भारत की राजकीय, संसदीय, संवैधानिक, वित्तीय और आर्थिक व्यवस्था का ऐसा कोई सा भी पहलू नहीं है जिसमें नरेंद्र मोदी की सरकार ने उद्धार नहीं किया है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत में लागू अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को पूरी तरह से बदलते हुए वस्तु और सेवा कर अर्थात जीएसटी लेकर के आएं। इस सरकार का यह मानना है कि भारत को बुलेट, बुक और बैंक तीनों से सशक्त होना पड़ेगा तभी वह आगे जाकर वैश्विक महाशक्ति में खुद को परिवर्तित कर सकता है जिसे चुनौती देने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं है। हाल के दिनों में मोदी सरकार इसकी प्राप्ति के लिए अप्रत्याशित रूप से मेहनत कर रही है।
इसी कड़ी में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से प्राप्त इनपुट के अनुसार, PSB की पूंजी से जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) में पिछले तीन वर्षों में काफी सुधार हुआ है। यह अनुपात 2018-19 के अंत में 12.20 प्रतिशत से बढ़कर 14.34 प्रतिशत हो गया है। 31 दिसंबर, 2021 तक, वित्त राज्य मंत्री भागवत के कराड ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में इस बात की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, ” 31 दिसंबर, 2021 को जारी बैंकों की पूंजी की स्थिति से पता चलता है की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक [पीएसबी] वर्तमान में पर्याप्त रूप से पूंजीकृत हैं।”
भारतीय साधारण बीमा निगम (जीआईसी) के संबंध में कराड ने कहा- ”जीआईसी के निजीकरण का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। इसके अलावा, प्राप्त इनपुट के अनुसार, 31.03.2021 तक एलआईसी और जीआईसी की कुल बकाया संपत्ति क्रमशः 38.04 लाख करोड़ रुपये और 1.35 लाख करोड़ रुपये थी।”
बैंकों में जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से, कराड ने कहा कि डीआईसीजीसी ने 4 फरवरी, 2020 से बीमित बैंकों में जमाकर्ताओं के लिए बीमा कवर की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति जमाकर्ता कर दी है। जमा बीमा कवर सभी बीमित बैंकों और उनके जमाकर्ताओं पर समान रूप से लागू होता है।
इसके अलावा, जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (संशोधन) अधिनियम, 2021 को 13.08.2021 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई और इसे 01.09.2021 से लागू कर दिया गया है।
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यह संशोधन जमाकर्ताओं को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत बैंकों पर प्रतिबंध लगाने के मामलों में डीआईसीजीसी द्वारा अंतरिम भुगतान के माध्यम से जमा बीमा कवर की सीमा तक अपनी जमा राशि तक आसान और समयबद्ध पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
अब यह बीते दिनों की बात हो गई जब बैंकों में जमा गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के खून पसीने की कमाई बड़े-बड़े पूंजीपति लेकर के विदेश भाग जाते थे। भारत सरकार ने बैंकिंग प्रक्रिया में सुधार कर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को भारत के अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित कर दिया। बैंकों द्वारा दर्ज किए जा रहे घाटों में भी अप्रत्याशित रूप से कमी आई है। उनके बैड लोन और एनपीए भी गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैड बैंक स्थापित करने की घोषणा की थी। इस बैंक के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा दर्ज किए जा रहे घाटों को सोखने की एक योजना थी। इतना ही नहीं भारत सरकार ने बीमा क्षेत्र के पुनरुत्थान के लिए भी अप्रत्याशित कदम उठाए हैं, जिसमें इस क्षेत्र में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ साथ एलआईसी के आईपीओ को जारी करने की प्रक्रिया भी शामिल है। भारत ने बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम 2021 को लागू करते हुए अपने लोगों को न सिर्फ बड़ी आर्थिक राहत बल्कि सुरक्षा भी प्रदान की है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नितउठाए जा रहे इन सुधारवादी कदमों ने भारत के आर्थिक और बैंकिंग व्यवस्था में विकास और सुरक्षा के नित नए आयाम जुड़े हैं। सरकार का यह कदम प्रशंसनीय और सराहनीय है।
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