मोदी सरकार ने अपने दम पर निर्यात को पुनर्जीवित किया है और कृषि क्षेत्र इस बदलाव का नेतृत्व कर रही है

भारत ने एक साल में 400 बिलियन डॉलर से ज्यादा निर्यात कर रिकार्ड बनाया है!

कृषि निर्यात

source- tfipost

कोरोना वायरस महामारी के बीच, जब दुनिया फसल में गड़बड़ी के कारण खाद्य संकट से जूझ रही थी, तब भारतीय कृषि क्षेत्र ने अपना उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया। हालाँकि, महामारी के बाद की दुनिया में, भारत एक खाद्य निर्यात के स्त्रोत के रूप में उभरने के लिए तैयार है। आपको बता दें कि आने वाले वर्षों में, भारत आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य पदार्थों के निर्यात के लिए जाना जाएगा। मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत निर्यात के मोर्चे पर आगे बढ़ता रहे और एक शानदार विकास पथ पर अग्रसर हो। व्यापारिक निर्यात और कृषि निर्यात एक ऐतिहासिक उच्च स्तर पर हैं और चीन की निर्यात पर निर्भरता भी दम तोड़ रही है।

इसी क्रम में रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग सामान, रत्न और आभूषण और रसायनों के उच्च शिपमेंट पर 2021-22 के वित्तीय वर्ष में भारत का व्यापारिक निर्यात 418 बिलियन अमरीकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारत का माल व्यापार (निर्यात और आयात) 2021-22 के दौरान 1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गया क्योंकि देश का आयात भी 610 बिलियन अमरीकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया है।

400 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निर्यात भारत ने किया है

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मार्च 2022 में आउटबाउंड शिपमेंट 40.38 बिलियन अमरीकी डॉलर के मासिक उच्च स्तर को छू गया। वहीं मार्च 2021 में निर्यात 35.26 बिलियन अमरीकी डॉलर था। 2020-21 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 292 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। इस साल 21 मार्च को भारत का व्यापारिक निर्यात 400 अरब डॉलर के लक्ष्य को पार कर गया है। प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण, रसायन और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। आपको बता दें कि शीर्ष निर्यात गंतव्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, नीदरलैंड, सिंगापुर, हांगकांग, यूके, बेल्जियम और जर्मनी हैं।

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पीयूष गोयल ने कहा ,”चालू वित्त वर्ष में भारत से व्यापारिक निर्यात 417.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है जो भारत के निर्यात इतिहास में सर्वकालिक उच्च दर है। गोयल ने कहा कि निर्यातकों और उद्योग संघों के प्रयासों, विभिन्न विभागों और राज्य सरकारों के बीच समन्वय से यह उपलब्धि हासिल हुई है। गोयल ने कहा, “कोविड की लगातार लहरों से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत के व्यापारिक व्यापार प्रदर्शन ने प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है और निर्यात अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान लगातार 12 महीनों तक 30 बिलियन अमरीकी डॉलर से ऊपर रहा है। वहीं अप्रैल 2021-मार्च 2022 के दौरान कृषि निर्यात 48 बिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश का गेहूं निर्यात 100 लाख टन (10 मिलियन टन) को पार करने की संभावना है। 2020-21 में 21.55 लाख टन (4,000 करोड़ रुपये से अधिक) के मुकाबले 2021-22 में निर्यात पहले ही 70 लाख टन (15,000 करोड़ रुपये से अधिक) को पार कर चुका है।

पीयूष गोयल ने कहा, “हम बड़े पैमाने पर गेहूं का निर्यात करना जारी रखेंगे और उन देशों की जरूरतों को पूरा करेंगे जो संघर्ष क्षेत्रों से अपनी आपूर्ति नहीं प्राप्त कर रहे हैं, और मेरी अपनी समझ है कि हम शायद अपने गेहूं के निर्यात को 100 लाख टन से अधिक आराम से पार कर लेंगे।”

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दुनिया परेशान है और भारत के लिए बढ़िया अवसर है

यह ध्यान रखना उचित है कि वैश्विक बाजारों में कृषि वस्तुओं की भारी मांग है क्योंकि कई प्रमुख कृषि उत्पादक या तो जलवायु समस्याओं या कुछ भू-राजनीतिक मुद्दों का सामना कर रहे हैं। इस चल रही गड़बड़ी के बीच, भारत दुनिया भर के देशों को भोजन के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है।

वहीं जब से रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है गेंहू उत्पादन और कृषि वस्तुओं का निर्यात महंगा हो गया है। कुल मिलाकर, रूस और यूक्रेन वैश्विक गेहूं निर्यात का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और यूक्रेन ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे दुनिया को, विशेष रूप से यूरोप को एक बहुत ही क्षति का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि जब दुनिया भर में यूक्रेनी और रूसी गेहूं की आपूर्ति की अनुपस्थिति के कारण शून्य को भरने की बात आती है तो भारत को अन्य देशों पर अधिक लाभ होता है। आपको बतादें की रबी की फसल पिछले कुछ हफ्तों में मंडियों में पहुंचनी शुरू हो गई है और अप्रैल के अंत या मई के मध्य तक पूरी तरह से कट जाएगी।

अभी कटाई का सीजन बाकी है मेरे दोस्त!

इस बीच वैश्विक उत्पादक अभी भी अपनी फसलों की कटाई के लिए जून-जुलाई की अवधि का इंतजार कर रहे हैं जो अगस्त-सितंबर तक बाजारों में पहुंच जाएगी। इससे भारत के पास अपने बेहतर गेहूं के साथ वैश्विक बाजारों में निर्यात करने का अवसर है। भारत पहले से ही मिस्र को गेहूं का निर्यात शुरू करने के लिए अंतिम बातचीत कर रहा है। वहीं मोदी सरकार गेहूं का निर्यात शुरू करने के लिए तुर्की, चीन, बोस्निया, सूडान, नाइजीरिया और ईरान जैसे देशों के साथ भी चर्चा कर रही है।

आपको बतादें कि भारत आने वाले वर्षों में प्रभावशाली निर्यात संख्या हासिल करने के लिए तैयार है। एक समय था जब भारत को पश्चिम के अमीर और शक्तिशाली देशों द्वाराअपनी आबादी का पेट भरना पड़ता था लेकिन आज वही भारत दुनिया के तथाकथित “महाशक्तियों” को उच्च गुणवत्ता वाले अनाज का निर्यात करेगा, ताकि उनकी आबादी भूख के कारण बर्बाद न हो जाए। आज जिस तरह से भारत का निर्यात वैश्विक स्तर पर साकार हो रहा है उसकी बीज केंद्र की मोदी सरकार द्वारा फैसले के बाद आया है जब भारत भी आत्मनिर्भरता के साथ अपना उत्पाद निर्यात करता है जिससे देश की आर्थिक स्थिति में बहुत प्रगति हो रहा है।

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