डिटिजल युग में क्रिप्टोकरेंसी को वैश्विक मुद्रा व्यवस्था में डॉलर का विकल्प माना जा रहा था, किंतु क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई तरह की कठिनाइयां सामने आ रही हैं। कुछ दिनों पहले ही क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकर्ताओं को एक बड़े प्लेटफार्म पर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था। क्रिप्टोकरेंसी काफी खतरनाक है, दुनिया के कई देशों में क्रिप्टो से होने वाले कई फ्रॉड अभी तक सामने आ चुके हैं। इसी बीच सिंगापुर से भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। सिंगापुर के निवेशकों को पिछले तीन वर्षों में किसी अन्य धोखाधड़ी की तुलना में क्रिप्टो में किए गए फर्जी निवेश योजनाओं से सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सिंगापुर के निवेशकों को पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से चीनी मूल के ‘पिग बूचरिंग’ क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड के सबसे अधिक शिकार बने हैं। पिग बूचरिंग चीनी शब्द ‘शा झू पान’ से निकला है, जिसका अर्थ है वध से पहले एक सुअर को मोटा करना। इसे अपराधियों ने खुद अपने घोटाले का वर्णन करने के लिए गढ़ा था। ध्यान देने वाली बात है कि इस तरह के घोटाले चीन में वर्ष 2016 में शुरू हुए थे। जालसाज फर्जी निवेश योजनाओं में निवेश करने के लिए आग्रह करने से पहले लक्ष्य यानी निवेशकों के साथ निकटता बनाने में अपराधी महीनों लगाते हैं और उसके बाद ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। पिछले साल ऐसी योजनाओं से सिंगापुर में निवेशकों को 19.09 करोड़ सिंगापुर डॉलर का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा 2019 में 3.69 करोड़ डॉलर से पांच गुना अधिक है।
चीनी सरकार ने वर्ष 2018 में अवैध सट्टेबाजी पर नकेल कसी। लेकिन फिर जालसाजों ने दक्षिण पूर्व एशिया में चीनी भाषी प्रवासियों को निशाना बनाया। जैसे-जैसे यूरोप और अमेरिका में जनसांख्यिकी का विस्तार हुआ, क्रिप्टोकरेंसी निवेश की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ घोटाले की रणनीति विकसित हुई।
इस मामले पर सिंगापुर पुलिस बल ने कहा है कि यहां पीड़ितों ने हांगकांग सहित मुख्य रूप से चीन में बैंकों को धन हस्तांतरित किया। पुलिस ने कहा, “मुनाफे काटने के लिए निवेशकों को प्रशासनिक शुल्क, सुरक्षा शुल्क या करों का भुगतान करने के लिए कहा गया था। कई मामलों में, पीड़ितों ने शुरुआती चरण में लाभ अर्जित किया, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि निवेश वैध और आकर्षक है। लेकिन एक बार बड़ी मात्रा में पैसा नामित खातों में जमा हो जाने के बाद, स्कैमर्स संपर्क से बाहर हो गए।”
सिंगापुर के युवाओं ने खो दिए हैं 10.7 मिलियन
सिंगापुर में हर साल होने वाली ‘पिग बूचरिंग’ घोटालों की संख्या का कोई आधिकारिक डेटा नहीं है, लेकिन गैर-लाभकारी ग्लोबल एंटी-स्कैम ऑर्गनाइजेशन (जीएएसओ) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 30-40 आयु वर्ग के पेशेवरों ने एसजीडी 10.7 मिलियन खो दिए हैं। इन पीड़ितों में लगभग 70 प्रतिशत 25 से 40 आयु वर्ग की महिलाएं थी। 90 प्रतिशत से ज्यादा पीड़ित उच्च शिक्षित थे। ध्यान देने वाली बात है कि GASO ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पिग बूचरिंग घोटालों के अधिकांश पीड़ितों ने अपना बचत खाता खाली कर दिया था और कई तो कर्ज में डूब गए थे। निवेश घोटालों से निपटने के लिए, सिंगापुर के अधिकारी संभावित पीड़ितों को लक्षित SMA सलाह भेजकर उनकी पहचान करने और उन्हें चेतावनी देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।
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सिंगापुर को लेनी चाहिए भारत से सीख
क्रिप्टो के धोखाधड़ी से बचने के लिए सिंगापुर को भारत से सीखना चाहिए। आपको बता दें कि RBI ने देश में निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के बारे में वर्ष 2018 में एक अधिसूचना जारी की थी। जिसके बाद मोदी सरकार ने फरवरी 2021 में बजट सत्र के दौरान ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश किया था, ताकि आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार किया जा सके। हालांकि, मोदी सरकार ने इस पर पूरी प्रतिबंध नहीं लगाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि अब भारत की अपनी डिजिटल करेंसी की घोषणा के बाद निजी क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने हेतु प्रस्ताव भी पारित किए जा सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है। यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है। ऐसे में जब तक दुनिया के देश क्रिप्टोकरेंसी को सेंट्रलाइज्ड करने पर विचार नहीं करेंगे, ऐसे घोटाले सामने आते रहेंगे और निवेशक डूबते रहेंगे।