मुख्य बिंदु
- काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शुरू हुआ हिंदू स्टडीज पर दो वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स
- हिंदू स्टडीज पर डिग्री कोर्स शुरू करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बना BHU
- हिंदू पहचान को सुदृढ़ करने के लिए BHU ने दिया इस दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान
वैदिक सनातन धर्म की शिक्षा के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने हिंदू स्टडीज नाम से एक कोर्स की शुरुआत की है। हिंदू स्टडीज नामक यह कोर्स पोस्ट ग्रेजुएशन में एक अलग विषय के रूप में शुरू किया गया है। इस प्रकार का कोर्स शुरू करने वाला काशी हिंदू विश्वविद्यालय देश का पहला विश्वविद्यालय है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के कुलपति विजय कुमार शुक्ला ने बताया कि यूनिवर्सिटी में 40 सीटों के साथ दो साल का हिंदू धर्म कोर्स शुरू किया जा रहा है। कुलपति ने कहा, यह हमारे देश में हिंदू धर्म का पहला डिग्री कोर्स होगा। पहले, हिमाचल यूनिवर्सिटी में हिंदू स्टडीज पर केवल एक डिप्लोमा कोर्स चल रहा था। हम अन्य संस्कृतियों एवं परंपराओं जैसे इस्लाम से जुड़े कोर्स को यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हैं जबकि हिंदू धर्म नहीं था।
पाठ्यक्रम में हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ाया जायेगा
हिंदू स्टडीज के इस सत्र में अभी 46 बच्चों का पंजीकरण हुआ है, जिनमें 4 विदेशी छात्र भी शामिल है। यह विषय हिंदू धर्म को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समझने में सहयोगी होगा। डिपार्टमेंट ऑफ फिलॉसफी एंड रिलिजन, डिपार्टमेंट ऑफ संस्कृत, डिपार्टमेंट ऑफ एनशिएंट इंडियन हिस्ट्री एंड आर्कियोलॉजी और भारत अध्ययन केंद्र के सहयोग से काशी हिंदू विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी में हिंदू स्टडीज कोर्स शुरू हुआ है। महत्वपूर्ण यह है कि इसमें प्राचीन भारतीय शास्त्रों में वर्णित युद्धनीति, उन्हें बनाने एवं कार्यान्वित कराने के तरीके और सैनिक विन्यास आदि के अलावा प्राचीन भारत की महिला योद्धाओं के बारे में भी इस हिंदू स्टडीज कोर्स में पढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त हिंदू धर्म के विकास तथा हिंदू धर्म की ज्ञान मीमांसा एवं तत्व मीमांसा के बारे में पढ़ाया जाएगा।
वहीं, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अंतर्गत वाराणसी केंद्र के निदेशक डॉक्टर विजय शंकर शुक्ला ने कहा, “इस तरह के कोर्स को शुरू करने का विचार सबसे पहले 18वीं सदी के विद्वान पंडित गंगानाथ झा और पंडित मदन मोहन मालवीय ने दिया था। परन्तु कुछ कारणों से उस समय इस कोर्स को शुरू नहीं किया जा सका था।”
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BHU का सराहनीय प्रयास
यह गर्व का विषय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष बाद भारतीय शिक्षण संस्थाओं में अपने हिंदू अस्मिता के प्रति जागरूकता का भाव पैदा हो रहा है। पिछले दिनों IIM अहमदाबाद में मैनेजमेंट के छात्रों को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाने की शुरूआत की गई है। भारतीय सेनाओं के प्रशिक्षण में श्रीमद्भागवत गीता और चाणक्य नीति से संबंधित कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। भारतीय जनमानस अपनी हिंदू संस्कृति की ओर पुनः आकर्षित हो रहा है इसका प्रमाण यह है कि गीता प्रेस द्वारा सनातन संस्कृति के साहित्य से जुड़ी करोड़ों पुस्तकें पिछले कुछ महीनों में बेची गई है।
भारत की हिंदू पहचान भारत के संविधान गठन से बहुत पुरानी है। भारत की हिंदू पहचान तब से है, जब इस्लाम और ईसाइयत का प्रादुर्भाव भी नहीं हुआ था। यहां तक की जिन देशों में इन पंथों का प्रादुर्भाव हुआ है, वहां तब सभ्य समाज भी निवास नहीं करता था। ऐसे में, वामपंथी विचारक अथक प्रयास करके भी भारत के हिंदू पहचान को मिटा नहीं सकेंगे। सनातन मूल्य सनातन थे और सनातन ही रहेंगे, BHU ने इस बात को सुदृढ़ करने के लिए इस दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।