अर्जुन के 12 नाम से जुड़ा संक्षिप्त प्रसंग
अर्जुन के 12 नाम से जुड़ा एक रोचक प्रसंग है जिसे हम यहाँ बताने जा रहे है एवं साथ ही अर्जुन के सभी 12 नामों का संक्षिप्त वर्णन भी दिया गया है. जब पांडवो को अज्ञातवास मिला था . एवं वह अपनी पहचान छिपा कर रहे थे. तब दुर्योधन ने विराट नगर पर आक्रमण कर दिया था. ऐसे में बृहन्नला के वेष में अर्जुन राजकुमार उत्तर के साथ मिलकर कौरवों की सेना का सामना करने के लिए गए. पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र एक शमी वृक्ष पर छिपाकर रख रखे थे. युद्ध से पूर्व जब अर्जुन अपने अस्त्र-शस्त्र को लेने के लिए वृक्ष की ओर जा रहे थे.
तब कौरवों ने बृहन्नलावेषधारी अर्जुन को रथ पर चढ़कर शमी वृक्ष की ओर जाते हुए देखा तो वे अर्जुन के आने की आशंका से मन ही मन बहुत डरे. तब द्रोणाचार्य ने पितामह भीष्म से कहा- “गंगापुत्र यह जो स्त्रीवेष में दिखाई दे रहा है. वह अर्जुन सा जान पड़ता है.”
अर्जुन द्वारा नामों का वर्णन
इधर अर्जुन शमी के वृक्ष के पास आकर उत्तर से बोले- “राजकुमार मेरी आज्ञा मानकर तुम जल्दी ही वृक्ष पर से धनुष उतारो.” उत्तर जब धनुष लेने चले तो उन्हे वहाँ पाँच धनुष दिखाई दिए. उत्तर ने वह सभी धनुषों को लाकर नीचे रख दिए. कपड़े में लपेटे हुए धनुषों को जब खोला तो सब ओर से दिव्य कांति निकली. तब अर्जुन ने उत्तर से कहा – “राजकुमार ये अर्जुन का गांडीव धनुष है.” तब राजकुमार उत्तर ने नपुसंक का वेष धरे हुए अर्जुन (बृहन्नला) से कहा- “यदि ये धनुष पांडवों के हैं तो आखिर पांडव कहाँ हैं?” तब अर्जुन ने उत्तर से कहा कि- “मैं अर्जुन हूँ. बृहन्नला के मुख से सुन कर उत्तर ने पूछा कि-यदि तुम अर्जुन हो तो मैंने अर्जुन के कई नाम सुने हैं. यदि तुम उन नामों का व उन नामों के कारण बता दो तो मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास हो सकता है.” राजकुमार उत्तर के पूछने पर अर्जुन ने अपने निम्न नाम बताये-
अर्जुन के 12 नाम
अर्जुन के 12 नाम इस प्रकार हैं- 1.धनञ्जय, 2. पार्थ, 3. कौन्तेय, 4. गुडाकेश, 5. कपिध्वज, 6. किरीटी, 7. भारत/भरतश्रेष्ट, 8. परन्तप, 9. पुरुषर्षभ, 10. फाल्गुन, 11. महाबाहु, 12. सव्यसाची
अर्जुन के 12 नाम का संक्षिप्त वर्णन
1.धनञ्जय: राजसूय यज्ञ के समय कई राजाओं को जितने के कारण अर्जुन का नाम धनञ्जय पड़ा |
2.पार्थ: माता कुंती का दूसरा नाम पृथा था. जिसके कारण अर्जुन पार्थ कहलाते हैं.
3.कौन्तेय: अर्जुन की माता का नाम कुंतीहोने के कारण अर्जुन कौन्तेय कहलाए.
4.गुडाकेश: अर्जुन ने गुडा पर विजय प्राप्त कर रखा था. इसलिए इन्हें गुडाकेश कहा जाता है |
5.कपिध्वज: महावीर हनुमान अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान थे. अतः इनका नाम कपिध्वज पड़ा.
6. किरीटी: प्राचीन काल में दानवों पर विजय प्राप्त करने पर इन्द्र ने इन्हें किरीट (मुकुट) पहनाया था, इसीलिए अर्जुन किरीटी कहे गये.
7. भरत/भरतश्रेष्ट: भरतवंश में जन्म लेने के कारण ही अर्जुन का भारत नाम हुआ.
8. परन्तप: जो अपने शत्रुओं को ताप पहुँचाने वाला हो, उसे परन्तप कहते हैं.
9. पुरुषर्षभ: अर्जुन पुरुषों में श्रेष्ट थे इसलिए इन्हें पुरुषर्षभ भी कहा जाता है |
10. फाल्गुन: फाल्गुन का महीना एवं फल्गुनः इन्द्र का नामान्तर भी है. अर्जुन इन्द्र के पुत्र हैं. अतः उन्हें फाल्गुन भी कहा जाता है.
11. महाबाहु: अर्जुन के हाथ लंबे एवं शसक्त थे इसलिए इन्हें महाबाहु कहा जाता है |
12. सव्यसाची: सव्यसाची का अर्थ-जो व्यक्ति अपने बाएं हाथ से भी धनुष को चलाने में महारथ हासिल हो, उसे सव्यसाची कहते हैं | अर्जुन को अपने बाएं तथा दायें दोनों हाथों से धनुष चलाने में महारथहाशिल था इसलिए अर्जुन को सव्यसाची भी कहते हैं |
अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक ऐसे पात्र थे जो सबसे अच्छे धर्नुधारी थे. अर्थात धनुष चलाने में अर्जुन महारथी थे. अर्जुन महाराज पांडु एवं रानी कुन्ती के तीसरे पुत्र थे. वहीं वे द्रोणाचार्य के श्रेष्ठ शिष्य थे.
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Arjun Ke 12 Naam English Me
1.Dhananjay, 2.Parth, 3.Kauntey, 4.Gudaakesh, 5.Kapidhvaj, 6.Kiriti, 7.Bharat, 8.Parantap, 9.Purushasharbh 10.Faalgun 11.Mahabaahu 12.Savyasaachi.
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