फिल्में बन नहीं चल रही तो नए धंधे को ही आज़मा लेते हैं, क्या पता मज़ा ही आए! बॉलीवुड के नेपोटिज़्म के प्रणेता करण जौहर इन दिनों सठियाने के उस पड़ाव पर पहुँच चुके हैं | जहाँ वो निर्माता-निर्देशक से कुली नंबर 1 के शादी राम घर जोड़े बन गए हैं। ऐसा भी नहीं है कि कोरोना ने धर्मा प्रोडक्शन को कोई बड़ा नुकसान पहुँचाया हो पर करण जोहर उन लोगों में से आते हैं जिन्हें हर वो काम करना है, जिसमें उनका शून्य अनुभव हो और उस क्षेत्र के अनुरूप शून्य कौशल हो। अब करण जौहर हाल ही में IIT-IIM Shaadi.com के ब्रांड एंबेसडर बने हैं, जो एक वैवाहिक साइट है, जो विशेष रूप से IIT, IIM और देश के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के पूर्व छात्रों के लिए बनाई गई है। इसमें उन ही बड़े-बड़े संस्थानों के युवक-युवतियों की लिए जगह होगी जिनके नाम इस प्लेटफार्म ने निर्धारित किए हुए हैं। असल बात तो यह है करण जौहर जहाँ भी जायेंगे अपनी एक खासियत बिखेरते ही दिखेंगे जो है- “Nepotism” अब शादियों में भी जातीयता की जगह नई रीति की पेशकश की गई है, कि ऊँचे स्तर वाला ऊँचे स्तर में ही ब्याह करेगा |
और पढ़ें ; Dear Kareena, सैफ के हर दशक में पिता बनने की चाहत से आपको खुश नहीं बल्कि दुःखी होना चाहिए
क्या है आईआईटी आईआईएम shaadi.com ?
दरअसल ऐप का उद्देश्य है, मानसिक रूप से तर्कसंगत और अनुकूल पार्टनर खोजने से लेकर पढ़ायी में झंडे गाढ़ने वालों को एक बंधन और एकसूत्र में पिरोने का संकल्प दिखता है। मतलब शादी करने के लिए पहले तो पढ़ायी देखि ही जाती थी, पर अब उस कॉलेज से पढ़े हो के नहीं इसकी कमी पूरी करने के लिए यह ऐप आया है, जो प्रमुखतः एक IIT वाले को IIM वाली तो IIM वाली को एक IIT वाला जन्म -जन्मांतर का बंधन देने में सहायक होगा। अब तक बॉलीवुड निर्माता-निर्देशकों और अभिनेता-अभिनेत्रियों के बच्चों को Nepotism की आड़ में फ़िल्मी दुनिया में लाने का ठेका लिए बैठे करण जौहर ने नया पहाड़ा पढ़ना शुरू किया है।
KJo doing an ad for IITIIMShaadi…😬Bollywood business isn’t good these days. pic.twitter.com/P3QOPPzcV3
— Ashish Dave | आशीष दवे (@ashishdave) March 31, 2022
यह सर्वविदित है, ऐसी सोच ही जो विशेष रूप से “ग्रैंड” संस्थानों के पूर्व छात्रों के अलावा किसी को इस ऐप में आने के लिए वर्जित करती हो, एक अभिजात्य धारणा को आगे बढ़ाती है, कि केवल उसी संस्थान का एक व्यक्ति देश के IIT और IIM के किसी व्यक्ति के लिए उपयुक्त मैच है। भारत में शिक्षा की अनुकूलता देखकर यदि शादियां होती तो आजतक कई नौजवान बेरोज़गारी नहीं कुंवारेपन के लिए धरने पर बैठे दिखते। IIT-IIM शादी पहली मैचमेकिंग साइट नहीं है जो पंजीकरण करने से पहले अपने उपयोगकर्ताओं को छांटती करती है। डेटिंग ऐप्स में भी कुछ इसी तरह की ही प्रक्रिया से उसके उपयोगकर्ता गुजरते हैं।
जहाँ ऐसे विचार एक रेखा को पार करते है, और भेदभावपूर्ण रवैये को प्रदर्शित भी करते हैं| तो यह अहम हो जाता है, कि करण जौहर जैसे Influencers के ऊपर ऐसी भावनाओं के प्रसार के लिए नकेल कसी जानी चाहिए। Alma Mater Matters टैगलाइन जिस महीन रेखा को समाज में खींच रही है, वो सबको नहीं दिखेगी पर बिखराव की शुरुआत वहीं से होगी। ऐसे में सरकार को भी ऐसे ऐपों पर सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता है, जो मिलाने के बजाय विभाजित करने का काम करे हैं।