राणा अय्यूब के समर्थन में भारत पर सवाल उठाकर संयुक्त राष्ट्र ने गलती कर दी है

UN की लंका लगाएगा भारत!

Rana Ayub

Source- Google

देश की सबसे बड़ी शान क्या है? आप हैं, हम हैं, हम सभी हैं। राष्ट्र की सबसे बड़ी थाती, संपति और शान वहां के नागरिक होते हैं। पर, कभी कभी यही लोग देश के सबसे बड़े अपमान बन जाते हैं। हमारे डॉक्टर और इंजीनियर्स हमारे राष्ट्र के प्रथम राजदूत और यहां के गौरवशाली संस्कृति के संवाहक बनते हैं, तो कभी-कभी यही पेशेवर लोग भारत को अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपमानित भी करते हैं। भारत को अपमानित करने वाले ऐसे ही लोगों की सूची में शामिल है- पत्रकार राणा अय्यूब, जिनके अनुसार भारत की स्थिति, कट्टरता के मामले में अफगानिस्तान से भी खराब है। भारत को कोसने से उनका घर चलता है और वो ऐसा करने के लिए भारत विरोधियों से फ़ंड भी लेती रहती हैं! ऐसे ही अनैतिक और अवैध वित्तपोषन के मामले में जब वो फंसी, तो उन्हें बचाने के लिए उनके भारत विरोधी विदेशी दोस्त सामने आ गए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर कीचड़ उछालने लगे।

और पढ़ें: तीस्ता सीतलवाड़ से लेकर राणा अय्यूब तक, उदारवादी विचारधारा में बहुत कुछ गलत है

जानें क्या है पूरा मामला?

अंतरराष्ट्रीय संगठन के मानवाधिकार परिषद से जुड़े दो विशेष दूतों ने एक बयान जारी कर पत्रकार राणा अय्यूब का “कानूनी उत्पीड़न” करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना की। तात्कालिक तौर पर इसके जवाब में भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में इन तथाकथित विशेषज्ञों को खूब लताड़ा और उनको उनकी औकात दिखाई। जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों में भारत के स्थायी मिशन ने इन दोनों विशेष प्रतिवेदकों की आलोचना ट्विटर के माध्यम से पूर्णतः खारिज कर दिया।

जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों में भारत के स्थायी मिशन ने ट्वीट करते हुए कहा, “तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप निराधार और अनुचित हैं। भारत कानून के शासन को कायम रखता है, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के विशेष संवाददाता वस्तुनिष्ठ और सटीक रूप से सूचित हों। भ्रामक खबरों को आगे बढ़ाना केवल @UNGeneva की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।” अब आगे की कारवाई में भारत के इस स्थायी मिशन द्वारा उन्हें एक मौखिक नोट जारी किए जाने की भी संभावना है।

आइरीन खान का दोहरा चरित्र

ध्यान देने वाली बात है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार की विशेष दूत आइरीन खान तथा मानवाधिकार रक्षकों की स्थिति हेतु नियुक्त विशेष प्रतिवेदक मैरी लॉलर ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाते हुए कहा, “भारत सरकार न केवल एक पत्रकार के रूप में अय्यूब की रक्षा करने के अपने दायित्व में विफल रही है, बल्कि उसके खिलाफ जांच के माध्यम से वह उसे प्रताड़ित भी कर रही है।“ लॉलर और खान ने कहा, “यह जरूरी है कि अधिकारी राणा अय्यूब को कानूनी खतरों और ऑनलाइन नफरत से बचाने के लिए तत्काल उपाय करें और उसके खिलाफ जांच को समाप्त करें।” उन्होंने कहा, एक “स्वतंत्र खोजी पत्रकार” और “मानवाधिकार रक्षक” के खिलाफ ऑनलाइन नफरत और सांप्रदायिक हमलों की भारत में अधिकारियों द्वारा तुरंत और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए तथा उनके खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।

और पढ़ें: Dear Washington Post, राणा अय्यूब को बर्खास्त करो!

आपको बता दें कि आइरीन खान 1 अगस्त 2020 से राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रचार और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष रिपोर्टर हैं। वो वर्ष 2001 से वर्ष 2009 तक एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव थी। वर्ष 2010 से 2011 तक बांग्लादेश में द डेली स्टार के सलाहकार संपादक के रूप में उन्होंने मानवाधिकार, लोकतंत्र और लैंगिक मुद्दों को कवर किया एवं स्वतंत्र मीडिया का समर्थन किया। भारत में देशविरोधी गतिविधियों के कारण एमनेस्टी इंटरनेशनल को बंद करने के कारण भी वो गुस्से में हैं, इसीलिए राणा अय्यूब जैसे देश विरोधियों के पक्ष में आवाज़ उठाकर वो अपना हित साध रही हैं। खान तो बांग्लादेश में भी पत्रकार थी पर आपने उन्हे बांग्लादेश में हिंदुओं के हाल पर आवाज़ उठाते कभी नहीं सुना होगा।

ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले हफ्ते कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अय्यूब से संबंधित 1.77 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। ईडी ने उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज एक शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी। वाशिंगटन पोस्ट और अन्य मीडिया आउटलेट्स के लिए लिखने वाली राणा अय्यूब ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित लोग और इसे त्रस्त गरीबों की मदद के लिए एक ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से एकत्र की गई बड़ी राशि को उन गरीबों पर खर्च करने के बजाय अपने पिता और बहन के बैंक अकाउंट में ट्रान्सफर कर दिया था।

अय्यूब पर और तेज होगी कार्रवाई

पूरा मामला यह है कि अय्यूब ने वर्ष 2020 और 2021 में तीन अलग-अलग crowdfunding अभियानों के माध्यम से 2.6 करोड़ की धनराशि एकत्रित कर ली। धनराशि का एक हिस्सा उनके पिता और बहन के बैंक खातों में रखा गया था, जिसे बाद में उन्होंने अपने खाते में स्थानांतरित कर दिया गया था। फिर, वो इस पैसे का निजी उपयोग करने लगी और राहत कार्य के खर्च का दावा करने के लिए फर्जी बिल तैयार करवा लिए, जिसके कारण वो जांच के दायरे में आ गई।

इस मामले में अब प्रतिदिन नए नए तथ्य सामने आ रहे हैं। इतना ही नहीं उन पर कई FCRA उल्लंघनों का भी आरोप है। राणा अय्यूब ने कथित तौर पर एफसीआरए की पूर्व मंजूरी लिए बिना विदेशी चंदा प्राप्त किया और उन्होंने विदेश से प्राप्त लगभग 75-80 लाख रुपये की राशि का हिसाब भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को नहीं दिया।

संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के मुताबिक अल्पसंख्यक मुसलमानों पर अय्यूब की रिपोर्टिंग, महामारी से निपटने के लिए सरकार की आलोचना और हिजाब प्रतिबंध पर की गई उनकी टिप्पणियों के परिणामस्वरूप भारत उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। हालांकि, भारत ने जवाब देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि भारत ऐसी अनर्गल बकवास को कभी नहीं सहेगा और राणा अय्यूब पर कारवाई और तेज़ होगी।

और पढ़ें: ‘उग्र क्रांतिकारी’ राणा अय्यूब की डूबती नैया बचाने अब उनके प्रिय कॉमरेड भी नहीं आने वाले

Exit mobile version