एक लंबे समय तक समझौते के अंतर्गत रहने वाले पाकिस्तान और तालिबान के बीच अब संबंध टूट गया है। युद्धविराम की समाप्ति करते हुए TTP (पाकिस्तानी तालिबान) द्वारा हमला कर 6 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गयी है। पाकिस्तानी तालिबान सशस्त्र समूह के बंदूकधारियों ने सरकार के साथ एक महीने के युद्धविराम की समाप्ति करते हुए अपने पहले हमले में उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण टीम की रक्षा करने वाले एक पुलिस अधिकारी और पुलिस समूह के 5 सदस्यों की हत्या कर दी है। प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (जिसे पाकिस्तानी तालिबान या TTP भी कहा जाता है) के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने शनिवार के हमले की जिम्मेदारी ली है।
सीजफायर क्यों तोड़ दिया गया?
टीकाकरण अभियान के प्रवक्ता आइमल खान के अनुसार, प्रांत में 65 लाख बच्चों को टीका लगाने के लिए पांच दिवसीय पोलियो विरोधी अभियान के दूसरे दिन खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के टैंक जिले में यह हमला हुआ है। पाकिस्तान दुनिया के उन दो देशों में से एक है, जहां दुर्बल करने वाली न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी अभी भी मौजूद है। पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण के प्रयासों को जनता से अलग करने के लिए यह नवीनतम हिंसा है।
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अब आप सोच रहे होंगे कि सीजफायर क्यों तोड़ दिया गया? तोड़ा भी गया तो पोलियो अभियान के विरुद्ध क्यों? पोलियो टीमों और उनकी सुरक्षा के लिए सौंपी गई पुलिस अक्सर आतंकी समूहों के निशाने पर होती हैं क्योंकि तालिबानी यह दावा करते हैं कि टीकाकरण अभियान बच्चों की नसबंदी करने की पश्चिमी साजिश है।
यह खबर आवश्यक क्यों है?
पाकिस्तानी तालिबान अफगानिस्तान के तालिबान से एक अलग संगठन है। अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान ने अगस्त में सत्ता पर कब्जा कर लिया था। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने ही प्रधानमंत्री इमरान खान और TTP की सरकार के बीच युद्धविराम की सुविधा में मदद की है। सरकार और TTP के बीच शांति वार्ता पिछले महीने शुरू हुई थी। सरकार के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने कहा कि अगर बातचीत जारी रहती है तो युद्धविराम बढ़ाया जा सकता है। सुरक्षा विश्लेषकों ने TTP या उसके सहयोगियों और पाकिस्तानी सरकार के बीच पिछले ऐसे समझौतों का हवाला देते हुए शांति वार्ता प्रक्रिया पर संदेह जताया है।
2007 में अपने गठन के बाद से, TTP ने पाकिस्तानी धरती पर कुछ सबसे घातक हमलों को अंजाम दिया है, जिसमें आत्मघाती बम विस्फोटों, तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों द्वारा हमले और लक्षित हत्याओं की लहर के बाद राजनीतिक नेताओं, नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया है। पाकिस्तानी तालिबान पिछले 14 वर्षों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कई बड़े हमलों के पीछे रहा है, जिसमें 2014 में पेशावर में एक आर्मी स्कूल पर हमला भी शामिल है, जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। अब इस समूह का फिर से मजबूती से उभरना पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा है।