ISRO ने हासिल की वर्ष 2022 की पहली सबसे बड़ी उपलब्धि, यहां वह सब कुछ है जो आपको जानना चाहिए

भारत को सॉफ्ट पावर बनाने की ओर अग्रसर है ISRO !

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वर्ष 2022 के पहले सफल प्रक्षेपण में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को पीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से एक ऑल-वेदर अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-04 और दो अन्य उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा। इस लॉन्च के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए एक व्यस्त कैलेंडर की शुरुआत हो चुकी है, इस साल अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य चंद्रयान-3 और गगनयान सहित 19 सैटेलाइट लॉन्च करना है।इस साल ISRO के ज्यादा ही व्यस्त रहने की संभावना है, क्योंकि Covid-19 महामारी के कारण दो साल तक परियोजनाएं ठप पड़ी थी। पिछले साल 28 फरवरी को PSLV-C51 की उड़ान के बाद सोमवार का प्रक्षेपण इसका पहला सफल प्रक्षेपण था, जो ब्राजील के उपग्रह अमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे पेलोड को अंतरिक्ष में ले गया था। पिछले साल अगस्त में पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-03 को GSLV रॉकेट से प्रक्षेपित करने का प्रयास विफल हो गया था।

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ताइवान के वैज्ञानिकों ने लिया भाग

EOS-04 और दो अन्य उपग्रहों को लेकर PSLV-C52 रॉकेट ने सोमवार सुबह 5.59 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। EOS-04 एक रडार इमेजिंग उपग्रह है, जो सभी मौसमों में भूमि की उच्च गुणवत्ता वाली छवियां प्रदान करने में सक्षम है। 18 मिनट बाद इसे ध्रुवीय कक्षा में सेट कर दिया गया था।

अन्य प्रक्षेपित उपग्रहों में से एक INSPIRESat-1 जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय के सहयोग से तिरुवनंतपुरम स्थित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा बनाया गया था, उसे भी अंतरिक्ष में भेजा गया। सिंगापुर में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और ताइवान के नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी इस उपग्रह में योगदान दिया है। यह उपग्रह ऊपरी वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। इसमें सौर ज्वालाओं का अध्ययन करने के लिए एक एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर भी है।

यह पहली बार है, जब ताइवान के वैज्ञानिकों ने भारत से एक उपग्रह लॉन्च करने वाली अंतरराष्ट्रीय टीम में भाग लिया है। हालांकि, वे एक विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं और ताइवान के अधिकारी सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। पर, यह ताइवान के लोगों के साथ जुड़ाव का एक नया क्षेत्र है। इससे पहले इसरो ने 34 देशों के सैटेलाइट लॉन्च किए थे, लेकिन ताइवान इसमे आधिकारिक तौर पर कभी सम्मिलित नहीं था। हालांकि, भारत ‘एक-चीन नीति’ को बनाए रखने का पक्षधर है, लेकिन इसे गैर-राजनीतिक क्षेत्रों, विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्रों में ताइवान के साथ जुड़ने के लिए नई दिल्ली के दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।

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ISRO ने पिछले 2 साल में किए हैं मात्र 3 सफल प्रक्षेपण

दूसरा उपग्रह, INS-2TD भारत-भूटान के पहले संयुक्त उपग्रह के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक है, जिसे अगले महीने लॉन्च किया जाना है। दोनों देशों ने पिछले साल एक अंतरिक्ष समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत मार्च में PSLV रॉकेट पर INS-2B का प्रक्षेपण होगा। सोमवार को उड़ान भरने वाले INS-2TD में एक थर्मल इमेजिंग कैमरा है, जो जमीन और पानी की सतह के तापमान का आंकलन तथा जंगल और पेड़ के कवर की पहचान जैसे पृथ्वी अवलोकन के उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। ISRO का कार्यक्रम कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसके कारण ISRO ने पिछले दो वर्षों में मात्र तीन सफल प्रक्षेपण किए हैं। 2 प्रक्षेपण वर्ष 2020 में हुए, जबकि एक प्रक्षेपण पिछले साल हुआ। इसरो भारत को एक सॉफ्ट पावर बनाने में अहम योगदान दे रहा है। इस नज़रिये से ये साल यानी वर्ष 2022 अत्यंत अहम है।

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