मुख्य बिंदु
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किप्टोकरेंसी पर साफ किया सरकार का रुख
- क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स लगाने का मतलब किप्टोकरेंसी को मान्यता देना नहीं है
- क्रिप्टो पर टैक्स लगने से इसके ट्रांजैक्शन पर रहेगी सरकार की नज़र
दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2022 को संसद में बजट पेश करते समय क्रिप्टो करेंसी ट्रांजैक्शन पर 30 फीसदी टैक्स की बात कही थी। इसके बाद निवेशकों के बीच इसे मान्य करने को लेकर चर्चा हुई। कारण यह था कि अगर सरकार इस पर कर लगा रही है, तो इसका मतलब यह वैध है और कानूनी रूप से मान्य भी। निर्मला सीतारमण ने कहा कि “मैं इस स्तर पर इसे वैध या प्रतिबंधित नहीं करने जा रही हूं। प्रतिबंध लगाना या न लगाने का निर्णय उच्च प्रशासनिक अधिकारियों और आर्थिक विशेषज्ञों से विचार विमर्श के बाद आएगा।”
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क्रिप्टो पर टैक्स लेकिन क़ानूनी मान्यता नहीं
हालांकि, वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा था कि RBI द्वारा जारी केवल ‘डिजिटल रुपया’ को ही डिजिटल मुद्रा के रूप में मान्यता दी जाएगी पर क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाना उसके वैध होने का प्रमाण नहीं है। चूंकि, सरकार अभी निवेशकों के बीच किसी प्रकार का वित्तीय भ्रम और भय नहीं फैलाना चाहती। इसीलिए अभी इसके वैधता के प्रश्न पर सरकार चुप है। लेकिन सरकार इससे बिना मुनाफा कमाए निवेशकों को एकाधिकार भी नहीं देना चाहती है। अतः इस पर टैक्स लगाया गया है।
सरकार के अनुसार 1 अप्रैल से किसी भी डिजिटल संपत्ति या क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत कर लगाएगी। वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी के ऑनलाइन भुगतान पर एक प्रतिशत TDS लगाने का भी प्रस्ताव है। यह कर कटौती इसके स्रोत पर होगी। साथ ही ऐसी संपत्ति को उपहार में देने पर कराधान का प्रस्ताव भी किया गया है। वित्त मंत्री ने ऐसे समय में यह बात कही है जब क्रिप्टोकरेंसी टैक्स को लेकर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ लोग इस तथ्य की ओर इशारा कर रहे हैं कि लेनदेन को टैक्स के दायरे में लाना इसे वैध बनाने की दिशा में एक कदम है।
RBI ने क्रिप्टो को बताया था वित्तीय खतरा
वहीं, क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स तब लगा है जब सरकार क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक के विनियमन पर विचार कर रही है। हालांकि, बजट सत्र के दौरान इस विधेयक का जिक्र नहीं था। वहीं, अब निजी क्रिप्टोकरेंसी को वैध बनाने की मांग को लेकर RBI के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। RBI ने इस मसले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि “निजी क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा हैं।” मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि “क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित (मूल्य) नहीं है।”
बता दें कि इनकम पर टैक्स लगाने के मामलों को आयकर अधिनियम, 1961 द्वारा संचालित किया जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(24) में आय शब्द की समावेशी (inclusive) परिभाषा है। वहीं, इस अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत वैधानिक छूट और कटौती की अनुमति भी है, जिसका लाभ एक करदाता उठा सकता है। हालांकि, अधिनियम प्राप्त सभी इनकम पर टैक्स का भुगतान करने के दायित्व से अवगत कराता है।
सरकार का चतुराई भरा कदम
ऐसे में कुछ तथ्य पूर्णतः स्पष्ट हो जाते हैं। पहला यह कि क्रिप्टोकरेंसी पर लगने वाला 30 प्रतिशत टैक्स इसके वैधानिकता का प्रतीक नहीं है अर्थात क्रिप्टोकरेंसी अभी भी कानूनी रूप से मान्य नहीं है। वैधानिकता की जाँच करना अन्य विभाग का काम है। दूसरा, इनकम टैक्स आय पर लगता है। लिहाजा, आनेवाले समय में देखना होगा कि सरकार इसको लेकर क्या कदम उठती है? अगर उस कदम के प्रतिकूल कुछ भी होता है तो फिर ऐसे लोगों को कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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हालांकि, वर्तमान में सरकार का उद्देश्य सिर्फ देश की वित्तीय सम्मप्रभुता को बनाए रखते हुए आम नागरिकों की आर्थिक स्वतन्त्रता को सुनिश्चित करना है। टैक्स लगाने से क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजैक्शन पर सरकार की नज़र रहेगी। साथ ही इससे देश का राजकोष बढ़ेगा और लोगों की आर्थिक स्वतन्त्रता भी सुरक्षित रहेगी। वहीं, निवेशकों में भी इसके अनिश्चितता का भय समाप्त होगा। अंततः कहा जा सकता है कि यह सरकार का चतुराई भरा कदम है।