सद्भावना दिवस परिचय
भारत में हर वर्ष ’20 अगस्त’ को सद्भावना दिवस मनाया जाता है. इसे ‘समरसता दिवस’ तथा ‘राजीव गाँधी अक्षय ऊर्जा दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है. यह महत्त्वपूर्ण दिवस भारत के 6वें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. राजीव गाँधी एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने सैन्य तख्तापलट और आतंकी संगठनों के खिलाफ मदद बढ़ाकर कई देशों में शांति बहाल करने का सराहनीय प्रयास किया था.
सद्भावना दिवस प्रतिज्ञा
“मैं ये पूरी गंभीर प्रतिज्ञा लेता हूँ कि मैं जाति, क्षेत्र, धर्म और भाषा को बिना ध्यान दिये भारत के सभी लोगों की भावनात्मक एकात्मकता और सद्भावना के लिये कार्य करुँगा. और मैं कसम खाता हूँ कि बिना हिंसा के संवैधानिक साधनों और बातचीत के द्वारा एक-दूसरे के बीच की दूरियों को अवश्य समाप्त कर दूँगा.”
सद्भावना दिवस क्यों मनाया जाता है?
1984 से 1989 तक भारत के 6th प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी के नेतृत्व में सरकार ने देश और दुनिया में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए एक मुखर नीति अपनाई. सद्भावना एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ है शांति और सद्भाव. साथ ही साथ भारत के प्रधानमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में राजीव गांधी द्वारा भारत और पड़ोसी देशों में शांति की बहाली की दिशा में किए गए तमाम प्रयासों के लिए मनाया जाता है.
प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1986 तक, उन्होंने एक ऐसी विदेश नीति अपनाई. जिसने भारत को दुनिया में अग्रणी स्थान पर ला खड़ा किया. उनकी विदेश नीति असाधारण रूप से बेहतर तरह से तैयार की गई थी और भारत को एक अभिभावक राष्ट्र के रूप में तैनात किया गया था, जो संकट, दरार, आतंकवाद, आदि का सामना करने वाले अन्य लोगों को समर्थन प्रदान करता है. उनकी सरकार की सभी नीति में भारत के साथ-साथ आसपास के देशों में शांति बहाल करना भी शामिल था.
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, राजीव गाँधी ने मालदीव, सेशेल्स में सैन्य तख्तापलट को सफलतापूर्वक दबाने के लिए हस्तक्षेप किया, और पड़ोसी देश श्रीलंका में आतंकवादी संगठन लिट्टे (लिबरेशन ऑफ तमिल टाइगर्स ईलम) को भी दबा दिया. उन्होंने दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान एक कार्य योजना की वकालत भी की थी.यह शांति बहाल करने के लिए राजीव गांधी के प्रयासों को मनाने के प्रमुख उद्देश्य है जो सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है.
1991 में भारत में एक चुनाव अभियान के दौरान उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी, जब एलटीटीई के एक आत्मघाती हमलावर ने उनके पैर छूने के दौरान उनके साथ-साथ खुद को भी उड़ा लिया था.
समारोह आयोजन
सद्भावना दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस दिन को लोग पौधे लगाकर, हरियाली को संरक्षित करके, प्राकृतिक सुंदरता को बचाकर, पर्यावरण की सुरक्षा करके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करके मनाते हैं. पार्टी का प्रत्येक सदस्य, जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष पटल तक, सक्रिय रूप से पार्टी के क्षेत्रीय कार्यालयों और अन्य स्थानों पर संपन्न होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेता है और साथ ही उनका आयोजन भी करता है.
राजीव गाँधी के ‘वीरभूमि स्मारक’ को लोगों द्वारा सम्मान दिया जाता है. कांग्रेस पार्टी के मौजूदा सदस्य और अन्य दलों के लोग भी राजीव गांधी को सम्मान देने के लिए वीर भूमि पर जाते हैं.वीरभूमि पर पुष्पमाला के द्वारा राजीव गाँधी की प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी जाती है. राष्ट्रीय प्रगति के उनके जुनून को पूरा करने के लिये ये दिन मनाया जाता है. भारत के कई राजनेता और दुनिया भर से तमाम नेतागण राजीव गांधी और दुनिया में शांति व्यवस्था बहाल करने के उनके प्रयासों को याद करते हैं.
राजीव गांधी सक्रीय रूप से 1985 से 1991 तक एक सफल नेता और अध्यक्ष थे. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित राजनीतिज्ञों के एक ही परिवार से प्रधानमंत्री के रूप में तीसरे स्थान पर थे.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की सबसे बड़ी पार्टियों में से एक है और इसमें भारत की उपस्थिति है. राजीव गांधी के सम्मान में कई कार्यक्रम पूरे देश में फैले कांग्रेस के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में आयोजित किए जाते हैं.
‘राजीव गाँधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार’
विभिन्न क्षेत्रों में प्रतियोगियों द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा को जानने के लिये ‘राजीव गाँधी संस्था’ द्वारा इस दिन ‘राजीव गाँधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार’ वितरित किया जाता है. यह पुरस्कार हर वर्ष राजीव गांधी के जन्मदिन पर 20 अगस्त को आयोजित एक समारोह में दिया जाता है.
सद्भावना दिवस राजीव गांधी के जन्मदिन को मनाने से ज्यादा उनके द्वारा किये गए शांति प्रयासों के लिए एक श्रद्धांजलि है. यह एक शांतिपूर्ण और परमाणु-हथियार-मुक्त दुनिया के लिए भारतीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और प्रयासों के लिए एक श्रद्धांजलि है. आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा एवं ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर पेज फॉलो करें.