उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव निकट है और सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांटेदार टक्कर होने वाली है। राज्य की योगी सरकार इस चुनाव में जीत हासिल कर फिर से प्रदेश की गद्दी को सुनिश्चित करना चाहती है, वहीं मुद्दाविहीन विपक्षी पार्टियां जिनमें प्रमुख तौर पर सपा है अपनी राजनीतिक विरासत बचाने में लगी है।
गौरतलब है कि योगी सरकार ने जब से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई है, उस समय से हीं उन्होंने उत्तर प्रदेश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू इतिहास और प्राचीन सभयता को फिर से लागू कर राज्य का गौरव बढ़ाया है।
आज़ादी के बाद से योगी आदित्यनाथ की ही सरकार पहली ऐसी सरकार रही है जिन्होंने हिन्दू धार्मिक नगरी का नाम फिर से राज्य में लागू किया है। इन नामों में प्रयागराज और अयोध्या शामिल है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में मुगलों द्वारा दिए गए नामों को हटा दिया था और विभिन्न स्थानों और जिलों के प्राचीन नामों का नाम बदल दिया है। हालांकि, ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी इन बदलावों को स्वीकार नहीं कर पा रही है, क्योंकि पार्टी अभी भी पुराने नामों का ही इस्तेमाल कर रही है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए अपनी तीसरी सूची की घोषणा की है, जिसमें 56 नाम शामिल हैं। इस आधिकारिक सूची में, पार्टी ने इलाहाबाद और फैजाबाद जिले के नामों का इस्तेमाल किया, जो जिलों के पुराने नाम हैं और अब आधिकारिक नाम नहीं हैं। आज जिलों के नए नाम प्रयागराज और अयोध्या हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी ने नए आधिकारिक नामों का उपयोग करने से साफ मना कर दिया है।
आपको बता दें कि अक्टूबर 2018 में, यूपी सरकार ने घोषणा की थी कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया जाएगा, जिसे केंद्र से भी मंजूरी मिल गई थी। मुगलों से पहले इलाहबाद का नाम प्रयागराज था, बाद में मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासन के दौरान इसे इलाहाबाद में बदल दिया था।
इसी तरह नवंबर 2018 में, अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा यूपी के फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया था। यह ध्यान दिया जा सकता है कि अयोध्या शहर फैजाबाद जिले में स्थित है, और राज्य के विभिन्न हिन्दू संगठन जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने की मांग कर रहे थे।
लेकिन दोनों जिलों के नाम बदलने के तीन साल बाद भी ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी नए नामों को स्वीकार नहीं कर पा रही है। वे स्पष्ट रूप से मुगलों द्वारा दिए गए नामों से प्यार करती है, और इसलिए उन्हें अपने आधिकारिक दस्तावेजों में इस्तेमाल कर रही है।
यह उल्लेखनीय है कि जहां सपा, भाजपा सरकार द्वारा दिए गए नए नामों को स्वीकार नहीं कर रही है, वहीं सत्ता में रहते हुए समाजवादी पार्टी ने कई और जिलों का नाम बदल दिया था। जबकि भाजपा सरकार ने केवल दो जिलों का नाम बदला है, और अधिक जिलों का नाम बदलने की मांग अभी भी पूरी नहीं हुई है, अखिलेश यादव सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान नौ जिलों का नाम बदल दिया था।
सपा सरकार ने प्रबुद्धनगर का नाम शामली, भीम नगर से संभल, पंचशील नगर से हापुड़, महामाया नगर का नाम हाथरस, ज्योतिबा फुले नगर का नाम अमरोहा, कांशीराम नगर का कासगंज, छत्रपति शाहूजी महाराज नगर को अमेठी और रमाबाई नगर को कानपुर देहात में बदल दिया था। आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने एक भी उस जगह का नाम नहीं बदला, जिसका नाम मुगलों ने रखा था।
जबकि आज हर कोई सपा द्वारा दिए गए नए नामों का उपयोग करता है, अब वही पार्टी भाजपा सरकार द्वारा दिए गए नए नामों को स्वीकार करने और उनका उपयोग करने से इनकार करती है। गौरतलब है कि सपा ने अपने चुनावी उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उसमें प्रयागराज और अयोध्या की जगह इलाहाबाद और फैजाबाद नाम का इस्तेमाल किया गया है, जबकि अब आधिकारिक तौर पर नाम बदल गया है।
आज जिस तरह से समाजवादी पार्टी प्रयाग को इलाहबाद और अयोध्या को फैजाबाद के नाम से सम्बोधन कर रही है उससे यह साफ़ पता चलता है कि समाजवादी पार्टी की विचारधारा का सनातन धर्म से कोई वास्ता नहीं है और साफ़ शब्द में कहे तो सपा मुगलप्रेमी है।