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वैसी जगह जिन्हें प्रकृति की मार पड़ी होती है, सबसे अधिक तेल और खनिज संसाधन वही मिलते हैं

भारत में प्राप्त हो रहे नए संसाधनों से हैरत होना स्वाभाविक है!

Utkarsh Upadhyay द्वारा Utkarsh Upadhyay
25 February 2022
in ज्ञान
वैसी जगह जिन्हें प्रकृति की मार पड़ी होती है, सबसे अधिक तेल और खनिज संसाधन वही मिलते हैं

source- google

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मीठा-मीठा गप-गप, कड़वा-कड़वा थू-थू। वैश्विक स्तर पर यह कथन खनिजों और संसाधनों की खोज एवं आपूर्ति में सटीक बैठता है। लोभ-लालच में डूबे विश्व को सामने दिखने वाली चीज़ ही महत्वकांक्षी और उपयोगी लगती है, पर ऐसा नहीं है! कई बार दबी-ढंकी चीज़ों का बड़ा ही महत्व हो जाता है, ऐसे में किसी भी तत्व के उद्गम होने से पूर्व ही उसे अयोग्य और निरर्थक सिद्ध करना बिलकुल सही नहीं है। यह सर्वविदित है कि, अधिकांश रूप से जिस क्षेत्र में पर्यावरण या वातावरण का तार्तम्य नहीं बैठता है, सबसे अधिक तेल और खनिज संसाधनों का उद्गम वहीं से हुआ है। ऐसे में उस क्षेत्र का आर्थिक उदय तो होगा ही पर उसके प्रति अन्य सभी देशों का व्यवहार पल भर में बदल जायेगा।

वो फ़िल्मी लाइन है न जो जीता वही सिकंदर, बस इसी को आधार बनाते हुए सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि जो भी क्षेत्र बनावट, प्राकृतिक रूप से असहाय लगता है उसको त्वरित अपनी पसंदीदा सूची से विमुख नहीं कीजिये। हर चीज़ का एक समय निर्धारित होता है, यदि मनुष्य के मन के अनुरूप सब चलने लगा तो ईश्वर की क्या ही आवश्यकता, “वो क्या करें, अपनी जॉब छोड़ दें?”

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भारत में अब नए संसाधनों की बाढ़ आ गई है-

आपको बता दें कि भारत में खनिजों का भंडार प्रचुर मात्रा में है। हमारा देश स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, कोयले का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक, लोहे का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक और दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा बॉक्साइट भंडार है। कुल मिलाकर, भारत नब्बे से अधिक विभिन्न प्रकार के खनिजों का उत्पादन करता है। इतने समृद्ध संसाधन आधार वाले देश को इस अंतर्निहित ताकत पर अपनी आर्थिक वृद्धि और धन सृजन क्षमता का लाभ उठाना चाहिए। उसकी क्षमताएं तो और सभी देशों से अधिक हैं पर अनुसंधान या अन्वेषण के बगैर भारत आगे नहीं बढ़ सकता है। निश्चित रूप से पूरा विश्व भौगोलिक परिपाटी में अनन्य प्रकार की चीज़ों से घिरा हुआ है, हर चीज़ के उद्गम का एक सही समय निर्धारित होता है।

समय से पहले और भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता है-

जिस प्रकार खाड़ी देशों जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, कतर और ओमान जैसे देश शामिल हैं, इन सभी देशों के रहवासी एक समय पर रेत से भरे इलाकों और गरीबी के कारण उस इलाके को कोसा करते थे परंतु आज वही तेल की खदानों के साथ सबसे अधिक आय अर्जित कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ अफ्रीका के किम्बरले में था जहाँ बाद में सोने और हीरे की खदानें खोजी गईं। इस भांति ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तानों में दुर्लभ खनिजों के माध्यम से उसकी अलग महत्ता बढ़ गई। इन सभी देशों में स्थित यह करिश्माई भंडार, अनुसंधान होने से पूर्व यहाँ एक समय पर सभी रहवासी अपने-अपने तर्कों के साथ बाधा बन रहे तत्व को धुत्कारते है।

और पढ़ें- अब दुर्लभ खनिजों पर से चीन के एकाधिकार को खत्म करेगा अमेरिका   

शास्वत सत्य यही है कि दुनिया में हर देश और हर छोर पर अपनी अपनी विविधताएं और बाधाएँ दोनों विद्यमान होती हैं। उसी प्रकार उसको ग्रहण और सहेजने की भी एक कला हर जनमानस में होनी चाहिए। जिस भांति वैश्विक स्तर पर रफ़्तार के साथ सभी क्षेत्र प्रगति कर रहे हैं, निस्संदेह धीरे-धीरे ही सही पर अलक्ष्य और अदृश्य खनिजों और संसाधनों का एक बड़ा बाजार स्थापित करने के लिए सभी एकाग्रित हैं और निश्चित रूप से इस लक्ष्य की भी प्राप्ति हो जाएगी। भारत में खोजे जा रहे नए भंडार इसी का प्रमाण है!

और पढ़ें- BPCL, SCI और अन्य संपत्तियों को खरीदने के लिए वेदांता ने अलग रखा 10 अरब डॉलर का फंड

Tags: आर्थिकसऊदी अरबसंसाधन
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