जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ेगी देश को उसी के साथ चलना होगा। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जिस प्रकार पूरे देश को डिजिटल युग से जोड़ने के प्रयास के लिए डिजिटल इंडिया का सपना दिखाया, बीते 7 वर्षों में यह स्वप्न फलीभूत होता दिखा है। जिस प्रकार शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक तकनीक का प्रभाव बढ़ा है निस्संदेह पूरे देश में डिजिटल क्रांति की अलख यदि किसी ने जलाई है तो वो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। ऐसे में अब केंद्रीय बजट 2022-23 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा “कागज रहित बजट” (डिजिटल बजट) (PAPERLESS BUDGET) के तौर पर पेश किया जाएगा। सरकार ने 27 जनवरी को कहा, संसद में 1 फरवरी को पेश किए जाने के बाद पूरे बजट दस्तावेज को जनता के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन पर जारी किया जाएगा।
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी फरवरी माह के पहले हफ्ते के आरम्भ होते ही लोकसभा में वर्ष 2022-23 के लिए देश का बजट पेश करने जा रही हैं। वैश्विक महामारी से जूझ रहे देश को इस बजट से बहुत सी अपेक्षायें हैं। इस बार पूरी नई रीत के साथ बजट कागज़ रहित रहने वाला है। लोकसभा सदस्यों समेत अन्य सभी लोगों को अब से बजट डिजिटल रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। वैसे यह एक अकेला परिवर्तन नहीं है। दरअसल, डिजिटल बजट के अलावा कोरोना के बढ़ते प्रसार से सीख लेते हुए इस बार सदा से चले आ रहे प्रथागत हलवा सेरेमनी का भी आयोजन नहीं हो रहा है। हलवे के बदले सभी को मिठाई वितरित की जाएगी, ज्ञात हो कि बजट की छपाई का काम हलवा सेरेमनी से ही शुरू होता है।
इसके बाद बजट पर कार्य करने वाले तमाम अधिकारी काम में जुट जाटे हैं, और बेसमेंट में बंद कर दिए जाते हैं ताकि जबतक बजट पूर्ण रूप लेकर लोकसभा में पेश न हो जाए उसके बारे में कोई भी बात बाहर न आने पाए। बजट पेश हो जाने के बाद ही इन अधिकारीयों को बाहर जाने की अनुमति होती है।
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दशकों तक हमने वित्त मंत्री को चमड़े का ब्रीफकेस लेकर संसद में आते देखा है। यह ब्रिटिश विरासत 2019 में टूट गई थी, जब भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोने के रंग के तार से बंधे एक लाल कपड़े में लिपटे ‘बहिखाता’ के साथ पहुंचीं थीं। उस पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह चमक रहा था। लेकिन इस बार “बहिखाता” भी नहीं है, क्योंकि आगामी बजट 2022-23 पूरी तरह से डिजिटल होने जा रहा है।
बजट शब्द फ्रांसीसी शब्द बोगेट से लिया गया है जिसका अर्थ है ब्रीफकेस। ‘बजट खोलने’ और सरकार की वित्तीय योजनाओं को पेश करने की ब्रिटिश परंपरा की शुरुआत 1860 के दशक में हुई थी। आखिरकार, इस औपनिवेशिक प्रथा को भारत में बदला गया। हालांकि, इस बार बजट डिजिटल हो गया है।
COVID-19 महामारी ने भारत में सभी क्षेत्रों में तकनीकी को अपनाने में तेजी लाई। आज, प्रौद्योगिकी सभी आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अभिन्न अंग बन गई है। टेक-संचालित संगठन धीरे-धीरे देश के सकल घरेलू उत्पाद, रोजगार दर और सामाजिक लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन रहे हैं। डिजिटल अपनाने से भारत ने संगठनात्मक और उद्योग दोनों स्तरों पर एक बड़ी छलांग लगाई है। भारत ने उभरती प्रौद्योगिकियों और उद्योगों में स्टार्टअप में भारी वृद्धि देखी। 2021 में, भारत 70 यूनिकॉर्न और 2,250 स्टार्टअप का मेजबान देश बन गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 600 से अधिक है।
‘नैस्कॉम टेक स्टार्ट-अप रिपोर्ट 2021 – टाइटन्स का वर्ष’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में 600-700 बिलियन डॉलर के संचयी मूल्यांकन के साथ 37,000 टेक स्टार्टअप और 180-200 यूनिकॉर्न होने की उम्मीद है। वर्तमान में, मूल्यांकन 320-330 अरब डॉलर है। उपभोक्ता के दृष्टिकोण से, वर्ष 2021 में क्रिप्टोकरेंसी, एनएफटी, मेटावर्स और वेब 3.0 में बढ़ती जागरूकता और रुचि देखी गई।
डिजिटल बजट को सबके लिए सुलभ बनाने के लिए वित्त मंत्रालय ने जो प्रयास किए हैं वो अब तक के सब सार्थक प्रयास सिद्ध होंगे। वित्त मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक प्रेस विज्ञिप्ति में कहा है कि, “केंद्रीय बजट मोबाइल ऐप’ नाम का एप्लिकेशन सांसदों और आम जनता के लिए लॉन्च किया गया है। केंद्रीय बजट 2022-23 भी 1 फरवरी 2022 को संसद में बजट प्रस्तुति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मोबाइल ऐप पर उपलब्ध होगा।”
चीनी कोरोनावायरस के कारण, इस वर्ष का बजट डिजिटल प्रतियों में उपलब्ध होगा। सभी के पढ़ने के लिए सॉफ्ट कॉपी ऑनलाइन प्रकाशित की जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि यह मोबाइल ऐप बजट भाषण, वार्षिक वित्तीय विवरण (आमतौर पर बजट के रूप में जाना जाता है), अनुदान की मांग (डीजी), वित्त विधेयक आदि सहित 14 केंद्रीय बजट दस्तावेजों तक पूर्ण पहुंच की अनुमति देता है। एप्लिकेशन द्विभाषी अंग्रेजी और हिंदी है और एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है जो सारे माध्यमों सुलभ रूप से उपलब्ध हो सकेगा।
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बात का तारतम्य यह है कि भारत अब विकासशील से विकसित होने की ओर अग्रसर है और डिजिटल युग में अन्य तमाम देशों के मुकाबले अग्रणी भूमिका में नज़र आ रहा है। ऐसे में जिस रफ़्तार से भारत डिजिटल को अपनाते हुए पूर्ण रूप से डिजिटल हो रहा है, यह इतिहास बनेगा जिसमें भारत जा नाम स्वर्णिम अक्षरों में इंगित होगा। अमेरिका और ब्रिटैन जैसे विकसित देशों ने तो आजतक “डिजिटल बजट” जैसी चीज़ पर अपनी निगाह भी सीधी नहीं की है। पूरे विश्व में भी तमाम ऐसे विकसित और विकासशील देश हैं पर उनमें डिजिटल बजट जैसी कोई प्रथा शायद ही कुछ चुनिंदा देश अपना रहे हैं, यद्यपि भारत सबसे ऊपर ही है। यह है, “भारत और भारतीयता का प्रभुत्व।”





























