हर चीज़ का एक तय समय निर्धारित होता है,कुछ ऐसा ही पीएम नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से देश ने देखा भी है। कहा जाता है जब कि जब समय-काल-परिस्थिति आपके पाले में हों तो सकारात्मक और महत्वपूर्ण निर्णयों पर मुहर लगाने में किंचित भी सोचना नहीं चाहिए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपने सरकार के 2014 से शुरू हुए शासन को इसी तर्ज़ पर ऊर्जावान और कर्मवीर रखा। एक एक बाद एक नए फैसले लेकर जहाँ एक ओर पीएम मोदी पूरे विश्च को चौंका रहे थे तो वहीं दूरदर्शिता रखने वाले प्रबुद्ध जन उसकी असल आवश्यकता का रोड मैप भी बता रहे थे जो कि एक नेता और प्रशासक के लिए उपलब्धि से कम नहीं। अब पडोसी देशों और कुछ घर के भेदियों की लंका ध्वस्त करने के मूल मंत्र के साथ पांच सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में ‘सामूहिक संहार के आयुध और उनकी वितरण प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022’ पेश किया। इसमें सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण करने को रोकने का प्रावधान किया गया है देश विरोधी तत्वों की छटनी कर आतंकवाद को पूर्ण रूप से टाटा-टाटा बाय-बाय कहने का उपयुक्त समय आ गया गया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को लोकसभा में वितरण प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022 पेश किया जो सामूहिक विनाश के हथियारों के वित्तपोषण पर प्रतिबंध लगाने और केंद्र को ऐसी गतिविधियों में लगे लोगों की वित्तीय संपत्ति और आर्थिक संसाधनों को जब्त करने, जब्त करने या संलग्न करने का अधिकार देता है। सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन विधेयक जो इस संबंध में भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने का प्रयास करता है। बार-बार ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी पर विपक्षी सदस्यों द्वारा शोर के बीच बिल पेश किया गया था। 2005 में पारित सामूहिक विनाश और उनके वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, केवल सामूहिक विनाश के हथियारों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया।
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सत्य तो यह है कि समय बदलने के साथ-साथ ऐसे कानूनों में पूर्व में ही कई संशोधन किया जाने चाहिए थे पर क्या करें नियत का ही सारा खेल है। अब तक 2014 से पहले की सरकारें और उनके नेतृत्वकर्ता तो आंतकियों को 7 RCR बुला उन्हें सम्मानित करते थे और यह सरकार घर में घुसकर मार रही है और तो और घर भी नहीं छोड़ रही है। इसे कहते हैं साफ नियत के साथ अपने देश के लिए घातक तत्वों और शत्रुओं की हालत लचर कर देना।
विधेयक को विस्तृत कर एस जयशंकर ने विधेयक के प्रमुख उद्देश्यों और कारणों के बारे में कहा कि, “हाल के दिनों में, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा उनकी वितरण प्रणाली से संबंधित नियमों का विस्तार हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों और वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स की सिफारिशों ने सामूहिक विनाश के हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों के प्रसार के वित्तपोषण के खिलाफ अनिवार्य किया है।
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इस नए प्रस्तावित बिल में मौजूदा कानून में एक नई धारा 12ए डालने का प्रयास किया गया है जिसमें कहा गया है कि “कोई भी व्यक्ति किसी भी सामूहिक विनाश के हथियारों संबंधित किसी गतिविधि को वित्तपोषित नहीं करेगा जो इस अधिनियम के तहत या संयुक्त राष्ट्र (सुरक्षा परिषद) अधिनियम, 1947 या किसी अन्य प्रासंगिक अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है। सामूहिक विनाश के हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों के संबंध में, ऐसे व्यक्ति द्वारा स्वामित्व या नियंत्रित, पूर्ण या संयुक्त रूप से, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से; या ऐसे व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से या उसके निर्देश पर धारित; या धन या अन्य संपत्ति से प्राप्त या उत्पन्न, स्वामित्व या नियंत्रित, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से, ऐसे व्यक्ति द्वारा किसी भी दृष्टि से इसमें संलिप्तता स्पष्ट होती है तो इसमें केंद्र सरकार को ऐसे वित्त पोषण का निवारण करने के लिये निधियों एवं अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों या आर्थिक संसाधनों पर रोक, अधिग्रहण या कुर्की करने का अधिकार दिया गया है जो ऐसे सभी तत्वों केगले की फांस बनने वाला है।
जब-जब जो-जो होना है तब-तब सो-सो होता है। ऐसे कानूनों की आज सबसे अधिक आवश्यकता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि शत्रु देशों की गिद्ध दृष्टि भारत और उसकी उसकी सीमाओं पर बनी रहती हैं मात्र एक मंशा साथ कि कैसे भी करके अनधिकृत रूप कब्ज़ा लिया जाए। ऐसे में ‘सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022’ के मात्र पेश होने से अभी लोगों के मन ख़राब हो गए हैं जब इसका अनुसरण होगा तब तो ये सभी अंडरग्राउंड ही हो जाएंगे।
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