अगर चीन से बिना भीख मांगे बॉक्स ऑफिस पर मालामाल हुए हो, तो राजामौली हो तुम..
अगर OTT के मायाजाल में नहीं फंसे और 1000 करोड़ कमाए, तो राजामौली हो तुम
हां बॉलीवुड वालों के साथ-साथ आप भी यहीं सोच रहे होंगे, परंतु वो कहते हैं न कि सब्र का फल मीठा होता है और साढ़े 3 वर्ष की प्रतीक्षा के पश्चात प्रदर्शित हुई RRR ने जिस प्रकार सभी अपेक्षाओं के विपरीत 1000 करोड़ कमाए हैं, वो अपने आप में एस एस राजमौली के करिश्माई निर्देशन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। राजामौली द्वारा निर्देशित रौद्रम रणम रुधिरम यानी RRR ने एक बार फिर से भारतीय सिनेमा को गौरवान्वित किया है और इसके लिए उसे न तो चीन से भीख माँगनी पड़ी है और न ही OTT के लुभावने मायाजाल में फंसना पड़ा।
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OTT के प्रभाव में नहीं फंसे राजामौली
25 मार्च 2022 को एस एस राजामौली की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ (RRR) प्रदर्शित हुई, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पहलू पर आधारित एक काल्पनिक कथा है। अल्लूरी सीताराम राजू और कोमारम भीम पर आधारित इस फिल्म ने अब तक 1003 करोड़ वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर कमाए हैं। 550 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म के लिए ये किसी अभूतपूर्व सफलता से कम नहीं है, विशेषकर तब जब अनेक बाधाएं सामने थी।
RRR की सफलता एस एस राजामौली के लिए केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं कि उन्होंने ‘बाहुबली’ के प्रभाव को कायम रखा, अपितु इसलिए भी है क्योंकि कोविड के कारण हुए विलंब एवं बाधाओं के बाद भी न तो उनका विश्वास डगमगाया और न ही वो OTT के लुभावने प्रभाव में आए। ये वो समय था जब कोविड के कारण OTT अपना सिक्का जमाने लगा था और कई फिल्में इसके प्रभाव में आकर प्रतीक्षा का मार्ग अपनाने के बजाए OTT पर प्रदर्शन को ही उपयुक्त समझ बैठी थी। यहां तक कि ‘शेरशाह’ जैसे फिल्में भी इसके प्रभाव से नहीं बच पाई।
परंतु ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ तमाम लुभावने ऑफर के बाद भी OTT पर डायरेक्ट रिलीज़ के जाल में नहीं फंसी और अब जब ये फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई तो दर्शकों को आभास हो रहा है कि क्यों एस एस राजामौली ने ऐसा करके ठीक किया। लेकिन एस एस राजामौली ने केवल यहीं पर झंडे नहीं गाड़े, अगर इस फिल्म के वैश्विक कलेक्शन का ध्यान से विश्लेषण करें, तो चीन का नाममात्र भी उल्लेख नहीं है और वहीं लाख विरोध के बाद भी इस फिल्म को रूस में कई शो मिले। स्वतंत्रता के एक वास्तविक पहलू को प्रदर्शित करती इस फिल्म की सफलता को देख कर वामपंथियों की जमकर सुलग रही है।
सिनेमा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है रौद्रम रणम रुधिरम
अब आपके लिए एक छोटा सा प्रश्न – भारत की सबसे सफलतम फिल्म कौन सी है? आपके दिमाग में स्वत: आएगा – बाहुबली! परंतु, वैश्विक कलेक्शन के अनुसार, नितेश तिवारी निर्देशित ‘दंगल’ 2100 करोड़ रुपये से भी अधिक के राजस्व के साथ भारत की सबसे सफल फिल्म है। परंतु रुकिए, इस सफलता पर इतना मत इतराइए। 70 करोड़ के बजट पर बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 700 करोड़ से अधिक का कुछ वैश्विक कलेक्शन किया था, जिसमें से करीब 550 से 600 करोड़ तो अकेले भारत से ही आए थे। तो बाकी का पैसा कहाँ से आया? वर्ष 2018 में यह फिल्म चीन में प्रदर्शित हुई, जहां पर इसने लगभग 1300 करोड़ रुपये कमाए थे। लेकिन एक बात बताइए, जिसने वैश्विक कलेक्शन में मुश्किल से 100 करोड़ कमाए हों, वो एक झटके में 1300 करोड़ कैसे कमा गया?
हालांकि, अब RRR की सफलता ने कई मिथकों को ध्वस्त कर दिया है, साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि आपको बॉक्स ऑफिस पर सफल होने के लिए अपनी संस्कृति को हीन दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है। न ‘बाहुबली’ में अपनी संस्कृति के साथ राजामौली ने कोई समझौता किया और न ही RRR में उन्होंने अपनी संस्कृति को हीन किया। इसीलिए रौद्रम रणम रुधिरम (RRR) 1000 करोड़ से अधिक के कलेक्शन सहित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जिसमें करीब 225 करोड़ सिर्फ हिन्दी के डब संस्करण से आए हैं, जो पिछले वर्ष रिलीज़ हुए सूर्यवंशी से भी अधिक है।
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