आदमी को जब कुछ भी अथाह मिल जाता है तो उसके लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है उस संपत्ति का भावी भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उसका सकारात्मक भण्डारण करना। इसी बीच इस प्रक्रिया में विफल हो चुके एक व्यक्ति जो कभी देश के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार होते थे आज वो कंगाली के रास्ते पर जा चुके हैं। जी हाँ बात हो रही है मशहूर बिजनेस टाइकून स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी के जेष्ठ पुत्र अनिल अंबानी की जिन्होंने शुक्रवार को रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि बाजार नियामक SEBI के आदेश के बाद उन्हें किसी भी सूचीबद्ध कंपनी के साथ जुड़ने से रोक दिया गया था। ऐसे में अनिल अंबानी व्यवसाय जगत के राहुल गांधी बन गए हैं, पूँजी और वर्चस्व इतना पर उसे सिरे तक पहुंचाने में दोनों ही नाकाम रहे फिर चाहे राजनीति में राहुल गांधी हों या धंधे में अनिल अंबानी दोनों ने अपने पुरखों का नाम रोशन करने में कोई अहम भूमिका नहीं निभाई शायद इसलिए ही दोनों आज पतन के रास्ते पर चल पड़े हैं।
धीरूभाई अंबानी के नाम से लोकप्रिय धीरजलाल हीराचंद अंबानी एक भारतीय बिजनेस टाइकून थे जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी। अंबानी ने 1977 में रिलायंस को सार्वजनिक किया और 2002 में उनकी मृत्यु के बाद कंपनी की कीमत 7.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। इस मान-प्रतिष्ठा और धन-धान्य को संभाले रखने और व्यवसाय को आगे बढ़ाने ज़िम्मेदारी जब धीरूभाई के दोनों बेटों- बड़े बेटे मुकेश अंबानी और छोटे बेटे अनिल अंबानी पर आई तो उनकी मां कोकिलाबेन ने बंटवारा किया। इस बंटवारे में जहाँ एक ओर अनिल को बहुत अहम हिस्से मिले। अनिल अंबानी को दूरसंचार, मनोरंजन, वित्तीय सेवाओं, बिजली और बुनियादी ढांचे में रुचि रखने वाले रिलायंस समूह के हिस्से मिले। अंबानी को भारत के सबसे बड़े आईपीओ, रिलायंस पावर का भी श्रेय दिया गया है, जिसे 2008 में 60 सेकंड से भी कम समय में सब्सक्राइब किया गया था, जो भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में अब तक सबसे तीव्र था।
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इन सभी के बावजूद अनिल अंबानी इस संपत्ति को सँभालने और अपने व्यवसाय को स्थिर करने में विफल हो गए। वर्ष 2007 में अनिल अम्बानी की कुल संपत्ति 45 बिलियन डॉलर थी और वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में छठे स्थान पर थे उनकी कुल संपत्ति बड़े भाई मुकेश अंबानी से भी ज्यादा थी पर आज आलम यह है कि अनिल अंबानी बिल्यनिर लिस्ट से तो कबके बाहर हो ही गए हैं उन्हें अपने पदों से भी इस्तीफा देने की नौबत आन पड़ी है।
अनिल अंबानी का नाम कभी दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार हुआ करता था, लेकिन आज वे ऐसी कंपनियों के मालिक हैं जिनपर करोड़ों-अरबों रुपयों का कर्ज़ है। पिछले एक दशक के दौरान रिलायंस समूह की पांच बड़ी कंपनियों की कुल संपत्ति 2 लाख 36 हज़ार करोड़ से घटकर सिर्फ 25 हज़ार करोड़ रुपये रह गई है। धीरुभाई अंबानी की मृत्यु के बाद करोड़ों रुपए का रिलायंस साम्राज्य दो भाइयों में बांटा गया था। बड़े भाई मुकेश अंबानी के हिस्से पेट्रोकेमिकल व्यापार आया था, तो वहीं छोटे भाई अनिल अंबानी को अवसरों से भरपूर टेलिकॉम बिजनेस सौपा गया था। इसके अलावा वित्तीय और ऊर्जा व्यापार भी छोटे भाई के हिस्से में ही आया था। इन सभी बड़े हिस्सों को भुनाने में अनिल अंबानी कोई बड़ी योजना नहीं बना पाए और आज जहाँ एक ओर मुकेश अंबानी अपने नीति-निर्देशों से मार्च 2022 तक कुल लगभग 93 बिलियन अमेरिकी डॉल संपत्ति के मालिक हो चुके हैं जो उन्हें एशिया और भारत का दूसरा सबसे अमीर व्यक्ति और दुनिया का 11 वां सबसे अमीर व्यक्ति बनाता है।
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अनिल अंबानी जैसा यही हाल राहुल गांधी का हुआ है, 7 दशक तक इस वयोवृद्ध पार्टी कांग्रेस ने भारत पर राज किया, सत्ता चलाई और वो कहीं नहीं हैं। राहुल गाँधी के दादा-दादी से लेकर पिता-चाचा सबने सत्ता का सुख भोगा पर आज उनकी स्थिति 4 विधायक तोड़ अपनी सरकार बनाने तक की नहीं है, इसे कहते हैं कालचक्र।
रिलायंस पावर ने बीएसई फाइलिंग में कहा, “अनिल अंबानी, गैर-कार्यकारी निदेशक, सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के अंतरिम आदेश के अनुपालन में रिलायंस पावर के बोर्ड से हट गए। ” स्टॉक एक्सचेंज को एक अलग फाइलिंग में , रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि अनिल अंबानी ने “सेबी के अंतरिम आदेश के अनुपालन में अपने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। सेबी ने फरवरी में रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, उद्योगपति अनिल अंबानी और प्रतिभूति बाजार से तीन अन्य व्यक्तियों को कथित तौर पर कंपनी से धन की हेराफेरी करने के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया था। नियामक ने अंबानी और तीन अन्य को “सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ, किसी भी सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी या किसी भी सार्वजनिक कंपनी के कार्यवाहक निदेशकों / प्रमोटरों के साथ खुद को जोड़ने से रोक दिया, जो अगले आदेश तक जनता से धन जुटाने का इरादा रखता है।” रिलायंस समूह की दो कंपनियों ने कहा कि राहुल सरीन को आरपावर और आरइन्फ्रा के बोर्ड में शुक्रवार को पांच साल की अवधि के लिए स्वतंत्र निदेशक की क्षमता में अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है, जो आम बैठक में सदस्यों की मंजूरी के अधीन है।
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आज अनिल अंबानी सबकुछ पाकर भी सबकुछ खोते दिखाई पड़ रहे हैं, कभी अनिल अंबानी के कहने पर बड़े-बड़े व्यवसाय इधर से उधर हो जाते थे पर आज अनिल अंबानी क स्थिति ऐसी है कि न वो इधर के दिख रहे न उधर के। भाई मुकेश अंबानी ने अपनी संपदा को दिनों-दिन आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया और Jio के आने के बाद का मुकेश अंबानी का वर्चस्व किसी से छुपा नहीं है। सौ बात की एक बात यह है कि जिस प्रकार हाथ की सभी उँगलियाँ एक प्रकार नहीं होती पर संबंधी चाहे वो कितना भी बड़ा खून का रिश्ता ही क्यों न हो यदि उसकी किस्मत में निराशा और हताशा लिखी है तो कोई भी उसे अमेठ नहीं सकता है, अनिल अंबानी और राहुल गांधी इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।