उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा हिंदुओ के हित में एक बड़ा कदम उठाया गया है और वो कदम है चारधाम देवस्थानम बोर्ड को खतम करने का। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए बताया कि “आस्था के इन केन्द्रों में सदियों से चली आ रही परम्परागत व्यवस्था का हम सम्मान करते हैं, गहन विचार-विमर्श और सर्वराय के बाद हमारी सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम वापस लेने का निर्णय लिया है।“
इस फैसले के बाद हिन्दू काफी प्रसन्न हैं और सरकार के इस फैसले का हर तरफ से स्वागत किया जा रहा है
देव स्थान हमारे लिए सर्वोपरि रहे हैं। आस्था के इन केन्द्रों में सदियों से चली आ रही परम्परागत व्यवस्था का हम सम्मान करते हैं, गहन विचार-विमर्श और सर्वराय के बाद हमारी सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम वापस लेने का निर्णय लिया है। @narendramodi@JPNadda@BJP4UK pic.twitter.com/yREo6XHEzb
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) November 30, 2021
30th November 2021
BJP govt announces to Revoke #CharDham board
Hindus Win ! pic.twitter.com/GscQIxnSAe
— Ritu #जिष्णु (@RituRathaur) November 30, 2021
क्या है चारधाम देवस्थानम बोर्ड?
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने वर्ष 2019 में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक भारी-भरकम बोर्ड का गठन कर बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री के अलावा 47 अन्य मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में लेने की योजना बनाई थी।
सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है। सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा। चारधाम देवस्थानम बोर्ड द्वारा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित राज्य भर के 51 मंदिरों के मामलों का प्रबंधन तय किया गया था।
काफी समय से हो रहा था विरोध
मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ पुरोहितों ने इस कानून हेतु आंदोलन का रुख किया था, जिसे कांग्रेस से पूर्ण समर्थन दिया था। खबरों के अनुसार, चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के 734 दिनों के आंदोलन के बाद आखिरकार प्रदेश की भाजपा सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम वापस लेने का फैसला ले लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंत्रिमंडलीय उपसमिति की रिपोर्ट पर मंगलवार को एक्ट वापस लेने की घोषणा की। अब प्रदेश सरकार विधेयक को निरस्त करने के लिए विधानसभा सत्र के दौरान सदन में वापसी का विधेयक लाएगी।
Akhil Bharatiya Akhada Parishad, has threatened to launch a pan-India strike if the Uttarakhand government does not abolish the Char Dham Devasthanam Board by November 30.#uttrakhand
— Deeksha Negi (@NegiDeekshaa) November 24, 2021
चारधाम देवस्थानम के पुजारी बोर्ड के निर्माण के समय से ही इसे खत्म करने की मांग कर रहे थे और कह रहे थे कि यह मंदिरों पर उनके पारंपरिक अधिकारों का उल्लंघन है। आपको बताते चलें कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड इन मंदिरों के प्रबंधन के लिए सर्वोच्च शासी निकाय था, जिसके पास नीतियां बनाने, बजट तैयार करने, धन के प्रबंधन के लिए निर्देश, मूल्यवान प्रतिभूतियों, आभूषणों और मंदिरों में निहित संपत्तियों की शक्तियां थीं।
सरकार को यह समझना चाहिए कि हिन्दू इस देश में लंबे समय से अपने मंदिरों के स्वतंत्रता के लिए लड़ते आ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे। हिन्दू मंदिरों की संपत्ति पर केवल मंदिर प्रशासन का अधिकार है। हमारे मंदिरों की तिजोरी सरकारी खजाने भरने का सदन नहीं हैं। बहराल, भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी गलती करते-करते बच गई है।