पापपूर्ण व्यवहार की जिम्मेदारी उनके माता-पिता पर होगी।”
Socialist views on women: Abu Azmi, neta of @yadavakhilesh Samajwadi Party.
Previously Azmi has been reported as saying “if any woman, whether married or unmarried, goes along with a man, with or without her consent, should be hanged.”
Via @BesuraTaansane
pic.twitter.com/BVaDvUlzxj— Kanchan Gupta (Hindu Bengali Refugee)🇮🇳 (@KanchanGupta) December 17, 2021
अबू आजमी ने आगे कहा कि “अगर मेरी लड़की/बेटी या बहन घर पर अकेली है, तो मेरा संस्कार मुझे कहता है कि मैं उनके पास न रहूं। शैतान आपकी आत्माओं पर कब्जा कर सकता है।” आजमी ने दावा किया, “हम चचेरे भाई और पिता द्वारा किए गए कई बलात्कार के मामलों को देख रहे हैं। यह हमारे पूर्वजों द्वारा सिखाया गया एक एहतियाती उपाय है।” समाजवादी पार्टी के नेता ने निष्कर्ष निकाला कि “अल्लाह के नियमों में हस्तक्षेप से समाज में असंतुलन पैदा होता है।”
IUML और ओवैसी ने भी उठाए सवाल
यही नहीं, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने बीते दिन शुक्रवार को संसद में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। IUML ने कहा कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में अतिक्रमण है। IUML के नेता और राज्यसभा सांसद अब्दुल वहाब ने कहा कि ”लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव, जिसे कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी है, उसका मक़सद मुस्लिम पर्सनल लॉ में अतिक्रमण करना भी है।”
BBC की रिपोर्ट के अनुसार केरल के भी कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार के इस कदम का विरोध जताया है। मुस्लिम लीग के नेता ईटी मोहम्मद बशीर ने बीते दिन शुक्रवार को लोकसभा में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि यह फ़ैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है और यूनिफॉर्म सिविल कोड की तरफ सरकार ने एक और कदम बढ़ा दिया है।
और पढ़े: महिलाओं की विवाह की आयु 21 करने का प्रभाव बहुत गहरा होगा
वहीं, दूसरी ओर AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा कि “महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। ऐसी पितृसत्तात्मकता मोदी सरकार की नीति बन चुकी है, इससे बेहतर करने की उम्मीद भी हम सरकार से करना छोड़ चुके हैं।”
महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। ऐसी पितृसत्तात्मकता मोदी सरकार की नीति बन चुकी, इससे बेहतर करने की उम्मीद भी हम सरकार से करना छोड़ चुके हैं। 1/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 18, 2021
देखा जाए तो इन सभी नेताओं का भड़कना दिखाता है कि केंद्र सरकार ने उनकी दुखती रगों पर हाथ रख दिया है। सरकार ने शादी की उम्र से जुड़े कानून को मंजूरी दे कर यह भी संकेत दे दिया है कि आने वाले समय में एक बड़े बदलाव के तहत UCC को भी मंजूरी दिया जा सकता है।