जब भी आप भारत विरोधी या हिंदूफोबिक पश्चिमी और वैश्विक मीडिया संस्थानों के बारे में बात करते हैं, तो आप क्या सोचते हैं? हो सकता है कि आप बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स, अल जज़ीरा और वाशिंगटन पोस्ट जैसे अधिकांश मीडिया संस्थानों के बारे में सोचें। लेकिन, क्या आपने कभी डीडब्ल्यू न्यूज (DW News) के बारे में सुना है? यह एक जर्मन समाचार वेबसाइट है और इसने कई रिपोर्ट्स प्रकाशित की है, जो भारत विरोधी भावनाओं को दर्शाती है। कश्मीर हो या भारत का कोई अन्य आंतरिक मामला, डीडब्ल्यू न्यूज नियमित रूप से भारत विरोधी सामग्री प्रकाशित कर रहा है। यह मीडिया हाउस 32 भाषाओं में पत्रकारिता सामग्री प्रदान करता हैं, जिससे दुनिया भर के लोगों को अपनी राय बनाने का अवसर मिलता है। वर्ष 2021 में DW 289 मिलियन साप्ताहिक यूजर कॉन्टैक्ट्स के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
सीएम योगी आदित्यनाथ को बताया ‘चरमपंथी’
वर्तमान में, डीडब्ल्यू न्यूज अपनी हालिया रिपोर्ट को लेकर चर्चा में है, जिसमें कहा गया है कि “क्या ‘हिंदू चरमपंथी’ योगी आदित्यनाथ भारत के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं?” ध्यान देने वाली बात है कि “चरमपंथी” शब्द का प्रयोग आतंकवादियों या कट्टरपंथियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है और यह पूरी तरह से हास्यास्पद है कि इस तरह के विशेषण का इस्तेमाल भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री और भारत में पूजनीय गोरखनाथ मठ के वर्तमान महंत योगी आदित्यनाथ के लिए किया जा रहा है।
लेख का शीर्षक अपने आप में घोर आपत्तिजनक है और उससे भी आपत्तिजनक है उसकी टाइमिंग। यह लेख यूपी में हुए प्रथम चरण के चुनाव के ठीक एक दिन बाद आया है। ऐसा लगता है, जैसे इस लेख का उद्देश्य यूपी के विधानसभा चुनाव को प्रभावित करना है, जबकि योगी आदित्यनाथ स्वयं ये बयान दे चुके हैं कि हिन्दू कभी कट्टरवादी हो ही नहीं सकता। DW की रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पूर्वानुमानित बयानबाजी से भरी है, लेकिन रिपोर्ट का शीर्षक और भी अधिक चौंकाने वाला लगता है।
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कश्मीर पर लगातार दुष्प्रचार
याद कीजिए कि कैसे पश्चिमी और वैश्विक मीडिया ने वर्ष 2019 में अनुच्छेद-370 का निरस्तीकरण करते ही भारत विरोधी भावना फैलाना शुरू कर दिया था। ध्यान देने वाली बात है कि अनुच्छेद-370 भारत के संविधान का एक प्रावधान था। अगर भारत इसे निरस्त करना चाहता था, तो वह भारत का आंतरिक मामला था। लेकिन, जर्मन मीडिया हाउस ने कश्मीर पर कई रिपोर्ट्स प्रकाशित की है, जो भारत के खिलाफ सरासर दुष्प्रचार करती दिख रही है। वर्ष 2020 में प्रकाशित इसके एक रिपोर्ट में सवाल किया गया कि “कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदलने का एक छोटा-सा प्रयास या बेहतर एकीकरण की दिशा में एक कदम: एक साल पहले अनुच्छेद-370 को रद्द करने का भारत का निर्णय इस क्षेत्र को फिर से कैसे बदल रहा है?”
डीडब्ल्यू की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया कि “क्या कश्मीर में मीडिया पर कार्रवाई तेज हो रही है?” उस लेख में DW ने यहां तक दावा किया कि भारत प्रशासित कश्मीर में पत्रकारों को डराया धमकाया जा रहा है। एक अन्य रिपोर्ट में भारतीय सेना को हत्यारा कहा गया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कश्मीर में भारतीय सेना हत्या से बचने के लिए कानूनी खामियों का इस्तेमाल कर रही है। डीडब्ल्यू न्यूज पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते, क्योंकि लोग बीबीसी, अल जज़ीरा या NYT के बारे में अधिक बात करते हैं। लेकिन जैसा कि आप देख सकते हैं कश्मीर के बारे में DW न्यूज की कवरेज पूरी तरह से भारत विरोधी है।
A thinly-veiled attempt to change Kashmir's demography or a step towards better integration: How is India's decision to revoke Article 370 a year ago reshaping the region?@ayakibrahim explains in this episode of UNPACKED. pic.twitter.com/lkeept4q9W
— DW News (@dwnews) August 5, 2020
भारत विरोधी रिपोर्ट
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद विदेशी मीडिया में पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए तथ्यों के बजाय बयानबाजी, अटकलों और राय पर भरोसा करना पश्चिमी मीडिया के कवरेज का एक हिस्सा रहा है। उदाहरण के लिए डीडब्ल्यू न्यूज की एक रिपोर्ट का शीर्षक था- “धार्मिक ध्रुवीकरण: क्या भारत पाकिस्तान के रास्ते पर चल रहा है?” साथ ही अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को लेकर भी इस मीडिया हाउस द्वारा बेबुनियाद दुष्प्रचार किया जा रहा है। जब भारत में CAA-NRC का विरोध अपने चरम पर था, तब डीडब्ल्यू न्यूज ने रिपोर्ट किया था कि “भारत ने राष्ट्रव्यापी नागरिक सूची का प्रस्ताव रखा है, जिससे होनवाले भेदभाव से मुसलमान डर रहे हैं।” DW न्यूज का यह कृत्य सिर्फ एक भारत विरोधी सादा बयानबाजी है, न कि कोई पत्रकारिता।
हाल ही में, डीडब्ल्यू न्यूज ऐसी खबरें प्रकाशित करता रहा है कि भारत में ईसाइयों के खिलाफ हमले हुए हैं। इस मीडिया हाउस ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि “भारत के धर्मांतरण विरोधी कानून ईसाइयों पर हमले को बढ़ावा देते हैं।” इसमें दावा किया गया कि भारत में, धार्मिक रूपांतरण पर नकेल कसने वाले नए कानून दक्षिणपंथी हिंदू समूहों को ईसाई चर्चों पर हमले करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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आपको बताते चलें कि पत्रकारिता, शिक्षा और संस्कृति लोगों के जीवन को बेहतर बनाती है तथा विश्वसनीय, निष्पक्ष जानकारी और ज्ञान तक सार्वभौमिक पहुंच लोगों के मौलिक अधिकार हैं। दुनिया भर में अपने भागीदारों के साथ, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों और कामकाजी मीडिया सिस्टम के विकास को बढ़ावा देना DW न्यूज का काम होना चाहिए। पर, डीडब्ल्यू न्यूज बस वही कर रहा है, जो अन्य सभी पश्चिमी मीडिया आउटलेट करते हैं, यानी भारत विरोधी प्रचार। इस मीडिया वेबसाइट के लेख भारत विरोधी और सरकार विरोधी पूर्वाग्रह से ग्रसित सिर्फ एक बयानबाजी और लांछन के अलावा कुछ नहीं है!