राजनीति के थपेड़े खाने की अभिलाषा रखने वाले नेताओं की बात ही निराली है। कई लोग राजनीति में अपने ग्राफ को बढ़ाने के लिए कोई न कोई निर्णय लेते हैं, ऐसा करने वाले कई नेता मिल जाएँगे पर गिरे पड़े ग्राफ को ऊंचाई तक पहुँचाने वाले नेताओं के हिस्से गालियां और लात-घूंसे अमूमन देखने मिल ही जाते हैं। ऐसे ही छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक जीवन को संवारने के लिए बीते वर्ष 2021 में कन्हैया कुमार ने CPI छोड़ कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। अब उनके हिस्से यहाँ भी जूतम-पैजार ही नसीब में लिखी थी। लखनऊ में कांग्रेस पार्टी कार्यालय में मंगलवार को एक व्यक्ति ने कांग्रेस नेता ने कन्हैया कुमार पर स्याही फेंकी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस नेता लखनऊ सेंट्रल सीट से प्रत्याशी सदफ जफर के नामांकन में शामिल होने के लिए लखनऊ कार्यालय पहुंचे थ इस सभा के दौरान कन्हैया कुमार पर कथित तौर पर स्याही फेंकी गई। स्याही फेंकने वाले ने यह भी कहा कि जो देश का नहीं हुआ वो यूपी का क्या होगा।
दरअसल, जेएनयू में लगे भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारों से प्रसिद्धि पाने के बाद कन्हैया ने दूसरी बार कोई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन करी। पहले वामपंथ के उपासक बन CPI का झंडा-डंडा उठाकर उसी से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और बाद में हार गए। उसके बाद बदलाव की ज़रुरत सझते हुए कन्हैया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अब कांग्रेस के हमजोली हो चुके कन्हैया ने काँग्रेस में शामिल होने के बाद सबसे पहले चुनावों में कांग्रेस पार्टी का विधिवत प्रचार करने का मन तो बनाया पर उसे अमल में लाते ही उनपर स्याही की बारिश हो गई। कांग्रेस के कार्यक्रम में किसी कांग्रेस से जुड़े व्यक्ति ने यदि मन की भावना को स्याही के रूप में उतर दिया हो तो आश्चर्यजनक नहीं होगा।
तिल का ताड़ बनाना, कोई सीखे कांग्रेसियों से, सीखे इनसे सीखे
इस घटना से सुर्खियां बटोरने और जैसे-तैसे प्रचार का साधन बनाने के लिए नेताओं ने कहा कि, “आरोपी ने कन्हैया कुमार पर तेजाब फेंकने की कोशिश की, लेकिन ऐसा करने में असफल रहे। हालांकि, कुछ बूंदें पास में खड़े 3-4 युवाओं पर गिरीं।” स्याही को तेज़ाब बताना ठीक वैसा ही है जैसे भांग को प्रसाद बताना।
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कन्हैया कुमार लखनऊ में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के लिए घर-घर जाकर प्रचार करने पहुंचे थे। कन्हैया ने कहा कि “पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में राज्य विधानसभा चुनाव बड़ा होने जा रहा है। जब से हाथरस, उन्नाव और लखीमपुर खीरी की घटना हुई है, कांग्रेस न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी है। जिन्होंने देश बनाया ही नहीं, वे देश बेच रहे हैं। कांग्रेस ने भारत का निर्माण किया है, इसलिए वह ऐसे लोगों से देश को बचा रही है।” पीएम मोदी से नीचे तो कन्हैया के आते का पानी नहीं हिलता, मोदी-मोदी करके अपनी राजनीतिक छवि खड़े करने के आदी हो चुके कन्हैया कुमार ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रचार के लिए वही पैंतरा चला जो अब तक चलते आए हैं।
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कन्हैया कुमार पर कई दिन से ब्रेकिंग नहीं आ रही थी, ऐसे में चुनाव प्रचार में निकले कन्हैया पर फैंकी गई स्याही, मीडिया के लिए बड़ी खबर बन गई और चर्चाओं से विलुप्त होते जा रहे कन्हैया को संजीवनी मिल गई। अब प्रचार भला हो या बुरा, प्रचार तो प्रचार होता है भाई। कांग्रेस जैसा पुराना राजनीतिक दल कन्हैया कुमार के लिए रेड कार्पेट बिछाकर दे चुका है। ये सभी करतब किसे कहाँ ले जाते हैं, वो तो आने वाला वक्त बता ही देगा, परंतु कन्हैया कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस में उनके शामिल होने से पार्टी और गर्त में जाएगी।