Sri Satyanarayan Vrat Katha Vidhi in Hindi

Satyanarayan Katha Vidhi

Satyanarayan Katha Kya hai or Vidhi

Sri Satyanarayan Katha Vidhi – सत्य नारायण की पूजा एवं कथा का हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व हैं. किसी भी विशेष कार्य जैसे – गृह प्रवेश, जन्मदिवस, शादी तथा अन्य शुभ कार्यों में यह पूजा एंव कथा कराई जाती है. वहीं कई लोग तो प्रत्येक वर्ष में कई बार सत्यनारायण की कथा करवाते हैं. भगवान की कथा प्रारंभ करने से पूर्व विधि विधान से विशेष पूजन किया जाता हैं, कथा का आयोजन पूर्णिमा, अमावस्या, रविवार, गुरुवार, संक्रांति के दिन एवं अन्य पर्व-त्यौहारों पर करने का शास्त्रोंक्त विधान हैं.

सत्यनारायण की पूजा एवं कथा दोनों का ही बहुत अधिक महत्व हैं. कहा जाता है कि सत्यनारायण कथा सुनने मात्र से पूण्य की प्राप्ति होती हैं. भगवान की भक्ति के कई रास्ते हैं. धार्मिक कार्यों एंव मानव सेवा में मन लगा देने मात्र से ही मनुष्य के मन को काफी शांति मिलती है एंव मन नियंत्रण में रहता है.

आज के समय में पूजा पाठ के नियम सभी को सही से पता नहीं होते. जिससे यह कार्य अधूरे से लगते हैं. इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत लेख में कथा का विस्तार एवं पूजा विधि (Sri Satyanarayan Katha Vidhi) बताया गया हैं.

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Sri Satyanarayan Katha Vidhi in Hindi

Sri Satyanarayan Katha Vidhi in Hindi – धूपबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत, रोली, चावल, हल्दी, कलावा, रुई, सुपारी, 5 नग पान के पत्ते, खुले फूल 500 ग्राम, फूलमाला, कुशा व दूर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, मिष्ठान्न, चौकी, आसन, केले के पत्ते, पंचामृत, तुलसी दल, कलश (तांबे या मिट्टी का), सफेद कपड़ा (आधा मीटर), लाल या पीला कपड़ा (आधा मीटर), दीपक 3 नग ( 1 बड़ा+2 छोटे ), ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), नारियल, दूर्वा आदि सामग्री को एकत्रित कर लें.

सत्यनारायण व्रतकथा पुस्तिका के प्रथम अध्याय में यह बताया गया है कि जो व्यक्ति सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए. पूजा स्थल को अच्छे से साफ करके वहां एक अल्पना बनाएँ और उस पर पूजा की चौकी रखें. इस चौकी के चारों पाये के पास केले का वृक्ष लगाएँ. चौकी पर पीला और लाल कपड़ा बिछाएं एवं उस चौकी पर शालिग्राम या ठाकुर जी या श्री सत्यनारायण की प्रतिमा और गणेश जी की प्रतीमा के साथ कलश रख दीजिए. आसन के दाहिने ओर दीपक एवं बाई ओर बड़ा दीपक घी का स्थापित कर दें.

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पूजा विधि

पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें फिर इन्द्रादि दशदिक्पाल की और क्रमश: पंच लोकपाल, सीता सहित राम, लक्ष्मण की, राधा कृष्ण की. इनकी पूजा के पश्चात ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा, कथा का पाठ करें. इसके बाद लक्ष्मी माता की और अन्त में महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा करें. पूजा के बाद सभी देवों की आरती करें. वहीं सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा, मिलाकर पंचामृत, बनाया जाता है जो भगवान को अत्यंत प्रिय है.

इन्हें प्रसाद के रूप में फल, मिष्टान्न के अतिरिक्त आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर एक प्रसाद बनता है जिसे सत्तू ( पँजीरी ) कहा जाता है, उसका भी भोग लगता है. और भक्तों को बांटा जाता हैं. प्रसाद वितरण के बाद पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराएँ. पुराहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें.

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